“इस रेफरल अस्पताल के बारे में समूचे प्रखंड क्षेत्र में यह कहावत काफी लोकप्रिय है ‘जनम के बिगड़ी कभी न सुधरी’…………..”
ऐसा नहीं है कि रेफरल अस्पताल में स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा मरीजों से पैसे वसूलने का कोई नया धंधा है।यह पहले से ही चला आ रहा है। जैसे थाना में कोई शिकायत या अपनी पीड़ा लेकर जाता है तो वहाँ पुलिसकर्मी शिकार करते हैं, वहीं परिपाटी अस्पताल में भी चल रही है।
रेफरल अस्पताल में स्वास्थ्य कर्मियों का एक संगठित गिरोह है। जो प्रसव कराने आई महिला मरीजों के परिजनों को अपना शिकार बनाती है।
गरीब और लाचार महिला मरीज को परिजन अस्पताल प्रसव के लिए लाते हैं कि उन्हें पैसे खर्च नहीं करने पडेगे। लेकिन यहाँ तो स्वास्थ्य कर्मियों की गिद्ध दृष्टि यह नही देखती है कि मरीज के परिजन की आर्थिक स्थिति क्या है।
बीते दिन प्रखंड के नरसंडा से प्रसव कराने आई मरीज के परिजन से सूई के नाम पर 180 रूपये ठग लिए। फिर प्रसव होने के बाद उनसे पैसे की मांग की गई।
कम पैसे देने पर ड्यूटी पर तैनात नर्से तन गई और यहां तक कह डाला कि पैसे नहीं रहता है तो अस्पताल क्यों लेकर आती हो।
अब इन बदमाश नर्सों को यह कौन समझाए कि अगर इन इन मरीजों के पास पैसे होते तो सरकारी अस्पताल क्यों आती।
ऐसा नहीं है कि चंडी रेफरल अस्पताल में नर्सो की कारिस्तानी की जानकारी चिकित्सा प्रभारी को नहीं है। लेकिन उन्होंने कभी भी कार्रवाई करने की जहमद नहीं उठाई। ऐसा लगता है, इन सब में उनकी भी भागीदारी है।
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