
नगरनौसा (नालंदा दर्पण संवाददाता)। सरकार स्वास्थ्य सेवाएं सुधारने का दावा भले ही करती रहे, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ अलग ही कहानी बयां कर रही है। फिलहाल नगरनौसा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भगवान भरोसे चलता दिख रहा है।
यहाँ के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर धनेश प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नगरनौसा न आकर पटना के विद्यापुरी कंकड़बाग में संचालित अपने डॉक्टर धनेश डाइग्नोस्टिक सेंटर चलाने में व्यस्त हैं। जिससे मरीजों को समुचित उपचार नहीं मिल पा रहा है और स्वास्थ्य सेवाओं और चिकित्सकों के अभाव में उन्हें मजबूरी में झोलाछाप डॉक्टरों से उपचार कराना पड़ रहा है।
डॉक्टर यहाँ कब आते हैं या फिर आते ही नहीं, मतलब डाक्टरों का किसी को दर्शन नहीं होते। स्वास्थ्य केंद्र का हालत इतना खराब है कि डॉक्टर न रहने के कारण सीएचओ से काम कराया जाता है। वहीं ड्रेसिंग का कार्य स्वास्थ्य केंद्र में तैनात सुरक्षा गार्ड करते हैं। जबकि स्वास्थ्य केंद्र न डॉक्टर की कमी है न नर्सिंग स्टाफ की। खून जांच को लेकर आने वाले मरीजों को भी बाहर से जांच करानी पड़ती है।
यहाँ जांच को लेकर लगा मशीन हमेशा खराब ही रहता है। जिससे स्वास्थ्य केंद्र आने वाले मरीजों को स्वास्थ्य केंद्र से बाहर जाकर प्राइवेट लैब में जांच करना मजबूरी बन गईं हैं जिससे मरीजों को काफ़ी खर्च करना पड़ रहा है। इस स्वास्थ्य के केंद्र में दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाने को लेकर कब टीम बैठती है। इसकी भी जानकारी आमलोगों को नहीं दिया जाता है। जिससे दिव्यांग लोगों को काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है।
बताया जाता है कि स्वास्थ्य केंद्र में विगत 8 वर्ष से भी अधिक समय से पदस्थापित डॉक्टर राजेश कुमार की भी स्वास्थ्य केंद्र की वद से वदतर हालत बनाने में इनका भी अहम भूमिका है। जब सिविल सर्जन नालंदा से इस संदर्भ में बता किया गया तो उन्होंने बताया कि हो सकता है छुट्टी पर होंगे।









