नालंदा दर्पण डेस्क। बिहार शिक्षा विभाग की नई योजना (शिक्षा का पैटर्न में सरकारी स्कूलों में प्रायोगिक और क्रियात्मक अध्ययन को बढ़ावा देने का निर्णय लिया गया है। यह पहल मुख्य रूप से छात्रों की संज्ञानात्मक विकास को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से की जा रही है। पारंपरिक शिक्षण विधियों, जो सामान्यतः पाठ्यक्रम की सामग्री को केवल रटने पर केंद्रित होती थीं, उसके स्थान पर अब एक नई दृष्टिकोण अपनाई जा रही है। इस नये दृष्टिकोण में पाठ्य सामग्री को समझाने के लिए दृश्य सामग्री और चित्रों का उपयोग करने पर जोर दिया जाएगा।
शिक्षकों को शिक्षण में एक आधुनिक दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा, जिसमें वे छात्रों को सक्रिय रूप से अपने ज्ञान को लागू करने और अनुभव करने के लिए प्रेरित करेंगे। यह न केवल बच्चों के विचारशीलता और अवधारणात्मक क्षमताओं को बढ़ाएगा, बल्कि उन्हें समस्या समाधान और विभिन्न परिस्थितियों में निर्णय लेने की क्षमताओं के लिए भी तैयार करेगा। इस बदलाव में लेखन के स्थान पर प्रयोगात्मक विधियों के माध्यम से सीखने पर बल दिया जाएगा, जिससे छात्रों को विषयों की वास्तविकता से जोड़ने में मदद मिलेगी।
क्रियात्मक अध्ययन के माध्यम से बच्चे जांच और प्रयोग के द्वारा ज्ञान को अनुभव करेंगे। यह विधि उन्हें न केवल अकादमिक विषयों में दक्षता प्रदान करेगी, बल्कि उनके आत्मविश्वास और जााने की भूख को भी विकसित करेगी। जब बच्चे खुद से चीजों को समझते हैं और अपनी शंकाओं का समाधान करते हैं तो उनकी सीखने की प्रक्रिया अधिक प्रभावी होती है। इस प्रकार बिहार के सरकारी स्कूलों में प्रायोगिकता की दिशा में उठाया गया कदम छात्रों के समग्र विकास में सहायक सिद्ध होगा।
गणित और विज्ञान पर विशेष ध्यानः बिहार शिक्षा विभाग की नई योजना में गणित और विज्ञान शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, जिसका उद्देश्य इन्हें प्राइवेट स्कूलों के स्तर पर लाना है। यह पहल छात्रों के ज्ञान और कौशल विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से विज्ञान और गणित के क्षेत्रों में, जहां निपुणता का स्तर बढ़ाना आवश्यक है। गणित और विज्ञान विषयों की पढ़ाई में व्यावहारिक और परियोजना आधारित दृष्टिकोण को अपनाया जा रहा है, जिससे छात्रों को इन विषयों में गहराई से समझ विकसित करने का अवसर मिलता है।
इस योजना के तहत छात्र माइको इंप्रूवमेंट प्रोजेक्ट में भाग लेकर विभिन्न प्रोजेक्ट्स बनाने में संलग्न होंगे। यह विद्यार्थी-केन्द्रित प्रक्रिया बच्चों को न केवल सिद्धांतों को समझने में सहायता करेगी, बल्कि उन्हें वास्तविक जीवन में समस्याओं को हल करने की प्रेरणा भी देगी। इन गतिविधियों के माध्यम से छात्र टीम वर्क और समस्या समाधान कौशल का विकास कर सकेंगे, जो आज के आधुनिक युग में आवश्यक हैं।
शिक्षक एक विशेष पाठ के लिए 5 दिनों की गतिविधियों का आयोजन करेंगे, जिसमें हर दिन एक नए पहलू पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। पहले दिन प्राथमिक सिद्धांतों का परिचय कराया जाएगा, जबकि दूसरे और तीसरे दिन व्यावहारिक प्रयोग और उदाहरणों पर जोर दिया जाएगा। चौथे दिन छात्रों को प्रोजेक्ट्स बनाने की स्वतंत्रता दी जाएगी, जहां वे अपनी समझ को लागू कर सकेंगे। अंत में पांचवें दिन परियोजनाओं का प्रस्तुतिकरण होगा, जिससे छात्रों में आत्मविश्वास और साक्षात्कार कौशल का विकास होगा।
प्रतियोगिताएँ और लाइव प्रसारण का महत्वः सरकारी स्कूलों में गणित और विज्ञान से संबंधित प्रतियोगिताओं का आयोजन न केवल छात्रों के शैक्षणिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह उनकी रचनात्मकता और समस्या सुलझाने के कौशल को भी बढ़ावा देता है। इन प्रतियोगिताओं के माध्यम से बच्चे अपने ज्ञान का प्रदर्शन कर सकते हैं और उन्हें अपने साथियों से प्रतिस्पर्धा करने का अवसर मिलता है। ऐसे प्रतियोगिताएँ छात्रों को चुनौती देती हैं और उन्हें अपनी क्षमताओं को पहचानने में मदद करती हैं, जिससे वे आत्म-विश्वास बढ़ा सकते हैं।
इसके अलावा प्रतियोगिताओं का लाइव प्रसारण करने से छात्रों को अपनी काबिलियत दिखाने का एक सशक्त मंच मिलता है। जब इन खेलों या प्रतियोगिताओं का सीधा प्रसारण होता है तो यह छात्रों को एक बड़ा ऑडियंस देने का कार्य करता है। इससे न केवल उनके मनोबल में वृद्धि होती है, बल्कि वे दूसरों के सामने अपनी योग्यताओं को प्रदर्शित करने के लिए और प्रेरित होते हैं। ऐसे प्रसारण से परिवार और समुदाय के सदस्य भी जुड़ सकते हैं, जो बच्चों के प्रयासों की सराहना कर सकते हैं और इससे उनकी सीखने की प्रक्रिया को और भी मजेदार बना सकते हैं।
इन प्रतियोगिताओं का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि वे टीम वर्क और सहयोग के महत्व को दर्शाते हैं। छात्रों को मिलकर काम करने के लिए प्रेरित किया जाता है, जो उनके सामूहिक कौशल को विकसित करता है। यह न केवल उन्हें एक अच्छे प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद करता है, बल्कि एक बेहतर नागरिक भी बनाता है, जो समाज में अपनी भागीदारी समझता है। कुल मिलाकर प्रतियोगिताएँ और उनके लाइव प्रसारण सरकारी स्कूलों के छात्रों के लिए व्यक्तिगत और सामाजिक विकास का एक बहुत बड़ा अवसर प्रदान करते हैं।
शिक्षा चौपाल और माता-पिता की भागीदारीः 28 सितंबर को आयोजित होने वाला शिक्षा चौपाल एक महत्वपूर्ण अवसर होगा, जिसमें माता-पिता और शिक्षकों के बीच संवाद को प्रोत्साहित किया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ावा देना और छात्रों की प्रगति पर ध्यान केंद्रित करना है। इस चौपाल में माता-पिता को अपने बच्चों की शिक्षा और विकास में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
चौपाल के दौरान शिक्षक छात्रों की प्रगति, कमजोरियों और लापरवाहियों पर विस्तृत चर्चा करेंगे। जिससे माता-पिता को उनकी संतान के अध्ययन संबंधी गतिविधियों के बारे में स्पष्ट जानकारी मिलेगी। शिक्षा चौपाल में होने वाली चर्चा यह सुनिश्चित करेगी कि माता-पिता और शिक्षक मिलकर बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए रणनीतियाँ विकसित कर सकें। यह संवाद केवल छात्रों की शैक्षणिक प्रगति को ही नहीं, बल्कि उनकी समग्र विकास को भी प्रभावित करेगा।
माता-पिता का सक्रिय जुड़ाव विशेष रूप से शैक्षणिक चर्चाओं के दौरान, उनके बच्चों के आत्म-विश्वास और प्रेरणा को बढ़ाने में सहायक हो सकता है। जब माता-पिता शिक्षकों के साथ मिलकर उनकी प्रगति के बारे में संवाद स्थापित करते हैं तो यह छात्रों के लिए एक सकारात्मक वातावरण का निर्माण करता है। इसके अलावा माता-पिता को शिक्षकों से सीधा फीडबैक प्राप्त होने से उन्हें अपने बच्चों की कमियों और उनके विकास के मुद्दों को समझने में मदद मिलेगी।
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