नालंदा दर्पण डेस्क। नालंदा की पूरी धरती के कण-कण में एक सुनहरा विरासत छुपा है। उसी में एक अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन-धर्म नगरी राजगीर का सदियों से दुनिया में एक अलग स्थान है।
राजगीर धार्मिक स्थल के साथ ही एक खूबसूरत हेल्थ रिसॉर्ट भी है। यहां की पानी, हवा, पहाड़ सभी की अपनी अलग महत्ता है। पंच पहाड़ियों पर आज भी कई वैद्य जड़ी बूटी खोजते मिल जाएंगे।
यहां की 22 कुंड व 52 धारा की पानी पवित्र व औषधीय गुणों से भरपूर है। ऐसे में राजगीर में आयुर्वेद विश्वविद्यालय बनाने का मुद्दा भी वाजिब है।
सांसद कौशलेन्द्र कुमार ने संसद में राजगीर की पवित्र धरती पर एक आयुर्वेद विश्वविद्यालय बनाने की माँ करते हुए भारतीय संसद को बताया कि यह रमणीय धार्मिक तीर्थ-स्थल है। देवों की नगरी राजगीर सभी धर्मों की संगम-स्थली है। यहां की प्राकृतिक छटा की पूरे विश्व में कोई सानी नहीं है। सौंदर्य छटा के साथ विविध सांस्कृतियां देशी-विदेशी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं।
राजगीर भगवान ब्रह्मा की पवित्र यज्ञ-भूमि, संस्कृति और वैभव का केन्द्र, जैन तीर्थंकर महावीर और भगवान बुद्ध की साधना भूमि, सिखों के गुरुओं की जमीन, विपुलगिरि, रत्नागिरि, उदयगिरि, स्वर्णगिरि और वैभारगिरि पंच पहाड़ियों के हरे-भरे जंगलों की मनोरम छटा बरबश ही मन मोह लेती है।
इन जंगलों में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का भण्डार है। यहां का एक कुंड ऐसा है, जहां स्नान करने से चर्म-रोग ठीक हो जाता है। यह सब पंच पहाड़ियों में मौजूद जड़ी बूटियों के कारण ही है। राजगीर ऐतिहासिक, धार्मिक, तीर्थ-स्थल के साथ ही एक खूबसूरत हेल्थ रिसॉर्ट भी है।
उन्होंने बताया कि यहां के आयुर्वेद के महान उपचारक (डॉक्टर) ऋषि जीवक अपना उपचार केन्द्र (क्लीनिक) बनाए थे। यहां कठिन से कठिन असाध्य रोगों का उपचार किया जाता था। राजगीर प्रारम्भिक चिकित्सा का प्रसिद्ध केन्द्र रहा है। ऐसे में राजगीर में एक आयुर्वेद विश्वविद्यालय होनी ही चाहिए।