Home पुलिस नालंदा पुलिस का बड़ा कारनामा: खुलासा बाद पूरा महकमा हैरान

नालंदा पुलिस का बड़ा कारनामा: खुलासा बाद पूरा महकमा हैरान

Nalanda police's big feat: The whole department is shocked after the disclosure
Nalanda police's big feat: The whole department is shocked after the disclosure

राजगीर (नालंदा दर्पण)। नालंदा पुलिस की एससी-एसटी थाना की एक ऐसी कार्रवाई सामने आई है, जिसने पूरे पुलिस महकमे को हैरानी में डाल दिया है। अपहरण के एक मामले में बिना ठोस जांच के एक आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेजने का खुलासा हुआ है। चौंकाने वाली बात यह है कि केस दर्ज होने के एक साल बाद कथित अपहृत युवक खुद थाने पहुंचा और उसने बताया कि उसका अपहरण कभी हुआ ही नहीं था, बल्कि वह अपनी मर्जी से दिल्ली कमाने चला गया था। इस घटना ने पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

जानकारी के मुताबिक नालंदा थाना क्षेत्र के दस्तुरपर गांव निवासी कोम देवी के बेटे गौरव कुमार को कथित तौर पर अगवा कर लिया गया था। इस संबंध में 6 मार्च 2024 को गौरव की मां ने एससी-एसटी थाना में एक मामला दर्ज कराया था। शिकायत में तीन लोगों- संजय सिंह उर्फ फुटूश, मोनू महतो और चंदन पांडेय पर अपहरण का आरोप लगाया गया था। पुलिस ने छह महीने बाद बेगमपुर नथाचक निवासी संजय सिंह को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया। लेकिन अब गौरव के लौटने से पूरा मामला पलट गया है।

गौरव का कहना है कि पिछले साल 1 मार्च को बेगमपुर गांव के मंदिर से मुकुट चोरी की घटना के बाद कुछ लोगों ने उसके साथ मारपीट की थी। इस दौरान उसे जान से मारने की धमकी भी दी गई। उस वक्त उसकी मां रहुई के सोनसा गांव स्थित अपने मायके में थीं और वह घर पर अकेला था। डर की वजह से गौरव ने घर छोड़ दिया और दिल्ली चला गया। उसने साफ कहा कि उसका अपहरण नहीं हुआ था, बल्कि वह अपनी मर्जी से गया था।

गौरव के इस बयान के बाद पुलिस की जांच पर सवाल उठने लगे हैं। परिजनों और स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि पुलिस ने शुरू में ही मामले की गंभीरता से जांच की होती, तो संजय सिंह जैसे निर्दोष व्यक्ति को जेल नहीं जाना पड़ता। संजय सिंह पिछले छह महीने से जेल में बंद हैं और उनकी जमानत भी नहीं हो सकी है। उनके परिवार ने पुलिस की लापरवाही पर नाराजगी जताई है।

दरअसल, यह पूरा मामला 28 फरवरी 2024 को बेगमपुर गांव के एक मंदिर से मुकुट चोरी की घटना से शुरू हुआ था। चोरी के बाद आक्रोशित ग्रामीणों ने गौरव पर शक जताते हुए उसके साथ मारपीट की थी। इसके बाद गौरव की मां कोम देवी ने तीन लोगों के खिलाफ मारपीट और अपहरण का मामला दर्ज कराया था। लेकिन अब गौरव के लौटने से यह साफ हो गया है कि अपहरण की बात पूरी तरह गलत थी।

अब एससी-एसटी थाना पुलिस ने इस मामले में सफाई देते हुए कहा कि लौटे हुए युवक का बयान कोर्ट में दर्ज कराया जा रहा है। वह कोर्ट के आदेश का पालन करेगी। हालांकि, यह दलील संजय सिंह के परिवार को संतुष्ट करने में नाकाफी साबित हो रही है।

इस घटना ने नालंदा पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा दिया है। अगर पुलिस ने शुरूआती जांच में गौरव के गायब होने की वजह को ठीक से तलाशा होता तो शायद यह स्थिति नहीं बनती। संजय सिंह के परिवार का कहना है कि पुलिस ने बिना सबूत के जल्दबाजी में कार्रवाई की, जिसका खामियाजा एक निर्दोष को भुगतना पड़ा।

यह मामला नालंदा पुलिस के लिए एक सबक हो सकता है कि किसी भी कार्रवाई से पहले ठोस सबूत और गहन जांच जरूरी है। अब देखना यह है कि कोर्ट इस मामले में क्या फैसला सुनाती है और क्या संजय सिंह को न्याय मिल पाता है। फिलहाल इस खुलासे ने न केवल पुलिस महकमे को हैरान कर दिया है, बल्कि आम लोगों में भी चर्चा का विषय बन गया है।

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

error: Content is protected !!
Exit mobile version