Home धर्म-कर्म Sheetalashtami : माता शीतला मंदिर में उमड़ेंगे श्रद्धालु, लगेगा भव्य मेला

Sheetalashtami : माता शीतला मंदिर में उमड़ेंगे श्रद्धालु, लगेगा भव्य मेला

Sheetalashtami: Devotees will flock to Mata Sheetla temple, a grand fair will be organized
Sheetalashtami: Devotees will flock to Mata Sheetla temple, a grand fair will be organized

शीतलाष्टमी (Sheetalashtami) माता शीतला के इस पवित्र स्थल पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए यह मेला एक विशेष धार्मिक अवसर होता है। यहां भक्ति, आस्था और उत्सव का अद्वितीय संगम देखने को मिलता है…

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले के प्रसिद्ध सिद्धपीठ माता शीतला मंदिर मघड़ा में हर साल की तरह इस वर्ष भी 21-22 मार्च को शीतलाष्टमी (Sheetalashtami) का भव्य मेला आयोजित किया जाएगा। यह दो दिवसीय मेला चैत्र कृष्णपक्ष सप्तमी से शुरू होकर अष्टमी तक चलेगा। इसमें लाखों श्रद्धालुओं के जुटने की संभावना है।

माता शीतला का यह मंदिर देश-विदेश में प्रसिद्ध है और यहां चेचक से पीड़ित लोग माता के दर्शन करने आते हैं। मान्यता है कि यहां आने से चेचक जैसी बीमारियों से मुक्ति मिलती है। मंदिर से जुड़ी इस मान्यता के कारण श्रद्धालु बड़ी संख्या में यहां आकर पूजा-अर्चना करते हैं और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की कामना करते हैं।

इस मेले के दौरान मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन द्वारा कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। पुलिस बल की तैनाती के साथ-साथ पूरे क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। ताकि मेले के दौरान शांति व्यवस्था बनी रहे।

श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए मेला आयोजन समिति ने बिजली, पेयजल, शौचालय, प्रकाश और पार्किंग की व्यवस्था की है। इसके अलावा मेले में विभिन्न प्रकार के झूले, खेल-तमाशे और खाने-पीने की दुकानें भी लगाई गई हैं। ये बच्चों और बड़ों दोनों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेंगी।

शीतलाष्टमी के दिन मघड़ा गांव और आसपास के क्षेत्रों में चूल्हे नहीं जलाए जाएंगे। यह परंपरा प्राचीन समय से चली आ रही है। सप्तमी के दिन बनाए गए भोजन (बासी भोजन) का ही सेवन अष्टमी को किया जाता है। श्रद्धालु सुबह-सुबह स्नान कर व्रत रखते हैं और माता शीतला को दही, चावल, पूड़ी और हलवा जैसे ठंडे व्यंजन अर्पित करते हैं।

माता शीतला मंदिर का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व काफी गहरा है। मंदिर में स्थित 13 इंच की शीतला माता की प्रतिमा एक कुएं से प्राप्त हुई थी।  मान्यता है कि चेचक के प्रकोप को समाप्त करने के लिए माता ने ग्रामीणों को दर्शन दिए थे। मंदिर के पास पंचाने नदी का मुहाना भी स्थित है। जोकि श्रद्धालुओं को शांति और शीतलता का अनुभव कराता है।

इस मंदिर की चर्चा गुप्त काल के दौरान भी होती रही है। चीनी यात्री फाहियान ने भी इस मंदिर में पूजा-अर्चना की थी और अपनी रचनाओं में इस पवित्र स्थल का उल्लेख किया है।

शीतला माता की चार भुजाओं वाली प्रतिमा धार्मिक मान्यताओं के अनुसार विशेष रूप से पूजनीय है। उनके एक हाथ में अमृत कलश, दूसरे में दुर्गा की पुस्तक, तीसरे हाथ में नीम की डाली और चौथे हाथ में विभूति और फूल की झोली है। ऐसी मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु यहां सच्चे मन से माता की आराधना करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

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