बिहारशरीफ (संजय कुमार)। बिहारशरीफ शहर को स्मार्ट सिटी का दर्जा मिले हुए हैं 4 साल हो गए हैं। परंतु ,शहर के लोगों को स्मार्ट सिटी का फायदा मिलता दिख नहीं रहा है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नालंदा जिले के प्रति विकास के मामलों में अब्बल लाने तथा जनता की समस्याओं से निजात दिलाने की मनसा को यहां के अधिकारी विफल करने में लगे हैं। मिसाल के तौर पर बिहारशरीफ का कारगिल बस स्टैंड है।
बिहारशरीफ शहर की बढ़ती आबादी को देखते हुए रामचंद्रपुर बस स्टैंड का भार को कम करने के उद्देश्य कारगिल बस स्टैंड का निर्माण करोड़ों रुपया खर्च कर करवाया गया था। ताकि नवादा ,राजगीर की ओर जाने वाली बस कारगिल बस स्टैंड से खुले और रामचंद्रपुर बस स्टैंड का भार कुछ कम हो सके।
कारगिल बस स्टैंड से नवादा, राजगीर ,कतरी सराय, वारसलीगंज, गया, शेखपुरा ,जमुई आदि रूट की बसें खुलने का प्रावधान किया गया था। परंतु, वर्तमान समय में सिर्फ गया की ही बस खुल रही है।
बताया जाता है कि कारगिल बस स्टैंड का 2020-21में बचे अवधि 4 माह के लिए ₹506500 में खुली बोली बोल कर सफल डाक बोलने वाले भूषण कुमार को कारगिल बस स्टैंड की बंदोबस्ती इनके नाम की गई थी। परंतु यहां से बसे नहीं खुलने के कारण इन्हें घाटा उठाना पड़ रहा है।
वहीं दूसरी ओर रामचंद्रपुर बस स्टैंड मार्ग में दिन भर जाम लगा रहता है। लोग इधर से गुजारना नहीं चाहते हैं। परंतु बस पकड़ने वाले लोग तथा एकंगरसराय मार्ग की ओर जाने वाले यात्री तथा मोटरसाइकिल चालक मजबूरन 10-15 मिनट का सफर घंटा-आधा घंटा में पूरा कर अपने गंतव्य की ओर पहुंचते हैं। यहां बसों की हालात यह है कि घंटों सड़कों पर बसें लाइन लगाकर खड़ी रहती है। अपने टाइम आने के इंतजार में, टाइम आने पर ही बस स्टैंड में घुसती है तथा खुलती है।
सड़कों पर वाहन लगा रहने से स्थानीय दुकानदारों की दुकानदारी बुरी तरह प्रभावित हो रही है। परंतु, सभी बसें यहां से ही खुल रही है। जबकि नवादा ,राजगीर मार्ग की बस यहां से नहीं खुलनी है।
कारगिल बस स्टैंड का क्षेत्र बहुत बड़ा है। यहां जाम की समस्या नहीं होगी। लेकिन शायद प्रशासन की मंशा जिले के लोगों खासकर बिहारशरीफ के लोगों को जाम से मुक्ति दिलाने की नहीं लगती दिख रही है।