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    Thursday, December 12, 2024
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      बिहार शिक्षा व्यवस्था में विचित्र वर्गीकरण, कार्य एक, कैडर चार

      नालंदा दर्पण डेस्क। बिहार शिक्षा व्यवस्था में एक अनोखा और जटिल वर्गीकरण है। यहां सरकारी स्कूलों में शिक्षकों को चार अलग-अलग कैडरों में विभाजित किया गया है। यह विभाजन शिक्षकों की नियुक्ति, वेतनमान और सुविधाओं के आधार पर किया गया है। जबकि सभी का मुख्य कार्य पठन-पाठन ही है। इस वर्गीकरण ने राज्य के शिक्षा जगत में एक अजीब स्थिति उत्पन्न कर दी है।

      ग्रेड पे शिक्षकः इस कैडर के शिक्षक वे हैं, जिन्होंने ‘ग्रेड पे’ प्रणाली के तहत जॉइन किया था। समय के साथ इनकी संख्या काफी कम हो गई है। ग्रेड पे शिक्षक बिहार के किसी भी स्कूल में तबादला किए जा सकते हैं। इनका तबादला जिला स्तर पर जिला शिक्षा पदाधिकारी (DEO) द्वारा किया जाता है, जिससे यह कैडर अन्य कैडरों की तुलना में थोड़ा लचीला है।

      नियोजित शिक्षकः बिहार सरकार द्वारा नियुक्त नियोजित शिक्षकों के लिए कोई स्पष्ट ट्रांसफर पॉलिसी नहीं है। इनका तबादला केवल उनकी नियोजन इकाई के भीतर हो सकता है। ग्राम पंचायत से लेकर प्रखंड स्तर तक की इकाइयों में इनके तबादले की संभावना रहती है। यह कैडर सबसे अधिक संख्या में शिक्षकों का प्रतिनिधित्व करता है, लेकिन इनके पास सरकारी शिक्षक जैसी सुविधाएं और अधिकार नहीं होते।

      BPSC शिक्षकः 2023 और 2024 में बिहार सरकार ने BPSC (बिहार लोक सेवा आयोग) के माध्यम से नई नियुक्तियां की हैं। TRE 1 और TRE 2 परीक्षाओं के माध्यम से इन शिक्षकों का चयन हुआ है। ये शिक्षक सरकारी नियमों के अनुसार बिहार के किसी भी स्कूल में तबादला किए जा सकते हैं। हालांकि, फिलहाल ये शिक्षक प्रोबेशन अवधि में हैं, और उनका ट्रांसफर सरकार के निर्णय के अधीन होता है।

      विशिष्ट शिक्षक कैडरः यह सबसे नया कैडर है, जिसे बिहार सरकार ने हाल ही में बनाया है। इस कैडर में वे शिक्षक शामिल होंगे जो सक्षमता परीक्षा (कंपिटेंसी टेस्ट) पास करेंगे। यह कैडर नियोजित शिक्षकों के लिए एक तरह से प्रमोशन का रास्ता है, क्योंकि विशिष्ट शिक्षक बनने पर उन्हें राज्यकर्मी का दर्जा मिलेगा। इस कैडर के तहत शिक्षक अधिक अधिकार और सुविधाएं प्राप्त कर सकेंगे।

      जाहिर है कि बिहार के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों का वर्गीकरण राज्य की शिक्षा व्यवस्था को जटिल बनाता है। एक ही कार्य के बावजूद वेतन, ट्रांसफर और सुविधाओं में असमानता ने शिक्षकों के बीच विभाजन की स्थिति पैदा कर दी है। इस विचित्र प्रणाली को सरल और पारदर्शी बनाने की आवश्यकता है। ताकि सभी शिक्षक समान अधिकारों और सुविधाओं का लाभ उठा सकें और राज्य की शिक्षा प्रणाली अधिक कुशल बन सके।

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