राजगीर में पर्यटकों की भीड़, लेकिन कुप्रबंधन बनी बड़ी चुनौती 

अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन क्षेत्र राजगीर की प्राकृतिक और ऐतिहासिक धरोहर उसे एक खास मुकाम दिलाती है, लेकिन फिलहाल प्रबंधन की कमियों के कारण यह अपनी चमक खोता दिख रहा है…

राजगीर (नालंदा दर्पण)। बिहार के ऐतिहासिक और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर शहर राजगीर प्रक्षेत्र में इन दिनों देशी-विदेशी पर्यटकों का जमावड़ा देखा जा रहा है। पर्यटकों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है। खासकर नेचर सफारी और जू सफारी जैसे आधुनिक पर्यटन स्थल इन दिनों पर्यटकों के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं। लेकिन बढ़ती भीड़ और प्रबंधन की लचर व्यवस्था के कारण पर्यटकों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जिससे उनका अनुभव कड़वा हो रहा है। 

नेचर सफारी में स्थित ग्लास स्काईवॉक ब्रिज पर्यटकों के लिए सबसे बड़ा आकर्षण बना हुआ है। इस पारदर्शी कांच के पुल पर चलने का रोमांच अनुभव करने के लिए पर्यटक सुबह 4 बजे से ही टिकट काउंटर के बाहर लंबी कतारों में खड़े नजर आते हैं। लेकिन भीड़ इतनी अधिक है कि कई पर्यटकों को टिकट नहीं मिल पाता है और उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ता है। काफी समय ऑनलाइन टिकट बुकिंग सुविधा बंद है। जिसके कारण सारी व्यवस्था ऑफलाइन टिकटों पर टिकी हुई है। नतीजतन लंबी कतारों और घंटों इंतजार के बाद भी कई लोगों का सपना अधूरा रह जाता है।

नेचर सफारी प्रबंधन के अनुसार तकनीकी खराबी के कारण ऑनलाइन बुकिंग सिस्टम में दिक्कत आ रही है। इसे ठीक करने के लिए युद्ध स्तर पर काम चल रहा है और हमें उम्मीद है कि अगले दो-तीन दिनों में यह सुविधा फिर से शुरू हो जाएगी। हालांकि पर्यटकों का कहना है कि प्रबंधन को पहले से ही बढ़ती भीड़ को देखते हुए वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए थी।

लेकिन नेचर सफारी और जू सफारी से लौटने वाले पर्यटकों के चेहरों पर उत्साह की जगह निराशा साफ झलक रही है। कई पर्यटकों ने शिकायत की कि टिकट के मूल्य के हिसाब से अंदर सुविधाएं नाकाफी हैं। नेचर सफारी का प्रमुख आकर्षण माना जाने वाला बड़ा सस्पेंशन ब्रिज रखरखाव के नाम पर बंद पड़ा है। वहीं ग्लास स्काईवॉक ब्रिज पर भी पर्यटकों को ज्यादा देर रुकने की इजाजत नहीं दी जा रही है।

जू सफारी में भी हालात कुछ अलग नहीं हैं। पर्यटकों का कहना है कि वन्य जीव बहुत कम दिखाई देते हैं। जिससे सफारी का रोमांच फीका पड़ जाता है। इसके अलावा जू सफारी के कैफेटेरिया में खाने-पीने की चीजों की कीमतें बाजार से दोगुनी हैं। एक साधारण चाय के लिए 50 रुपये वसूले जा रहे हैं, जो आम आदमी के लिए भारी पड़ रहा है।

पर्यटकों ने सरकार और प्रबंधन से टिकट की कीमतों में कटौती या सुविधाओं में सुधार की मांग की है। पर्यटकों के अनुसार राजगीर का प्राकृतिक सौंदर्य बेमिसाल है। लेकिन इसे आम आदमी तक पहुंचाने के लिए टिकट के दाम कम होने चाहिए। अगर ऐसा नहीं हो सकता तो कम से कम सुविधाएं तो बेहतर की जाएं। कई पर्यटकों ने यह भी सुझाव दिया कि ऑनलाइन बुकिंग सिस्टम को मजबूत करने के साथ-साथ ऑफलाइन काउंटरों की संख्या बढ़ाई जाए। ताकि भीड़ को नियंत्रित किया जा सके।

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