Home गाँव जेवार अब सभी मछली पालकों को मिलेगा डिजिटल पहचान पत्र

अब सभी मछली पालकों को मिलेगा डिजिटल पहचान पत्र

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Now all fish farmers will get digital identity card
Now all fish farmers will get digital identity card

इस डिजिटल पहल से नालंदा जिले का मत्स्य पालन क्षेत्र एक नई दिशा की ओर बढ़ेगा, जिससे न केवल स्थानीय विकास को बल मिलेगा, बल्कि मछली पालन में लगे लोगों को भी अत्याधुनिक सुविधाओं का लाभ मिलेगा

बिहारशरीफ (नालंदा)। प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह योजना के तहत अब नालंदा जिले के मछली पालकों को डिजिटल पहचान पत्र मिलेगा। इस योजना का उद्देश्य मत्स्य पालन क्षेत्र को पूरी तरह से डिजिटल बनाना है और इसके माध्यम से मछुआरों, मछली किसानों और सहायक श्रमिकों को एक डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़ा जाएगा। इस पहल के जरिए असंगठित मत्स्य पालन क्षेत्र को विधिसंगत तरीके से संगठित किया जाएगा। जिससे मछली पालन को एक व्यवस्थित और पारदर्शी प्रक्रिया में बदला जाएगा।

नवीनतम पहल के तहत एक डिजिटल प्लेटफॉर्म का निर्माण किया जाएगा, जिस पर मछली पालन से जुड़े सभी लोग अपना पंजीकरण करा सकेंगे। इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से मछली पालन से जुड़े सूक्ष्म और लघु उद्यमों को वित्तीय मदद प्राप्त करने में सहूलियत होगी। साथ ही इसे संस्थागत वित्त पोषण से जोड़कर मछली पालन क्षेत्र के विकास को गति मिलेगी।

इस योजना के तहत मछली पालन से जुड़े कार्यों को और अधिक संरचित किया जाएगा। साथ ही, मछली और उससे बने उत्पादों की गुणवत्ता सुधारने के लिए प्रदर्शन अनुदान प्रदान किया जाएगा। यह योजना मछली पालन में स्थिरता, पारदर्शिता और पर्यावरणीय पहलुओं पर भी जोर देगी।

स्वपंजीकरण सुविधा: मछुआरे, मछली किसान, सहायक श्रमिक और अन्य संबंधित लोग स्वेच्छा से इस डिजिटल प्लेटफॉर्म पर पंजीकरण कर सकेंगे।

वित्तीय सहायता: सूक्ष्म और लघु उद्यमों को वित्तीय मदद मिलने के साथ, मछली पालन में लगे छोटे व्यवसायों को संस्थागत फाइनेंसिंग का लाभ मिलेगा।

एक्वा कल्चर बीमा कवरेज: मछली पालन में होने वाली बीमारियों से बचाव के लिए बीमा कवरेज दिया जाएगा।

जिला मत्स्य पदाधिकारी शंभु कुमार के अनुसार इस डिजिटल प्लेटफॉर्म से मछली पालन सहयोग समितियों को भी लोन की सुविधा मिलेगी। जिससे गुणवत्ता वाली मछली उत्पादन पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इसके अलावा स्थानीय मछली किसान उत्पादक संगठनों (एफएफपीओ) और स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को भी इस योजना का लाभ मिलेगा।

इस योजना का मुख्य उद्देश्य न केवल मछली पालन व्यवसाय को डिजिटल करना है, बल्कि व्यवसाय में पारदर्शिता लाना भी है। इससे व्यवसाय करने में आसानी होगी और मछली पालन क्षेत्र में निवेशकों का विश्वास भी बढ़ेगा।

इस योजना के तहत मछली और उससे बने उत्पादों के गुणवत्ता सुधार पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। जिससे घरेलू बाजार में मछली की गुणवत्ता बढ़ेगी। इसके अलावा सीफूड के एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए वैल्यू एडेड प्रक्रियाएं लागू की जाएंगी।

इस योजना से न केवल मछुआरे और मछली किसान, बल्कि सहायक श्रमिक और संबंधित उद्योगों से जुड़े लोग भी लाभान्वित होंगे। यह पहल मछली पालन से जुड़े सामाजिक और आर्थिक पहलुओं को भी मजबूत करेगी। जिससे स्थानीय समुदाय की आय में भी वृद्धि होगी।

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