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    Saturday, November 23, 2024
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      जदयू के लिए इस बार कितना आसान रहेगा नालंदा, नीतीश की बचेगी इज्जत?

      नालंदा दर्पण डेस्क। नालंदा लोकसभा सीट बिहार के सीएम नीतीश कुमार की जड़ मानी जाती है। समता पार्टी गठन होने के बाद यह सीट उनके सम्मान से जुड़ी हुई है और उसी के बल निवर्तमान सांसद कौशलेंद्र कुमार चौथी बार फिर से चुनावी मैदान में हैं। उनकी हार जीत का आंकलन उनके विरोधी उम्मीदवार की उपस्थिति पर निर्भर करती है, जिसकी घोषणा महागठबंधन की ओर से नहीं की गई है। 

      बहरहाल, नालंदा लोकसभा क्षेत्र बिहार राज्य का एक पूरा जिला है। इस जिला का प्रशासनिक मुख्यालय बिहारशरीफ है। इस जिले के मध्य से फाल्गु, मोहने, जिरयान और कुंभरी नदियां बहती हैं। यह जिला पटना डिवीजन का एक हिस्सा है।

      इस जिले की अधिकांश भूमि इंडो गंगेटिक प्लेन की उपजाऊ भूमि है। सुदूर दक्षिण में राजगीर की पहाड़ियां हैं। इसका क्षेत्रफल 2,355 वर्ग किलोमीटर है। 2011 जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक नालंदा की जनसंख्या 28.78 लाख थी।

      कृषि अर्थव्यवस्था इस क्षेत्र की रीढ़ है, जिसमें अधिकांश आबादी कृषि में लगी हुई है। चावल, गेहूं, मक्का, दालें, आलू, फल और सब्जियां यहां की प्रमुख फसलें हैं।

      पर्यटन के लिए यहां सैनानियों का आवागमन लगा रहता है। नालंदा विश्वविद्यालय राजगीर और पावापुरी के खंडहरों को देखने लाखों लोग आते हैं। मगध साम्राज्य की पहली राजधानी राजगीर थी।

      बुद्ध ने इस स्थान पर वर्षों तक अपान समय बिताया था। पांच पहाड़ियों से घिरे इस मंदिर से मनोरम दृश्य दिखाई देते हैं। पावापुरी, महावीर का निर्वाण स्थान है जो जैनियों का पवित्र स्थान है।

      नालंदा संसदीय क्षेत्र में सात विधानसभा क्षेत्र आते हैं। ऐसा नए परिसीमन के बाद किया गया। सात विधानसभा क्षेत्रों में अस्थावां, बिहारशरीफ, राजगीर,  इस्लामपुर, हिलसा, नालंदा और हरनौत के नाम शामिल हैं। इनमें राजगीर एससी रिजर्व सीट है।

      बाढ़ संसदीय क्षेत्र में पहले चंडी और हरनौत विधानसभा आते थे लेकिन परिसीमन के बाद चंडी विधानसभा समाप्त कर दिया गया और उसका हिस्सा हरनौत में शामिल हो गया। हरनौत को बाढ़ से हटाकर नालंदा में शामिल कर लिया गया। हरनौत ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का विधानसभा क्षेत्र है।

      चुनाव आयोग के वर्ष 2009 के आंकड़े के मुताबिक, नालंदा संसदीय क्षेत्र में कुल वोटरों की संख्या 17,19,503 है, जिनमें 8,03,727 महिला और 9,15,776 पुरुष मतदाता हैं। इस सीट पर कांग्रेस के दबदबे के अलावा सीपीआई और जनता पार्टी की भी अच्छी पैठ रही है।

      आम लोकसभा चुनाव  2019 की जनादेश की बात करें तो जदयू के कौशलेंद्र कुमार 5,40,888 वोट लाकर हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के अशोक कुमार को हराया था, जिन्हें 2,84,751 वोट मिले थे।

      इसके पूर्व लोकसभा चुनाव 2014 का जनादेश काफी कांटे की टक्कर का रहा। 2014 में इस सीट पर जेडीयू के कौशलेंद्र कुमार जीते थे। उन्होंने एलजेपी प्रत्याशी सत्य नंद शर्मा को हराया था।

      कौशलेंद्र कुमार को 3,21,982 (34.93 प्रतिशत) वोट मिले जबकि सत्य नंद शर्मा को 3,12,355 वोट। शर्मा को कुल वोटों का 33.88 प्रतिशत हिस्सा प्राप्त हुआ। हार का अंतर देखें तो यह 10 हजार से भी कम था और 1 प्रतिशत से भी कम वोट शेयर पर जीत-हार का फैसला हुआ।

      वर्ष 2014 के चुनाव में इस सीट पर तीसरे नंबर पर कांग्रेस रही जिसके प्रत्याशी आशीष रंजन सिन्हा को 1,27,270 (13.81 प्रतिशत) वोट मिले। चौथे और पांचवें स्थान पर क्रमशः बीएसपी और सीपीआई (एमएल) रहे।

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