राजगीर (नालंदा दर्पण)। Rural Works Department Division Rajgir: नालंदा जिले में जिस तेजी से सड़क और पुल-पुलिया के निर्माण हो रहे हैं, उसमें अधिक रफ्तार भ्रष्टाचार बरते जाने की स्पीड है। जब कोई ऐसा मामला प्रकाश में आता तो पूरा प्रशासनिक अमला उसपर पर्दा डालने में जुट जाता है। किसी भी स्तर से जिम्मेवार अफसरों और संवेदकों की लूट को कई नोटिश नहीं ली जाती है।
एक ऐसा ही ताजा मामला सिलाव प्रखंड अंतर्गत भूई रोड से गोरमा गांव जाने वाली संपर्क सड़क को लेकर देखने को मिला है। महज दो माह पहले बनी यह सड़क हल्की बारिश में ही जहां-तहां धंस गया। उसमें दरारें आ गई। पुलिया भी क्षतिग्रस्त हो गया। जबकि करीब 1.45 किलोमीटर लंबी इस सड़क का निर्माण कार्य लगभग 80 लाख रुपये की लागत से 16 अप्रैल 2024 को पूरा हुआ दर्शाया गया है।
लेकिन इस मामले के सुर्खियों में आने के बाद प्रशासन और सड़क निर्माण विभाग का रवैया चौंकाने वाले सामने आए हैं। स्थानीय प्रशासन से लेकर जिला प्रशासन तक अपनी आँख-कान बंद कर ली, वहीं विभागीय तौर पर इस मिट्टी डालने की मुहिम शुरु हो गई।
कहते हैं कि खुद ग्रामीण कार्य विभाग के कार्य प्रमंडल राजगीर के कार्यपालक अभियंता ब्रजेश कुमार सड़क का मुआयना करने गए और सिलाव प्रखंड के भूई रोड से गोरमा गांव जाने वाली सड़क पर जहां बारिश के कारण मिट्टी धंसने से सड़क में दरार आ गई है, उसपर लाल मिट्टी डलवा दी है। ताकि उनके विभाग में व्याप्त लूट-खसोंट भी ढक जाए।
खुला भ्रष्टाचार युक्त इस नवनिर्मित सड़क की बदहाली को लेकर विभागीय राजगीर प्रमंडल कार्यपालक अभियंता ब्रजेश कुमार की दलील है कि पुल बिल्कुल सही है। इसमें कोई दरार नहीं आई है। केवल एप्रोच पथ बरसात के कारण थोड़ा दब गया था और सड़क में दरार आई थी। उसपर तुरंत कार्रवाई करते हुए लाल मिट्टी भरवा दी है।
खबरों के अनुसार उनकी आगे दलील है कि बरसात के बाद इस हिस्से का कालीकरण किया जाएगा। साथ ही, जहां पुल के पास बारिश के कारण कटाव हो रहा है, वहां पर सैंड बैग डाले जा रहे हैं। लगातार बारिश के कारण दोनों किनारे के अप्रोच में दरार आई है, जिसका फिलहाल निरीक्षण कर त्वरित कारवाई करते हुए ठीक किया गया है।
दरअसल, नालंदा जिले में ग्रामीण सड़क निर्माण में कही सबसे अधिक सरकारी राशि की लूट हुई है या हो रही है तो वह है ग्रामीण कार्य विभाग के कार्य प्रमंडल राजगीर। यहां के अधिकारी, संवेदक और बिचौलिया की तिकड़ी विकास योजनाओं का बेड़ा गर्क कर रखा है। चूकि ऐसे तिकड़ी को विभागीय मंत्री का खुला संरक्षण मिला हुआ है, इसलिए यहां मनमानी का स्तर कहीं अधिक बढ़ गया है।
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