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नालंदा की इस लाडली की दुनिया में हो रही चर्चा, जानें कौन है गोल्डी?

This darling of Nalanda is being discussed all over the world, know who is Divyang Goldie
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नालंदा की लाडली गोल्डी की कहानी न केवल प्रेरक है, बल्कि यह दिखाती है कि मेहनत और साहस से हर मुश्किल को पार किया जा सकता है। गोल्डी आज उन लाखों दिव्यांग बेटियों के लिए प्रेरणा हैं, जो अपने सपनों को साकार करने की चाह रखते हैं

बिहार शरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा की बेटी गोल्डी कुमारी ने अपनी दृढ़ता, साहस और मेहनत से न केवल बिहार बल्कि पूरे देश का गौरव बढ़ाया है। भारतीय खेल जगत में उत्कृष्ट योगदान के लिए गोल्डी का चयन प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 2024 के लिए हुआ है। 26 दिसंबर को राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक भव्य समारोह में देश की राष्ट्रपति उन्हें सम्मानित करेंगी।

थाईलैंड में वर्ल्ड एबिलिटी यूथ गेम्स 2024 में ऐतिहासिक प्रदर्शनः दिसंबर 2024 में थाईलैंड में आयोजित वर्ल्ड एबिलिटी यूथ गेम्स में गोल्डी ने शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने डिस्कस थ्रो में स्वर्ण पदक और जेवलिन थ्रो में कांस्य पदक जीता। इससे पहले भी गोल्डी ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनेक पदक जीतकर बिहार और देश का नाम रोशन किया है।

संघर्षों से भरा बचपन, लेकिन हौसला कभी नहीं टूटाः गोल्डी का जीवन कठिनाइयों और संघर्षों से भरा रहा। जब वह मात्र 10 माह की थीं, एक ट्रेन दुर्घटना में उनका बायां हाथ कट गया। इस हादसे में उनकी मां का भी निधन हो गया। इसके बाद उनकी नानी और दादी ने उनका पालन-पोषण किया। शारीरिक चुनौती के बावजूद गोल्डी ने कभी हार नहीं मानी और अपने हौसले से हर मुश्किल को मात दी।

खेलों में रूचि और प्रारंभिक सफलताः गोल्डी ने आठवीं कक्षा से खेलों में हिस्सा लेना शुरू किया। स्कूल स्तर पर उन्होंने सामान्य छात्रों को हराकर पदक जीते। जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ा। जिला और राज्य स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग लेते हुए उन्होंने खुद को साबित किया। उनके कोच ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुंचने के लिए प्रेरित किया।

राष्ट्रीय स्तर पर स्वर्णिम सफरः जनवरी 2023 में गुजरात में आयोजित 12वीं जूनियर और सब-जूनियर पारा एथलेटिक्स प्रतियोगिता में गोल्डी ने शॉटपुट में स्वर्ण पदक जीता। इसके बाद बंगलुरु में हुई 13वीं जूनियर और सब-जूनियर प्रतियोगिता में उन्होंने डिस्कस थ्रो में स्वर्ण और जेवलिन व शॉटपुट में रजत पदक जीतकर राज्य का नाम रोशन किया।

पारा ओलंपिक में पदक जीतना सपना: गोल्डी फिलहाल कोलकाता स्थित साई (स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया) सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में कड़ी मेहनत कर रही हैं। उनका सपना है कि वह पारा ओलंपिक में भारत के लिए पदक जीतें।

गांव-जेवार में खुशी का माहौलः गोल्डी के गांव मिसी समेत पूरे नालंदा में खुशी का माहौल है। बकौल पिता संतोष कुमार, उनकी लाडली ने जो मुकाम हासिल किया है, वह पूरे परिवार और समाज के लिए गर्व की बात है।

वहीं बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के महानिदेशक कहते हैं कि गोल्डी की सफलता ने न केवल राज्य का मान बढ़ाया है, बल्कि अन्य खिलाड़ियों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनी है।

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