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Rajgir-Koderma railway line: मार्च से सरपट दौड़ेंगी ट्रेनें, पर्यटकों के लिए रोमांचकारी होगी यात्रा

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। राजगीर से कोडरमा भाया तिलैया रेल खंड (Rajgir-Koderma railway line) पर मार्च से ट्रेनों का परिचालन आरंभ होगा। इसको लेकर इस रेलखंड में बचे हुए कामों को जोर शोर से पूरा किया जा रहा है। राजगीर से तिलैया तक की दूरी 46 किलोमीटर है।

वहीं तिलैया से कोडरमा तक कि दूरी 64 किलोमीटर है। राजगीर से तिलैया तक ट्रेनों का परिचालन वर्षों पहले चालू है। तिलैया से खरौद कुल 24 किलोमीटर रेलखंड का निर्माण कार्य वर्षों पहले पूरा हो गया है। उसका सीआरएस और स्पीड ट्रायल भी रेलवे अधिकारियों द्वारा किया जा चुका है।

खबरों के अनुसार धनबाद रेल डिवीजन द्वारा कोडरमा से झराही रेलवे स्टेशन कुल 17 किलोमीटर रेलवे ट्रैक का भी निर्माण कार्य किया जा चुका है। परंतु घने जंगलों और पहाड़ों के बीच से गुजरने वाले इस रेलखंड में 23 किलोमीटर का काम अभी अपूर्ण है। लेकिन बचे कामों को काफी तेजी से ससमय पूरा करने की कोशिश की जा रही है।

रेलवे के अनुसार खरौद से झराही स्टेशन के बीच लगभग 10 किलोमीटर रेल लाइन बनाने का काम पूरा हो गया है। खरौंद स्टेशन से जमुंदाहा स्टेशन के बीच कुल 15 किलोमीटर का काम बचा है। बचे हुए रेलखंड पर चार सुरंग और सात बड़ा ब्रिज का निर्माण होना है।

इसमें साढ़े तीन-तीन मीटर का दो सुरंग, 2.55 मीटर का एक सुरंग व 2.20 मीटर का एक सुरंग बनना है। इसमें साढे तीन मीटर के एक सुरंग का निर्माण कार्य पूरा हो गया है। साढ़े तीन मीटर के दूसरे सुरंग का काम करीब 80 प्रतिशत पूरा हो गया है।

दो अन्य सुरंगों के निर्माण का काम भी तेजी से किया जा रहा है। सात बड़े ब्रिज के निर्माण को लेकर भी काम प्रगति पर है। ब्रिजों का निर्माण कार्य दिसम्बर तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित है।

रेलवे अधिकारी का मानें तो जिस गति से काम चल रहा है और किसी तरह का रुकावट नहीं हुआ है तो मार्च 2025 तक राजगीर-कोडरमा भाया तिलैया रेलखंड पर रेलगाड़ियों का परिचालन हो सकता है।

ज्ञात हो कि राजगीर-कोडरमा भाया तिलैया रेलखंड की मंजूरी 2004 में मिली थी। इसके भूमि अधिग्रहण, किसानों के मुआवजा का भुगतान और वन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने आदि में काफी समय लग गया।

रेलवे के अनुसार इस रेलखंड का निर्माण चार फेज में शुरू किया गया। राजगीर-तिलैया रेलखण्ड को प्रथम फेज में रखा गया। खरौंद से झराही और जमूंदाहा रेलवे स्टेशन तक फैले वन क्षेत्र का अनापत्ति प्रमाण पत्र मिलने में हुई देरी का इसके निर्माण में बिलंब का बड़ा कारण है।

पर्यटकों के लिए बिहार-झारखंड के बीच बढ़ेगी रेल कनेक्टिविटीः इस रेलखंड के शुरू होने के बाद बिहार और झारखंड के बीच रेल कनेक्टिविटी बढ़ जायेगी। राजगीर और पटना, बख्तियारपुर से कोडरमा व रांची रेल से जाना आसान हो जाएगा। नालंदा, शेखपुरा, नवादा, गया जिले के लोगों के लिए यह रेल मार्ग बरदान साबित होगा।

झारखंड से व्यापार करना इस क्षेत्र के लोगों के लिए आसान हो जाएगा। इस क्षेत्र के बहुत से व्यापारी सीधे तौर पर झारखंड से जुड़े हैं। कृषि उत्पादन इस क्षेत्र के लोगों का प्रमुख व्यापार है, जो झारखंड के रांची, धनबाद कोडरमा आदि शहरों से जुड़ा हुआ है।

पर्यटकों के लिए रोमांचकारी होगी इस रेलखंड की यात्राः पर्यटक स्थल राजगीर, नालंदा, पावापुरी, ककोलत आदि इस रेलखंड से सीधे जुड़ जायेंगे। तब झारखंड और पश्चिम बंगाल से राजगीर आने वाले पर्यटकों को काफी सहुलियत होगी।

घनें जंगलों, पहाड़ों और सुरंगों से भरा पूरा इस रेलखंड पर पर्यटकों की यात्रा और भी आनंदित करने वाला होगा। घने जंगलों से गुजरती ट्रेन और चारों ओर हरी-भरी वादियां, जंगली जानवरों और जंगली पशु पक्षियों की कोलाहल सफर को और भी खुशनुमा बना देगा।

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