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    Sunday, December 22, 2024
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      3 दिवसीय आयुर्वेद पर्व सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे सीएम नीतीश, 1500 विशेषज्ञ होंगे शामिल

      राजगीर (नालंदा दर्पण/विभाष)। में हो रहे तीन दिवसीय आयुर्वेद पर्व सम्मेलन का उद्घाटन शनिवार को सीएम नीतीश कुमार करेंगे। आयोजन स्थल अंतरराष्ट्रीय कंवेंशन सेंटर में सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है।

      इसका आयोजन आल इंडिया आयुर्वेदिक कांग्रेस, बिहार स्टेट आयुर्वेदिक कांग्रेस, आयुष मंत्रालय भारत सरकार तथा स्टेट आयुष सोसायटी बिहार के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है।

      11 से 13 दिसंबर तक होने वाले कार्यक्रम में अतिविशिष्ट अतिथि के रूप में भारत सरकार के केंद्रीय आयुष मंत्री सर्वनंदा सोनोवाल भी शिरकत करेंगे।

      विशिष्ट अतिथियों में बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे के अलावा भारत सरकार आयुष मंत्रालय के सचिव पद्मश्री वैद्य राजेश कोटेचा सहित स्वास्थ्य विभाग बिहार के एसीएस प्रत्यय अमृत, एनसीआइएसएम के अध्यक्ष वैद्य जयंत देवपुजारी व भारत सरकार आयुष मंत्रालय के आयुर्वेद सलाहकार डा. मनोज नेसारी शामिल होंगे।

      अखिल भारतीय आयुर्वेदिक कांग्रेस के अध्यक्ष पद्मभूषण वैद्य देवेंद्र त्रिगुणा सम्मेलन की अध्यक्षता करेंगे। इसमें आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक और यूनानी चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल के विद्यार्थी तो होंगे ही।

      इस दौरान पटना, सिवान, छपरा, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, बेगूसराय, भागलपुर, आयुर्वेदिक कालेज के अलावे मुजफ्फरपुर होम्योपैथी आरबीटीएस प्रिसिपल, प्रोफेसर सहित स्टूडेंट्स भी शामिल होंगे।

      इस सम्मेलन आयोजन समिति के कोषाध्यक्ष वैद्य जगन्नाथ ओझा ने विशेष जानकारी देते हुए बताया कि आयोजन का उद्देश्य वर्तमान परिवेश में बीमारियों के इलाज के लिए आयुर्वेद को लोकप्रियता दिलाना, लोगों को अच्छे स्वास्थ्य व आयुर्वेद को लेकर जागरूक कराना है।

      वहीं इस त्रिदिवसीय आयुर्वेद पर्व के आयोजन के दौरान देशभर के आयुष चिकित्सक लोगों को स्वस्थ रहने की जानकारी देंगे। उनके व्याख्यान से आयुष चिकित्सकों के साथ-साथ देसी चिकित्सा के विद्यार्थी भी लाभान्वित होंगे। वहीं आयोजन स्थल अंतरराष्ट्रीय कंवेंशन सेंटर को दुल्हन की तरह सजाया संवारा गया है। जगह जगह तोरण द्वार, होर्डिंग व बैनर भी लगाए गए हैं।

      आयुर्वेद पर्व सम्मेलन का उद्घाटन समारोह सत्र दोपहर दो बजे से शुरू होगा। सभी डेलिगेट्स का रजिस्ट्रेशन सुबह नौ से साढ़े 12 बजे तक होगा। साढ़े 12 से 1 बजकर 30 मिनट तक लंच होगा। इसके बाद उद्घाटन समारोह सत्र होगा।

      दोपहर तीन बजे से शाम पांच बजे शाम तक डाबर इंडिया लिमिटेड की ओर से क्विज का आयोजन किया गया है। संध्या छह से रात आठ बजे के बीच आयुर्वेद महाविद्यालय के छात्र छात्राओं द्वारा सांस्कृतिक संध्या का कार्यक्रम किया जाएगा।

      बीते देर शाम तक जारी रहा सम्मेलन में अतिथियों, आयुर्वेद विशेषज्ञ वैद्य, प्रतिनिधियों व विद्वानों का आगमन शुक्रवार की शाम तक जारी था। सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे अतिथियों को कोविड 19 प्रोटोकाल अनुपालन को लेकर पुलिस ने कमान संभाल रखी है।

      बाहर से आने वाले सभी डेलीगेट्स को कोरोना जांच के प्रोटोकाल का पालन करना होगा। होटल, धर्मशाला सहित अन्य ठहराव वाले स्थानों के प्रबंधकों को भी निर्देश दिया गया है कि सभी डेलिगेट्स से कोरोना जांच व टीकाकरण की जानकारी हासिल कर के ही ठहराने की अनुमति दें।

      दरअसल, 2600 साल पहले इसी धरती पर उस काल के विश्व प्रसिद्ध सर्जन वैद्य जीवक ने भगवान बुद्ध व बिंबिसार सहित अन्य का उपचार किया था।

      कभी अपने जमाने के सर्जन कहे जाने वाले वैद्य जीवक यहां वास करते थे। लोगों की मानें तो वैद्य जीवक को अपने समय का धनवंतरी समझा जाता है।

      उन्होंने राजा बिंबिसार को असाध्य माने जाने वाला भगंदर (खूनी बवासीर) का इलाज किया था। इसी तरह कई ऐसे किस्से हैं जो उनके महान सर्जन व फिजिशियन होने का प्रमाण देते हैं।

      उस समय अवंतिका के राजा चंद प्रदोत्य जो काफी क्रोध वाले थे। वे पांडु रोग से पीड़ित थे। दवा खाने से इंकार किया था और वैद्य जीवक पर हाथी छोड़ दिया था।

      वैद्य जीवक ने उन्हें उनकी पुस्तक में दवा का लेप लगाकर दिया और वह जैसे-जैसे किताब पढ़ते गए, पन्ना अपने हाथों से जीभ को लगाकर उलटता रहे, उनपर दवा का असर हुआ और वह ठीक हो गए।

      जीवक ने इसी आम्र वाटिका में भगवान बुद्ध का इलाज किया था। उन्होंने सिरदर्द से पीड़ित राजगृह के श्रेष्ठी साकेत व आंत में गांठ रोग से पीड़ित वाराणसी के मक्खी चीका का भी इलाज किया था।

      आयुर्वेद महासम्मेलन होने से एक बार फिर लोगों को आस जागी है कि वाटिका का जीर्णोद्धार होगा। लोग वहां चूल्हा जलाकर खाना बनाते हैं। गाड़ियों की पार्किंग बन गयी है।

      भगवान बुद्ध अपने चचेरे भाई देवदत्त से आहत हुए थे तो जीवक ने ही उनके घाव पर पट्टियां बांधकर इलाज किया था। जीवक ने यहां पर बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए एक विहार का निर्माण कराया था। वहीं पर कुछ समय के लिए भगवान बुद्ध भी ठहरे थे।

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