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International syndicate network: चीन-वियतनाम की सिम बॉक्स से साइबर ठगी का भंडाफोड़

नालंदा दर्पण डेस्क। आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने एक सनसनीखेज कार्रवाई में इंटरनेशनल साइबर ठगी के नेटवर्क (International syndicate network) का पर्दाफाश किया है, जो चीन और वियतनाम से मंगाए गए सिम बॉक्स के जरिए संचालित हो रहा था। इस नेटवर्क का मास्टरमाइंड मात्र 21 वर्षीय युवक हर्षित कुमार निकला, जो सोशल मीडिया के माध्यम से विदेशी अपराधियों से जुड़ा और सिम बॉक्स का उपयोग कर रोजाना 10000 से अधिक फर्जी कॉल्स के जरिए साइबर ठगी को अंजाम दे रहा था। इस गिरोह ने फर्जी बायोमेट्रिक डेटा का उपयोग कर सैकड़ों सिम कार्ड्स जारी किए, जिनका इस्तेमाल ठगी के लिए किया जाता था।

ईओयू की साइबर शाखा ने दूरसंचार विभाग के सहयोग से सुपौल, वैशाली और अन्य जिलों में छापेमारी कर इस गिरोह के मास्टरमाइंड हर्षित कुमार सहित छह अभियुक्तों को गिरफ्तार किया। जांच में सामने आया कि यह नेटवर्क चीन, वियतनाम, कंबोडिया, थाईलैंड, संयुक्त अरब अमीरात और भारत के कई राज्यों पश्चिम बंगाल, झारखंड, उत्तर प्रदेश, गोवा, कर्नाटक, दिल्ली और ओडिशा से जुड़ा हुआ था। राष्ट्रीय साइबर अपराध पोर्टल (एनसीआरपी) पर दर्ज 18 मामलों में इस गिरोह की संलिप्तता पाई गई है और जांच के दौरान इसकी गतिविधियों के और विस्तार की संभावना जताई जा रही है।

हर्षित कुमार ने फेसबुक और टेलीग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के जरिए विदेशी साइबर अपराधियों से संपर्क स्थापित किया। उसने वियतनाम से 4 और चीन से 4 सिम बॉक्स मंगवाए, जिनके जरिए एक समानांतर टेलीफोन एक्सचेंज संचालित हो रहा था। यह सिम बॉक्स इंटरनेट कॉल्स को स्थानीय मोबाइल नेटवर्क कॉल्स में बदल देता था, जिससे ठग देशभर के लोगों को निशाना बनाते थे। प्रारंभिक जांच के अनुसार इस नेटवर्क के जरिए प्रतिदिन 10000 से अधिक फर्जी कॉल्स की जाती थीं, जिनका उपयोग ऑनलाइन धोखाधड़ी, फिशिंग और अन्य साइबर अपराधों के लिए किया जाता था।

इस नेटवर्क को चलाने के लिए भारी मात्रा में सिम कार्ड्स की आवश्यकता थी। हर्षित ने इसके लिए झारखंड के पाकुड़ निवासी सुमित शाह से संपर्क किया, जिसने मार्च 2025 से अब तक लगभग 1000 सिम कार्ड्स की आपूर्ति की। सुमित ने ये सिम कार्ड्स मोहम्मद सुल्तान नामक व्यक्ति से प्राप्त किए, जो हाजीपुर में हर्षित से मिला था।

सुल्तान एक जन सेवा केंद्र (सीएससी) संचालक है, जो गांव-गांव में शिविर लगाकर फर्जी सरकारी योजनाओं का लालच देकर लोगों के बायोमेट्रिक डेटा एकत्र करता था। इन डेटा का उपयोग दूरसंचार वितरकों और खुदरा विक्रेताओं के साथ मिलकर फर्जी सिम कार्ड्स जारी करने में किया जाता था।

आर्थिक अपराध इकाई के अपर पुलिस महानिदेशक (एडीजी) नैयर हसनैन खान के निर्देशन में गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने तकनीकी निगरानी और सूचना के आधार पर इस नेटवर्क को ध्वस्त किया। छापेमारी के दौरान सिम बॉक्स, मोबाइल फोन, लैपटॉप और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त किए गए। पूछताछ में जन सेवा केंद्र संचालकों और दूरसंचार वितरकों की संदिग्ध भूमिका भी सामने आई है और अन्य ठिकानों पर छापेमारी जारी है।

जांच में इस नेटवर्क के तार यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, हांगकांग और अन्य देशों से जुड़े होने के सबूत मिले हैं। भारी मात्रा में क्रिप्टो करेंसी लेन-देन के प्रमाण भी सामने आए हैं, जिससे इस नेटवर्क की वित्तीय गतिविधियों का दायरा और व्यापक होने का अंदेशा है। ईओयू अब इन अंतरराष्ट्रीय कनेक्शनों की गहन जांच कर रही है, ताकि इस साइबर अपराध नेटवर्क के सभी सदस्यों को पकड़ा जा सके।

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