नालंदा दर्पण डेस्क। राजगीर थाना प्रभारी दीपक कुमार के तबादले पर रोक लगाने की माँग को लेकर स्थानीय लोगों का एक गुट सड़क पर उतर आए हैं। इसके पहले एक सड़क हादसा में मृत चार युवक की मौत के बाद बाजार बंद को लेकर चार युवकों को बेवजह फंसाए जाने पर दूसरा गुट फर्जी केस वापस लेने एवं थानेदार को हटाने की माँग कर रहे थे।
खबर है कि आज एक गुट का शांति मार्च मुख्य बाजार जेपी चौक से धर्मशाला रोड होते हुए बस स्टैंड, अनुमण्डल कार्यालय तक गयी। अनुमण्डल कार्यालय में उनका प्रतिनिधि मंडल बिहार के मुख्यमंत्री को संबोधित एक ज्ञापन राजगीर अनुमण्डल पदाधिकारी को सौंपा। जिसमें वर्तमान थानाध्यक्ष दीपक कुमार के तबादले पर रोक लगाने की मांग की गई।
जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार इस शांति मार्च में राजगीर नगर परिषद के वार्ड पार्षद श्रवण कुमार, पूर्व पार्षद श्याम किशोर भारती, रणवीर कुमार रत्नाकर, गोलू यादव, गणेश उमराव प्रसाद निर्मल, प्रदीप मालाकार, दिलीप यादव, सुरेंद्र कुमार महतो, विपिन कुमार झा, छोटलाल, गिरधारी उपाध्याय, रमेश पान, भैया अजित, निरज कुमार, सन्नी चन्द्रवँशी, संजय कुमार, अजय कुमार चन्द्रवँशी, बालदेव चौधरी, विनोद कुमार यादव, आदित्य,शिवा कुमार, दीपक कुमार, शशि चन्द्रवँशी, अनमोल वर्मा, पिंटू कुमार, विक्रम कुमार आदि लोग शामिल हुए।
बता दें कि विभागीय तौर पर राजगीर थानाध्यक्ष सह पुलिस इंस्पेक्टर दीपक कुमार का तबादला नालंदा जिला से मुंगेर जिला कर दिया गया है। उन्हें करीब दो माह बाद ही राजगीर थानाध्यक्ष बनाया गया है। इसके पहले वे बिहार थानाध्यक्ष थे। उनका गृह जिला पटना है।
हालांकि उनका तबादला विभागीय तौर पर किया गया है। लेकिन उसे कुछेक लोग एक सड़क हादसा में चार युवकों की हुई मौत के बाद उत्पन्न परिस्थितियों की नजर से देख रहे हैं।
उस हादसा के बाद मुआवजा को लेकर राजगीर बंद किया गया था। उस दौरान सड़क पर हुई आगजनी को को लेकर चार नामजद लोगों के साथ बीस-पच्चीस अज्ञात लोगों को सामाजिक लोगों की सूचना पर असमाजिक घोषित करते हुए खुद थानेदार ने प्राथमिकी दर्ज की थी।
इसके बाद कई राजनीतिक दल से जुड़े लोग मुखर हो उठे। उस मुकदमा की वापसी और थानेदार को हटाने की माँग की। एसपी, डीजीपी से लेकर सीएम तक पत्र लिखे गए। कई वार्ड पार्षद के आलावे कांग्रेस नेता अमीत पासवान भी खुलकर सामने आए। हालांकि इन पत्रों के आधार पर कार्रवाई से पुलिस महकमा की ओर से साफ इंकार करते हुए रुटीन ट्रांसफर बताया जा रहा है।
जानकार बताते हैं कि थानेदार दीपक कुमार के नाम पर स्थानीय स्तर पर गुटीय राजनीति हो रही है। उनके हुए विभागीय स्थानान्तरण को जहाँ एक गुट अपनी आंदोलनात्मक सफलता मान रही है, वहीं दूसरे गुट के लोग शांति मार्च के बहाने आज सड़क पर उतरे हैं। दोनों परिस्थिति में उल्टे थानेदार की छवि ही धुमिल हो रही है।
बहरहाल, बात कुछ भी हो। इसके आगे का आलम देखने लायक होगी, क्योंकि आज के शांति मार्च में कई ऐसे भी लोग के नाम सामने आए हैं, जो पहले थानाध्यक्ष के विरोध में खड़ा होकर कार्रवाई की मांग कर रहे थे।
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