हिलसा (नालंदा दर्पण)। हिलसा अनुमंडल क्षेत्र अंतर्गत परवलपुर और एकंगरसराय बाजारों में प्रशासन द्वारा अतिक्रमण हटाने के तहत बड़ी कार्रवाई की गई। प्रशासन ने मुख्य सड़कों पर अतिक्रमण कर बनाए गए फुटपाथी दुकानों और ठेले वालों के खिलाफ बुलडोजर चलाकर उनके अतिक्रमण को ध्वस्त कर दिया। यह कार्रवाई लगातार दूसरे दिन भी जारी रही, जिससे बाजार में जाम की समस्या को खत्म करने की कोशिश की गई।
इस मुहिम का नेतृत्व एकंगरसराय में सीओ विवेक कुमार, नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी प्रणव कुमार और थानाध्यक्ष अखिलेश कुमार झा कर रहे थे। मुख्य बाजार की हिलसा रोड, बिहार रोड, इस्लामपुर रोड और तेल्हाड़ा रोड पर लगे अस्थायी फुटपाथी दुकानों को बुलडोजर से हटा दिया गया। परवलपुर बाजार में भी अतिक्रमण के खिलाफ यही कदम उठाया गया, जहां सड़क के दोनों ओर गुमटी, ठेले, सब्जी के स्टॉल और अन्य अस्थायी दुकानें ध्वस्त कर दी गईं।
हालांकि इस कार्रवाई के खिलाफ फुटपाथी दुकानदारों में गहरी नाराजगी है। उन्होंने आरोप लगाया कि बिना किसी वैकल्पिक व्यवस्था के उन्हें हटाया गया, जिससे उनकी आजीविका पर संकट आ गया है। कई दुकानदारों का कहना है कि उनके घरों में चूल्हा तक नहीं जल पाया है और अब उनकी आर्थिक स्थिति बदतर हो गई है। फुटपाथ पर छोटी-मोटी सामग्री बेचकर अपने परिवारों का भरण-पोषण करने वाले इन दुकानदारों ने सवाल उठाया कि जब सरकार गरीबों को रोजगार देने की बात करती है तो दूसरी ओर उनकी रोजी-रोटी छीनने का काम क्यों हो रहा है?
एकंगरसराय के दुकानदारों ने प्रशासन पर भेदभाव का भी आरोप लगाया है। उनका कहना है कि बाजार में दर्जनों ई-रिक्शा और बड़े यात्री वाहन खड़े रहते हैं, जो जाम का असली कारण हैं, लेकिन प्रशासन उन पर कोई कार्रवाई नहीं करता। दुकानदारों का दावा है कि इन वाहनों के पीछे प्रभावशाली लोगों का हाथ है, इसलिए प्रशासन उन पर कार्रवाई करने से बचता है।
परवलपुर बाजार में भी प्रशासन ने सख्त कदम उठाते हुए सड़कों के दोनों ओर से अतिक्रमणकारियों को हटाया। नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी अश्विनी ने बताया कि लगातार बाजार में जाम की समस्या बनी रहती थी, जिसका मुख्य कारण सड़क के किनारे लगी फुटपाथी दुकानें थीं। हालांकि दुकानदारों को माइकिंग के जरिए चेतावनी दी गई थी। फिर भी अतिक्रमण नहीं हटाया गया, जिसके बाद सशस्त्र बलों की मदद से बुलडोजर चलाया गया।
फुटपाथी दुकानदारों का कहना है कि उनके लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई, जिससे उनकी रोजी-रोटी पर संकट खड़ा हो गया है। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि जब तक उन्हें कोई दूसरा स्थान नहीं दिया जाता, तब तक उन्हें फुटपाथ पर दुकानें लगाने की अनुमति दी जाए।
इस घटना ने फुटपाथी दुकानदारों की जीवन-शैली और उनके अस्तित्व पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, जबकि दूसरी ओर प्रशासन का तर्क है कि बाजार में लगातार जाम की समस्या को खत्म करने के लिए यह कार्रवाई आवश्यक थी।
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