नालंदा दर्पण डेस्क। बिहार के सीएम नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा के 994 गांव वाई-फाई से लैस हो चुके हैं। इन गांवों में लागों को इंटरनेट सेवा मिलने लगी है। यहां की 231 पंचायतों के 1150 भवनों को गीगा बाइट पैसिव ऑप्टिकल नेटवर्क (जी-पॉन) मशीन से जोड़ा जा चुका है।
अब ग्रामीणों को गांवों में डिजिटल सेवाएं मिलने लगी हैं। आने वाले दिनों में इसके माध्यम से गांवों में टेली मेडिसिन की सुविधा भी बहाल की जाएगी। इसके तहत शहर गये बिना गांव के लोग नामी-गिरामी चिकित्सकों की सलाह ले सकेंगे।
नालंदा में एक हजार 60 राजस्व गांव हैं। इनमें से 49 बेचिरागी हैं। इस कारण वहां यह व्यवस्था नहीं रहेगी। जबकि, परवलपुर के 17 गांवों में अब तक एक भी जी-पॉन मशीन नहीं लगी है।
इस प्रखंड के इन गांवों में पोल व अन्य साधन नहीं रहने के कारण मुश्किलें आ रही हैं। इसे स्थानीय अधिकारियों से बातचीत कर दूर किया जा रहा है। ताकि, जल्द से जल्द इन गांवों को भी डिजिटल सेवा मिल सके।
‘भारत नेट परियोजना से सभी गांवों को डिजिटल सेवा मुहैया करायी जा रही है। ताकि, लोगों को बिजली, टेलीफोन बिल, मालगुजारी रसीद, जाति आय प्रमाण पत्र समेत अन्य सेवाएं उन्हें गांवों में ही मिल सके।
बेन के 40, सरमेरा के 35, एकंगरसराय के 30 व अस्थावां के 30 गांवों में मशीनें लग चुकी हैं। लेकिन, तकनीकी गड़बड़ी सड़क निर्माण के कारण फाइबर केबल कट होते रहने के चलते परेशानियां आ रही है। इसके लिए बीएसएनएल के अधिकारियों से बातचीत की गयी है। जल्द ही इन गांवों में सेवा मिलने लगेगी।
पांच पांच सरकारी भवनों पर लगाया गयी जीपॉन मशीन: कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) की जिला समन्वयक आरती रानी के अनुसार इस काम को ग्रामीण स्तरीय उद्यमी (वीएलई) कर रहे हैं। इसके लिए उन्हें पहले ही प्रशिक्षित किया जा चुका है। लगने के बाद इसका रख रखाव भी वही करेंगे। सभी पंचायतों के पांच-पांच सरकारी भवनों पर इसे लगाया जा रहा है।
पंचायत सरकार भवन, आंगनबाड़ी केंद्र, जन वितरण प्रणाली दुकानें, पैक्स केंद्र, ग्रामीण अस्पताल, सीएससी (वसुधा केंद्र), सार्वजनिक पुस्तकालय व अन्य सरकारी भवन। इन सब केंद्रों पर यह सेवा मुफ्त उपलब्ध करायी जा रही है।
परवलपुर के 17 गांव में नहीं हुआ कुछ भी काम: परवलपुर प्रखंड के 17 गांवों में अब तक कुछ भी काम नहीं किया जा सका है। इन गांवों में फाइबर केबल भी नहीं पहुंची है।
साथ ही भवनों तक फाइबर केबल पहुंचाने के लिए पोल, बांस या अन्य सुविधाएं भी नहीं है। इस कारण वहां मुश्किलें आ रही हैं। इसके लिए स्थानीय अधिकारियों व बीएसएनएल के कर्मियों से बातचीत जारी है। जल्द ही इसका हल निकलेगा।
मिनी लिंक से राजगीर व गिरियक का होगा संपर्क: राजगीर व गिरियक में सड़क का निर्माण कार्य चल रहा है। इस वजह से ऑप्टिकल फाइबर कई जगह से कट गए हैं। गांवों तक इंटरनेट सुविधा नहीं मिल पा रही है।
बीएसएनएल के कर्मी वैकल्पिक व्यवस्था कर रहे हैं। इसके लिए मिनी लिंक लगाया जा रहा है। इसके माध्यम से नजदीकी टेलिफोन एक्सचेंज के पास से रोटर के माध्यम से गांवों तक बिना तार के ही सिग्नल पहुंचायी जाएगी। ताकि, वहां डिजिटल काम काज करने में गांव की सरकार व ग्रामीणों को मुश्किल न हो।
लीड व चैंपियन वीएलई करेंगे देखभाल: ये सारे काम वसुधा केंद्र के वीएलई द्वारा कराया जा रहा है। इसके लिए उन्हें निर्धारित दर से पैसे भी दिए जाएंगे।
एक बार लग जाने के बाद आगे किसी तरह की परेशानी या खराबी आने पर इनमें से बेहतर काम करने वाले लीड व चैंपियन वीएलई ही इसकी देखभाल करेंगे। आयी खराबियों को दूर करेंगे।
गैर सरकारी या निजी भवनों में भी लगवा सकेंगे कनेक्शन: पंचायतों के सरकारी भवनों में यह सेवा मुफ्त बहाल की जाएगी। जबकि, इन गांवों के गैर सरकारी या निजी भवनों में भी लोग इंटरनेट सेवा का लाभ ले सकते हैं।
इसके लिए वे स्थानीय वीएलई से संपर्क कर इस मशीन को लगवा सकते हैं। इसके लिए उन्हें मशीन का खर्च व ऑपरेटर द्वारा निर्धारित शुल्क देय होगा।
क्या है भारत नेट योजना: यह विश्व का सबसे बड़ा ग्रामीण ब्रांडबैंड संपर्क कार्यक्रम है। यह सौ फीसदी मेक इन इंडिया के तहत कार्यान्वित किया जा रहा है। इसमें कोई विदेशी कंपनी का सहयोग नहीं लिया गया है।
इसका मुख्य उद्येश्य गांवों में डिजिटल सेवा उपलब्ध कराना है। इसके लिए ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क को प्रखंड मुख्यालय से पंचायत व पंचायत से गांव स्तर पहुंचाया जा रहा है।
इससे राज्यों व निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी कर ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में नागरिकों वे सरकरी और गैर सरकारी संस्थानों को सस्ती ब्रॉडबैंड सेवा पहुंचायी जा रही है।
इस योजना को ही भारत नेट के नाम से जानते हैं। इसे वर्ष 2011 में ही कैबिनेट की मंजूरी दी गयी थी। लेकिन, इसमें तेजी 2018 से आयी। (इनपुटः हिन्दुस्तान लाइव)