तटबंध मरम्मत और मुआवजा को लेकर सड़क पर उतरे किसान

हिलसा (नालंदा दर्पण)। हिलसा प्रखंड के अलीपुर गांव के समीप सड़क पर दर्जनों महिलाएं और पुरुष किसान हाथों में तख्तियां लिए प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए अपनी आवाज बुलंद कर रहे थे। अलीपुर और वंशी बिगहा गांव के लोग लक्ष्मी बिगहा नदी के तटबंध की मरम्मत और फसल क्षति के मुआवजे को लेकर आक्रोशित थे।
बता दें कि लक्ष्मी बिगहा के समीप नदी के पूर्वी तटबंध में 10 दिन पहले हुए कटाव को एक सप्ताह से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन मरम्मत कार्य शुरू नहीं हुआ। इसी बीत बीते शनिवार को नदी में जलस्तर बढ़ने से अलीपुर, जैतीपुर, वंशी बिगहा, सिपारा और बारा बिगहा समेत कई गांवों के सैकड़ों एकड़ खेत जलमग्न हो गए। जिससे धान के बिचड़ा, धान की फसल और सब्जियां पानी में डूब गईं, जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ। पशुपालकों के सामने भी चारे की कमी की समस्या खड़ी हो गई है।
किसानों ने बताया कि उनकी फसलें बर्बाद हो रही हैं और प्रशासन चुप्पी साधे बैठा है। तटबंध की मरम्मत न होने से हर साल यही हाल होता है। मुआवजा भी सिर्फ जमीन मालिकों को मिलता है, हम जैसे छोटे किसानों का क्या?
उनका कहना है कि सरकार द्वारा दी जाने वाली अनुदान राशि अक्सर बड़े भूस्वामियों तक सीमित रह जाती है, जबकि छोटे किसान और खेतिहर मजदूर बदहाली झेलते हैं।
प्रदर्शनकारियों ने बताया कि हमारे खेतों में पानी भर गया है, पशुओं के लिए चारा तक नहीं बचा। अगर तटबंध की मरम्मत समय पर हो जाती, तो यह नौबत न आती। तटबंध की तत्काल मरम्मत और फसल नुकसान के लिए उचित मुआवजे मिलनी चाहिए।
इधर हिलसा प्रखंड प्रशासन ने बताया कि तटबंध मरम्मत के लिए प्रस्ताव भेजा गया है, लेकिन बजट और संसाधनों की कमी के कारण देरी हो रही है। जल्द ही कार्य शुरू होने की उम्मीद है। हालांकि ग्रामीणों का कहना है कि ऐसी घोषणाएं हर बार होती हैं, लेकिन धरातल पर बदलाव नहीं दिखता।
बहरहाल, यह प्रदर्शन न केवल तटबंध की मरम्मत और मुआवजे की मांग तक सीमित है, बल्कि यह ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे और आपदा प्रबंधन की लचर व्यवस्था की ओर भी इशारा करता है। अगर समय पर कार्रवाई नहीं हुई तो किसानों की यह बेचैनी और गहरी हो सकती है।









