
राजगीर (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले को हरा-भरा और पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए वन विभाग ने इस वर्ष एक महत्वाकांक्षी पौधारोपण योजना शुरू की है। इस योजना के तहत जिले भर में 5 लाख 80 हजार पौधे लगाए जाएंगे। जिसमें राजगीर की पांच प्रमुख पहाड़ियों को विशेष रूप से हरियाली से आच्छादित करने का लक्ष्य रखा गया है। इस बार वन विभाग ने आधुनिक तकनीक का सहारा लेते हुए ड्रोन के माध्यम से इन पहाड़ियों पर बीजों का छिड़काव करने का निर्णय लिया है। ताकि बड़े पैमाने पर हरियाली फैलाई जा सके।
वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार यह नालंदा जिले की अब तक की सबसे बड़ी हरियाली योजना है। इस अभियान को एक महीने के भीतर पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। चरणबद्ध तरीके से लागू हो रही इस योजना की निगरानी वन विभाग के वरीय अधिकारी कर रहे हैं। यह अभियान कृषि वानिकी योजना के तहत संचालित किया जा रहा है। जिसमें किसानों की सक्रिय भागीदारी को भी सुनिश्चित किया गया है।
इस योजना के तहत 1 लाख 50 हजार पौधे किसानों को उनके खेतों में लगाने के लिए वितरित किए जाएंगे। डीएफओ राजकुमार एसएम ने बताया कि किसानों को प्रति पौधा मात्र 10 रुपये की रियायती दर पर पौधे उपलब्ध कराए जाएंगे।
इसके अतिरिक्त यदि किसान इन पौधों का तीन वर्ष तक संरक्षण करते हैं तो उन्हें प्रति पौधा 70 रुपये का अनुदान भी प्रदान किया जाएगा। यह प्रोत्साहन न केवल पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देगा, बल्कि किसानों के लिए आर्थिक लाभ का स्रोत भी बनेगा।
राजगीर के पांच प्रमुख पहाड़ों रत्नागिरी, विपुलगिरी, उदयगिरी, स्वर्णगिरी और वैभारगिरी को हरा-भरा बनाने के लिए वन विभाग ने ड्रोन तकनीक का उपयोग करने का फैसला किया है।
डीएफओ राजकुमार ने बताया कि मानव संसाधन की सीमाओं को ध्यान में रखते हुए ड्रोन के माध्यम से बीजों का छिड़काव किया जाएगा। यह प्रक्रिया बरसात के मौसम में स्वतः अंकुरण को बढ़ावा देगी। इससे हरियाली तेजी से फैलेगी। इसके अतिरिक्त इन पहाड़ी क्षेत्रों में 50 हजार पौधे भी रोपे जाएंगे।
नालंदा वन प्रमंडल ने इस वर्ष 7 लाख 70 हजार विभिन्न प्रजातियों के पौधे तैयार किए हैं। इनमें आम, अमरूद, शीशम, सागवान, पीपल, बरगद, अर्जुन, बकैन, अमलतास, कचनार, गुलमोहर, गुलर, अशोक, जामुन और महोगनी जैसे बहुउपयोगी और पर्यावरण हितैषी पौधे शामिल हैं। ये प्रजातियां न केवल पर्यावरण संरक्षण में सहायक हैं, बल्कि स्थानीय समुदाय के लिए आर्थिक और औषधीय लाभ भी प्रदान करेंगी।
इस पौधारोपण अभियान को सामुदायिक सहयोग से सफल बनाने के लिए जीविका समूहों की महिलाओं को भी इससे जोड़ा जा रहा है। जीविका के माध्यम से महिलाएं पौधारोपण और पौधों के संरक्षण में सक्रिय भूमिका निभाएंगी। यह कदम न केवल पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देगा, बल्कि ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने में भी सहायक होगा।
बता दें कि राजगीर वन क्षेत्र 3500 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। वन विभाग का दीर्घकालिक लक्ष्य इस पूरे क्षेत्र को घने जंगलों में तब्दील करना है। इसके लिए लगातार पौधारोपण और बीजारोपण कार्य किए जा रहे हैं।
डीएफओ ने बताया कि राजगीर के जंगलों और उनके आसपास के क्षेत्रों में भी बड़े पैमाने पर पौधारोपण किया जाएगा, ताकि क्षेत्र की जैव-विविधता को संरक्षित किया जा सके। राजगीर की पंच पहाड़ियां, जो ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं, जल्द ही हरियाली की नई पहचान बनेंगी।









