चंडी (नालंदा दर्पण)। देश की सीमा पर जवान अपने दुश्मनों को झेल लेता है, मुंहतोड़ जबाव भी दे देता है। लेकिन एक जवान अपने ही गांव जेवार में हार जाता है। पुलिस प्रताड़ना और समाज का दुश्मन हो जाता है। कुछ ऐसा ही जांबाज देशभक्त सैनिक सत्येंद्र सिंह के साथ हुआ।
सत्येन्द्र सिंह कहते हैं ‘सर कटा सकते हैं लेकिन सर झुका नहीं सकते हैं ‘! जहां अन्याय होता है वे उस अन्याय को देखकर चुप नहीं बैठ सकते हैं।
देश की सीमा पर जवान अपने दुश्मनों को झेल लेता है, मुंहतोड़ जबाव भी दे देता है। लेकिन एक जवान अपने ही गांव जेवार में हार जाता है। पुलिस प्रताड़ना और समाज का दुश्मन हो जाता है।
कुछ ऐसा ही इस जांबाज देशभक्त सैनिक सत्येंद्र सिंह के साथ हुआ। मारपीट के एक मामले में इन्हें और इनके एक पुत्र को चंडी पुलिस ने एक साज़िश के साथ जेल भेज दिया।
रिटायर्ड फौजी सत्येंद्र सिंह एक आरटीआई कार्यकर्ता भी हैं।वे जमशेदपुर में भी अपने सूचना का अधिकार का इस्तेमाल करते हुए बहुत सारी समस्याओं का समाधान करवा चुके हैं। जब वे गांव पहुंचे तो उन्होंने देखा कि गांव का एक परिवार के लोग विकास कार्यों में बाधा पहुंचा रहें हैं।
उन्होंने आरटीआई के माध्यम से चंडी सीओ और बीडीओ से संबंधित सूचनाएं मांगी। लेकिन उन्हें घालमेल ज़बाब दिया गया। सूचना मांगे जाने से इनके विरोधी काफी नाराज़ हुए घर पर चढ़कर प्रताड़ित करने लगें।
तात्त्कालीन थानाध्यक्ष भी पूर्व सैनिक से खार खाए हुए थे उन्हें मौका मिला और मारपीट के आरोप में उन्हें जेल भेज दिया।बाद में वे न्याय की गुहार के लिए मुख्यमंत्री तक से गुहार लगाई।
सीएम के पैतृक गांव कल्याणविगहा जाकर सीएम के पिता की समाधि स्थल पर भी गये लेकिन देश के सैनिक को न्याय नहीं मिला।वे आज भी हारे नहीं हैं,एक सच्चे देशभक्त सैनिक के रूप में भ्रष्टाचारियों से लड़ रहे हैं।उनका कहना ही है ‘फौज में लड़ें थे पाकिस्तानियों से,समाज में लड़ेंगे भ्रष्टाचारियों से।’
जब सत्येन्द्र सिंह ने राष्ट्रपति को लौटा दिया था अपने सभी मेडल: जब सत्येंद्र सिंह कारगिल युद्ध के दौरान दुश्मन से मोर्चा ले रहें थे, करोड़ों लोगों की दुआएं सैनिकों के साथ थी। तब जमशेदपुर के जुगसलाई थाना में उनके खिलाफ बिजली चोरी का मुकदमा दर्ज किया गया।
11 अगस्त,1999 को बिजली चोरी के आरोप में उनपर बिना नोटिस के वारंट जारी कर दिया। जब कि उस दौरान वे और न ही उनके परिवार के सदस्य जुगसलाई स्थित मिश्रा कालोनी के घर पर मौजूद थे। जब उन्हें बिजली चोरी में अभियुक्त बनाए जाने की जानकारी मिली तो वे बिजली विभाग और पुलिस से भी मिलें लेकिन उनकी सफाई नहीं सुनी गई।
मामला झारखंड ह्यूमन राइट्स कमीशन के पास भी पहुंचा और केंद्रीय गृह मंत्रालय से भी हस्तक्षेप की मांग की गई। 6फरवरी,2010 को पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। बिजली चोरी में अभियुक्त बनाएं जाने और अपनी गिरफ्तारी से क्षुब्ध उन्होंने 12 मार्च,2010 को देश सेवा के लिए मिली सभी मेडल को राष्ट्रपति को लौटा दिया।
कारगिल युद्ध के योद्धा सत्येंद्र सिंह आज भी अन्याय के खिलाफ मैदान में डटे हुए हैं। लेकिन समाज का उन्हें भरपूर सहयोग नहीं मिल रहा है। फिर भी एक परिवर्तन की आशा लेकर डटे हुए हैं।
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