राजगीर (नालंदा दर्पण)। बिहार में पर्यटन और आवागमन को नई रफ्तार देने के लिए राजगीर-करौटा टूरिस्ट वे का टू-लेन मार्ग जल्द ही शुरू होने वाला है। इस बहुप्रतीक्षित सड़क परियोजना के उद्घाटन के साथ ही करौटा-राजगीर के फोरलेन निर्माण की आधारशिला भी रखी जाएगी।
इस सड़क के बनने से पटना और राजगीर के बीच की दूरी 31 किलोमीटर कम हो जाएगी, जिससे मौजूदा 108.43 किलोमीटर की दूरी घटकर मात्र 77 किलोमीटर रह जाएगी। इस नए मार्ग से पटना से राजगीर की यात्रा अब महज डेढ़ घंटे में पूरी हो सकेगी, जो यात्रियों और पर्यटकों के लिए एक बड़ी राहत होगी।
बता दें कि सालेपुर-नरसंडा-तेलमर-करौटा पथ के 19 किलोमीटर लंबे टू-लेन मार्ग के निर्माण पर कुल 265 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। इस सड़क की चौड़ाई 10 मीटर रखी गई है और नरसंडा के पास एक फ्लाईओवर का निर्माण भी किया गया है। इस परियोजना की शुरुआत साल 2021 में हुई थी और अब इसका निर्माण कार्य लगभग पूरा हो चुका है।
भविष्य में यही मार्ग करौटा-राजगीर टूरिस्ट वे के रूप में विकसित होगा। पूरी परियोजना पर कुल 8 अरब 62 करोड़ 63 लाख रुपये खर्च होने का अनुमान है। जबकि शुरुआती योजना में इसके लिए 490 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए थे। पुल निर्माण निगम के अधिकारियों के अनुसार विश्वस्तरीय गुणवत्ता और बढ़ती ट्रैफिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए बजट में वृद्धि की गई है।
बुद्ध सर्किट और पर्यटन को बढ़ावाः यह सड़क पटना से राजगीर को जोड़ने वाली सबसे कम दूरी वाला मार्ग होगी और इसे टूरिस्ट वे ऑफ राजगीर के नाम से जाना जाएगा। यह बुद्ध सर्किट का हिस्सा बनेगा। जिसमें कुशीनगर, वैशाली, करौटा, तेलमर, राजगीर, गया और सारनाथ को एक रिंग रोड के रूप में जोड़ा जाएगा।
इस मार्ग को फोरलेन और एक्सप्रेस-वे के रूप में विकसित करने की योजना है। खास बात यह है कि अगर जापान सरकार इस परियोजना को अपने अधीन लेती है तो यह देश की पहली रबर सड़क बन सकती है। इसके लिए प्रयास जारी हैं।
इस सड़क को पूरी तरह ट्रैफिक-मुक्त बनाने की योजना है। ताकि यात्रियों को पटना से राजगीर पहुंचने में डेढ़ घंटे से ज्यादा समय न लगे। फोरलेन सड़क के दोनों ओर 7.5 मीटर चौड़ी पक्की सड़क होगी। बीच में 1 मीटर का डिवाइडर और दोनों किनारों पर डेढ़-डेढ़ मीटर का फर्लेक बनाया जाएगा। इस परियोजना के लिए जिले के चंडी, हरनौत और बख्तियारपुर में करीब 75 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा।
इस सड़क के बनने से न केवल पटना और राजगीर के बीच की दूरी कम होगी, बल्कि यह शहर से बाहर जाने के लिए एक बेहतर और तेज विकल्प भी साबित होगा। यह परियोजना नालंदा और आसपास के इलाकों में पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ स्थानीय लोगों के लिए रोजगार और आर्थिक अवसर भी पैदा करेगी। बढ़ती ट्रैफिक समस्याओं को देखते हुए इस सड़क को राज्य के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
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