
इस्लामपुर (नालंदा दर्पण)। नालंदा लोकसभा क्षेत्र के सांसद कौशलेंद्र कुमार का पैतृक गांव हैदरचक। यह गांव न केवल राजनीतिक महत्व रखता है, बल्कि आसपास के दर्जनों गांवों के लिए एक प्रमुख आवागमन मार्ग का केंद्र भी है। लेकिन अफसोस की बात यह है कि इसी गांव के निकट खोरमपुर रेलवे हॉल्ट पर बना अंडरपास पुल रेलवे विभाग की देन है, अब ग्रामीणों के लिए एक स्थायी परेशानी का सबब बन चुका है।
वर्षों से इस अंडरपास में पानी जमा रहता है और हल्की बारिश होते ही सड़क जलमग्न हो जाती है। नतीजतन, वाहन चालक और पैदल यात्री कीचड़ भरे पानी में फंसकर असहाय हो जाते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अगर यहीं पर पुल के ऊपर से सड़क बनाई जाती, तो यह समस्या कभी न पैदा होती।
रेलवे विभाग ने खोरमपुर रेलवे हॉल्ट के पास इस अंडरपास का निर्माण करवाया था, ताकि रेलवे लाइन के दोनों ओर के गांवों के बीच आवागमन सुगम हो। लेकिन निर्माण के समय जल निकासी की कोई व्यवस्था नहीं की गई। हैदरचक गांव के अनुज कुमार, श्रवण कुमार, नीलेश कुमार, प्रभात कुमार और निरंजन कुमार ने ‘नालंदा दर्पण’ से बातचीत में बताया कि अंडरपास के नीचे सड़क पर पानी निकासी का कोई प्रबंध नहीं है। हल्की फुहार पड़ते ही पूरा मार्ग पानी से लबालब भर जाता है।
ग्रामीणों ने गुस्से भरे लहजे में कहा कि हमारे गांव से गुजरने वाला यह मार्ग हैदरचक, महदीपुर, वेश्वक, मिल्की, खुखचैनपर, मोहनपुर, सेखली, विष्णुपुर, औंगारी सहित कई गांवों के लोगों के लिए जीवनरेखा है। स्कूल जाने वाले बच्चे, बाजार जाने वाले किसान, मरीजों को अस्पताल ले जाने वाले वाहन सभी इसी रास्ते से गुजरते हैं। लेकिन जलजमाव के कारण दुर्घटनाएं आम हो गई हैं। मोटरसाइकिल फिसल जाती है, पैदल चलने वालों के कपड़े कीचड़ से सन जाते हैं।
ग्रामीणों का सुझाव है कि अंडरपास की जगह अगर पुल के ऊपर से सड़क बनाई जाती तो बारिश के बावजूद आवागमन निर्बाध रहता। उन्होंने रेलवे अधिकारियों से कई बार शिकायत की, लेकिन कोई स्थायी समाधान नहीं निकला। वर्षों से यह समस्या जस की तस बनी हुई है, जो विभागीय लापरवाही की जीती-जागती मिसाल है।
हैदरचक की यह समस्या अकेली नहीं है। निकटवर्ती वरदाहा गांव में भी रेलवे द्वारा बनाए गए अंडरपास सड़क मार्ग पर बारिश के दिनों में पानी भर जाता है। वरदाहा के समाजसेवी अजय यादव, मिथलेश चौधरी और पुनम देवी ने बताया कि वरदाहा, नंदलाल विगहा, मदारगंज, महमुदा आदि गांवों को जोड़ने वाला यह मार्ग भी जलजमाव की चपेट में है।
ग्रामीणों ने दुखी स्वर में कहा कि रेलवे ने सड़क तो बना दी, लेकिन पानी निकासी के लिए कोई नाला या पाइप की व्यवस्था नहीं की। मानसून आते ही अंडरपास एक तालाब बन जाता है। वाहन चालक पानी में फंसकर घंटों इंतजार करते हैं। महिलाएं और बच्चे सबसे ज्यादा परेशान होते हैं। हमने स्थानीय प्रशासन और रेलवे को बार-बार अवगत कराया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं।
ग्रामीणों के अनुसार इस मार्ग से रोजाना सैकड़ों वाहन और हजारों लोग गुजरते हैं। जलजमाव न केवल समय बर्बाद करता है, बल्कि स्वास्थ्य जोखिम भी बढ़ाता है। कीचड़ भरा पानी मच्छरों का अड्डा बन जाता है, जिससे डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियां फैलने का खतरा रहता है।
ग्रामीणों ने मांग की है कि रेलवे विभाग जल निकासी के लिए तुरंत पाइपलाइन या नाला बनवाए। लंबे समय के लिए अंडरपास को ऊंचा करके या पुल के ऊपर सड़क बनाकर स्थायी हल निकाला जाए। सांसद कौशलेंद्र कुमार का पैतृक गांव होने के बावजूद इस समस्या पर ध्यान न देना आश्चर्यजनक है। ग्रामीणों ने सांसद से हस्तक्षेप की अपील की है, ताकि उनके क्षेत्र की यह मूलभूत समस्या हल हो सके।









