अब बिहार में खुद हथियार लेकर घुमेगें पंचायत प्रतिनिधि!

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार के पंचायत प्रतिनिधियों की लंबे समय से चली आ रही सुरक्षा संबंधी मांग को आखिरकार राज्य सरकार ने स्वीकार कर लिया है। त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं और ग्राम कचहरी के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के लिए अब हथियार लाइसेंस प्राप्त करने का रास्ता साफ हो गया है। इस निर्णय से राज्य के करीब ढाई लाख पंचायत प्रतिनिधियों को लाभ मिलने की उम्मीद है।
गृह विभाग के अवर सचिव मनोज कुमार सिन्हा ने सभी जिलों के जिलाधिकारियों, वरीय पुलिस अधीक्षकों और पुलिस अधीक्षकों को इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं। पत्र में स्पष्ट किया गया है कि जिन पंचायत प्रतिनिधियों ने अपनी सुरक्षा का हवाला देते हुए हथियार लाइसेंस के लिए आवेदन किया है, उनकी जांच निर्धारित समय के भीतर पूरी कर लाइसेंस जारी किया जाएगा। यह फैसला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की घोषणा के अनुरूप लिया गया है, जिसमें उन्होंने पंचायत प्रतिनिधियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने की बात कही थी।
बता दें कि पंचायत प्रतिनिधि लंबे समय से अपनी सुरक्षा को लेकर आवाज उठाते रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाले ये जनप्रतिनिधि अक्सर असामाजिक तत्वों और अपराधियों के निशाने पर रहते हैं। हाल के वर्षों में कई मुखिया और सरपंचों की हत्या ने इस मुद्दे को और गंभीर बना दिया था।
बिहार राज्य पंच-सरपंच संघ के अध्यक्ष आमोद निराला ने बताया कि आम जनता के बीच रहकर काम करने वाले इन प्रतिनिधियों को हमेशा खतरा बना रहता है।
वहीं मुखिया महासंघ के अध्यक्ष मिथिलेश कुमार राय ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह कदम बहुत पहले उठाया जाना चाहिए था। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री की घोषणा से ठीक दो दिन पहले लखीसराय जिले में मुखिया चंदन सिंह की अपराधियों ने हत्या कर दी थी।
बकौल श्री राय, आंकड़ों के मुताबिक पिछले तीन वर्षों में बिहार में 24 मुखिया और 13 सरपंचों की हत्या हो चुकी है। इसके अलावा जंदाहा में एक प्रमुख की भी हत्या हुई है। ये घटनाएं पंचायत प्रतिनिधियों की सुरक्षा के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत को रेखांकित करती हैं।
सरकार के इस फैसले को पंचायत स्तर पर जनप्रतिनिधियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक सकारात्मक और ऐतिहासिक पहल माना जा रहा है। आमोद निराला ने कहा कि हथियार लाइसेंस मिलने से जनप्रतिनिधि अधिक आत्मविश्वास के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर सकेंगे। मिथिलेश कुमार राय ने भी इस कदम को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि इससे ग्रामीण स्तर पर लोकतंत्र को और मजबूती मिलेगी।
हालांकि इस फैसले के साथ कुछ चुनौतियां भी हैं। हथियार लाइसेंस की जांच प्रक्रिया को पारदर्शी और त्वरित रखना जरूरी होगा। ताकि इसका दुरुपयोग न हो। साथ ही जनप्रतिनिधियों को हथियारों के जिम्मेदार उपयोग के लिए प्रशिक्षण और जागरूकता की भी आवश्यकता होगी।