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    Monday, October 14, 2024
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      लोकसभा पहुंची प्रागैतिहासिक कालीन मगध सम्राट जरासंघ अखाड़ा की दुर्गति

      नालंदा दर्पण डेस्क। स्थानीय सांसद कौशलेन्द्र कुमार ने लोकसभा में शून्यकाल के दौरान जरासंध अखाड़ा का मामला उठाया और केन्द्र सरकार से इसका विकास करने की मांग की।

      The misfortune of the prehistoric Magadha Emperor Jarasangh arena reached the Lok Sabha 2उन्होंने संसद में कहा कि राजगीर में स्थित यह अखाड़ा भारतीय इतिहास का गौरव है। युवाओं व शोधकर्ताओं के लिए यह कौतूहल का विषय है। नालंदा में स्थित ऐतिहासिक एवं महत्वपूर्ण स्थलों में इसका विशेष स्थान है।

      उन्होंने कहा कि द्वापरकालीन इतिहास की झलक यहां मिलती है। यहां मगध सम्राट जरासंध खुद दांव आजमाते थे। यहीं पर जरासंध और भीम के बीच लगातार 28 दिनों तक मल्ल युद्ध हुआ था।

      The misfortune of the prehistoric Magadha Emperor Jarasangh arena reached the Lok Sabha 1उन दिनों अखाड़े को दूध से पटाया जाता था। इसकी मिट्टी आज भी भुरभुरी है। यह देश ही नहीं, दुनिया के दुर्लभ अखाड़ों में से एक है।

      दुर्भाग्य है कि इसकी वर्तमान हालत काफी दयनीय है। अब यह एक टीला मात्र रह गया है। धरोहर ओर गौरवशाली इतिहास की उपेक्षा की जा रही है। उन्होंने जल्द से जल्द इसका विकास करने का अनुरोध किया है।

      महाभारत में भीम और जरासंध की लड़ाई काफी प्रसिद्ध है। जरासंध मगध का महान शासक था। उसकी राजधानी राजगृह (राजगीर, अब बिहार में) थी। भीम और और जरासंध में 18 दिनों तक युद्ध हुआ था। जिस अखाड़े में दोनों के बीच युद्ध हुआ वह आज भी राजगीर में मौजूद है।

      जरासंध ने 99 राजाओं को पराजित कर उन्हें बलि के रूप में पेश करने के लिए कैद कर लिया था। चूंकि वे एक ताकतवर और अजेय पहलवान थे, इसलिए वह राजाओं को चुनौती देते थे कि वे अपने कुश्ती चौक पर उनके साथ कुश्ती करें।

      The misfortune of the prehistoric Magadha Emperor Jarasangh arena reached the Lok Sabha 2जरासंध की योजना को समाप्त करने के लिए कृष्ण ने भीम को सलाह दी कि वह जरासंध को मारने के लिए मल्ल युद्ध में उससे छल करे। इस स्थान को जरासंध के मल्ल युद्ध के लिए पौराणिक मंच माना जाता है।

      मकर संक्रांति और राजगीर महोत्सव के मौके पर हर साल राजगीर में कुश्ती का आयोजन किया जाता है। इसमें कई राज्यों के पहलवान अपना दांव लगाने के लिए आते हैं।

      राजगीर में कुश्ती का इतिहास बहुत पुराना है। द्वापर काल से यहां इसका इतिहास मिलता है। एक समय ऐसा था जब मगध सम्राट जरासंध खुद दांव आजमाते थे। उनका अखाड़ा आज भी इसका गवाह है।

      यह देश हीं नहीं बल्कि दुनिया के दुर्लभ अखाड़ों में एक है। इसी अखाड़े में मगध सम्राट समेत एक से बढ़कर एक अनेक योद्धाओं ने दांव लगाया है।

      The misfortune of the prehistoric Magadha Emperor Jarasangh arena reached the Lok Sabha 3द्वापर काल में महाभारत की लड़ाई शुरू होने से पहले इसी अखाड़े में मगध सम्राट जरासंध और कुंती पुत्र भीम के बीच 28 दिनों तक मल युद्ध हुआ था। यह मल युद्ध भगवान श्रीकृष्ण की मौजूदगी में हुई थी। इसकी चर्चा धर्म ग्रंथों में भी मिलती है।

      प्रागैतिहासिक कालीन इस अखाड़े का अस्तित्व आज खतरे में है। इस अखाड़े के रख-रखाव का जिम्मा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को है। लेकिन इस दुर्लभ अखाड़े की पुरातत्व विभाग घोर उपेक्षा कर रहा है।

      इस गौरवशाली अखाड़े की पहचान महज एक टीले के रूप में सिमट कर रह गई है। इसे देखने के लिए देश और दुनियां के सैलानी के अलावे मुख्यमंत्री, शैक्षणिक भ्रमण पर आए स्कूली बच्चे बड़ी संख्या में आते हैं।

      इसकी गौरव गाथा जानकर सैलानी बहुत खुश होते हैं। द्वापर काल से रूबरू होते हैं। लेकिन वे दूसरे ही पल यह देखकर निराश हो जाते हैं कि द्वापर कालीन इस धरोहर को सहेजने के लिए राज्य और केन्द्र सरकार के पास कोई विजन नहीं है।

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