UDISE+ Portal: एडमिशन एंट्री में लापरवाही, HM को पद से हटाने की चेतावनी

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। अब सरकारी विद्यालयों में नामांकन के बाद सभी नए बच्चों के नामों की एंट्री ई-शिक्षा कोष के साथ-साथ यू-डायस पोर्टल (UDISE+ Portal) पर भी दर्ज करना अनिवार्य हो गया है। शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार दोनों पोर्टलों पर नामांकित बच्चों की संख्या एक समान होनी चाहिए। लेकिन जिले के विभिन्न प्रखंडों के कई विद्यालयों में इस नियम का पालन नहीं हो रहा है।
हालांकि ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर सभी नामांकित बच्चों की एंट्री तो कर दी गई है। लेकिन यू-डायस पोर्टल पर कई बच्चों के नाम दर्ज नहीं किए गए हैं। इस लापरवाही को गंभीरता से लेते हुए समग्र शिक्षा अभियान के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी मो. शाहनवाज ने संबंधित स्कूलों के प्रधानाध्यापकों से स्पष्टीकरण मांगा है।
जिला कार्यक्रम पदाधिकारी ने बताया कि शिक्षा विभाग ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि ई-शिक्षा कोष और यू-डायस पोर्टल पर शत-प्रतिशत बच्चों की एंट्री सुनिश्चित की जाए। इसके बावजूद, कई विद्यालयों में यू-डायस पोर्टल पर दर्ज बच्चों की संख्या ई-शिक्षा कोष की तुलना में काफी कम है। जोकि नियमों का उल्लंघन है। उन्होंने इस मामले में लापरवाही बरतने वाले सभी विद्यालयों की सूची जारी कर दी है और संबंधित प्रधानाध्यापकों को तत्काल शत-प्रतिशत छात्र-छात्राओं की एंट्री यू-डायस पोर्टल पर करने का निर्देश दिया है।
मो. शाहनवाज ने सवाल उठाया है कि आखिर किस परिस्थिति में ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर बच्चों की संख्या अधिक और यू-डायस पोर्टल पर कम दिखाई गई है। उन्होंने सभी संबंधित प्रधानाध्यापकों को तीन दिनों के भीतर छूटे हुए सभी नामांकित बच्चों की एंट्री यू-डायस 2024-25 पोर्टल पर पूर्ण करने का सख्त निर्देश दिया है। ऐसा न करने पर उच्चाधिकारियों को प्रधानाध्यापकों को पद से हटाने और वेतन अवरुद्ध करने की अनुशंसा करने की चेतावनी दी गई है।
यह कदम जिले में शिक्षा व्यवस्था को और अधिक पारदर्शी और व्यवस्थित करने की दिशा में उठाया गया है। यू-डायस पोर्टल पर सटीक डेटा दर्ज करना इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह राष्ट्रीय स्तर पर स्कूलों की स्थिति, छात्रों की संख्या और शैक्षिक संसाधनों का आकलन करने में मदद करता है। इस पोर्टल के आंकड़े केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों और योजनाओं को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
शिक्षा विभाग के इस कदम से यह स्पष्ट है कि लापरवाही बरतने वाले स्कूलों पर अब सख्ती बरती जाएगी। जिले के सभी प्रधानाध्यापकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि निर्धारित समयसीमा के भीतर सभी आवश्यक डेटा अपडेट कर लिया जाए, ताकि शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही बनी रहे।









