ग्रामीण विकास मंत्री जी, अपने गांव-जेवार में सड़क की हालत देखिए !

राजगीर (नालंदा दर्पण)। बेन प्रखंड मुख्यालय से मांड़ी, इनायतपुर और नालंदा-बेन को जोड़ने वाली सड़क की हालत इतनी बदहाल हो चुकी है कि ग्रामीणों का जीना मुहाल हो गया है। सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे और उखड़ी गिट्टियां आए दिन लोगों के लिए मुसीबत का सबब बन रही हैं।
यहां पैदल चलना तो दूर मोटरसाइकिल, साइकिल और चार पहिया वाहनों का चलना भी जोखिम भरा हो गया है। यह सड़क कभी ग्रामीणों के लिए सुगम आवागमन का जरिया थी। लेकिन आज उनकी परेशानियों का प्रतीक बन चुकी है।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत आठ वर्ष पूर्व बनी यह सड़क अब पूरी तरह जर्जर हो चुकी है। सड़क की गिट्टियां उखड़कर बिखर गई हैं, जिससे बाइक सवारों और पैदल यात्रियों को हर कदम पर खतरा मोल लेना पड़ता है।
बरसात के मौसम में तो हालात और बदतर हो जाते हैं, जब सड़क पर कीचड़ और पानी जमा हो जाता है। इस सड़क से प्रादुमन बिगहा, दवाई बिगहा, बभनियावां, इनायतपुर, मरसुआ, मांड़ी और महमदपुर जैसे कई गांवों के लोग प्रखंड मुख्यालय आते-जाते हैं। लेकिन खस्ताहाल सड़क उनके लिए हर रोज की चुनौती बन गई है।
स्थानीय लोगों ने सड़क की मरम्मत के लिए बार-बार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाई। लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही। ग्रामीणों का कहना है कि सड़क निर्माण में शुरू से ही गुणवत्ता की कमी थी, जिसके कारण यह इतनी जल्दी टूट गई।
- महेंद्र राम ने कहा, “सड़क की खराबी से साइकिल, बाइक, और पैदल चलना तक मुश्किल हो गया है। बरसात में तो कीचड़ और गड्ढों में पानी भर जाता है, जिससे रास्ता और खतरनाक हो जाता है।”
- अरविंद कुमार उर्फ भोली बाबू ने आरोप लगाया, “सड़क निर्माण में प्राक्कलन के अनुसार काम नहीं हुआ। गुणवत्ता की कमी के कारण सड़क कम समय में ही टूट गई। मरम्मत की कोई पहल नहीं हो रही।”
- राजकिशोर प्रसाद ने बताया, “दिन में तो लोग किसी तरह चल लेते हैं, लेकिन रात में सड़क पर चलना बेहद जोखिम भरा है। गड्ढों की वजह से हादसे का डर बना रहता है।”
- उपेंद्र प्रसाद ने मांग की, “इस सड़क से कई गांवों के लोग और स्कूली बच्चे आते-जाते हैं। गड्ढों की वजह से उन्हें खासी परेशानी होती है। तत्काल मरम्मत कराई जाए।”
- रामप्रवेश प्रसाद ने कहा, “ग्रामीण सड़कों की मरम्मत और निर्माण में भारी लापरवाही बरती जा रही है। अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को बार-बार अवगत कराने के बावजूद कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा।”
- अजय प्रसाद ने चिंता जताई, “सड़क को बने आठ साल हो गए। बरसात में कीचड़ के बीच हिचकोले खाते हुए चलना पड़ता है। हालात सुधरने की कोई उम्मीद नहीं दिख रही।”
वहीं ग्राम पंचायत राज एकसारा के मुखिया प्रतिनिधि नीरज प्रसाद ने बताया कि सड़क मरम्मत का टेंडर हो चुका है, लेकिन काम कब शुरू होगा और कब तक पूरा होगा, इसकी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है।
उन्होंने कहा कि हमने कई बार अधिकारियों से बात की, लेकिन ठोस जवाब नहीं मिला। ग्रामीणों की परेशानी को देखते हुए जल्द से जल्द काम शुरू होना चाहिए।
ग्रामीणों का आरोप है कि सड़क निर्माण में शुरू से ही भ्रष्टाचार हुआ। प्राक्कलन के अनुसार न तो सामग्री का उपयोग किया गया और न ही गुणवत्ता का ध्यान रखा गया। नतीजतन सड़क कुछ ही सालों में जर्जर हो गई। ग्रामीणों ने मांग की है कि सड़क की मरम्मत के साथ-साथ पुराने निर्माण की जांच भी कराई जाए। ताकि दोषियों पर कार्रवाई हो सके।
बता दें कि यह सड़क जिस गांव से होकर गुजरती है, वह ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार का पैतृक जेवार है। ऐसे में ग्रामीणों में इस बात को लेकर और ज्यादा आक्रोश है कि उनके अपने गांव की सड़क की यह हालत है, फिर बाकी गांवों का क्या हाल होगा?
ग्रामीणों का कहना है कि अगर मंत्री अपने गांव जेवार की सड़क की सुध नहीं ले सकते तो पूरे राज्य के ग्रामीण विकास की क्या उम्मीद की जाए?

बहरहाल, सवाल यह है कि क्या ग्रामीण विकास मंत्री अपने गांव की इस बदहाल सड़क की सुध लेंगे? या फिर ग्रामीणों को अपनी परेशानियों के साथ जूझते रहना होगा? जवाब का इंतजार जेवार के ग्रामीणों के साथ नालंदा दर्पण को भी है।