
बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले के सभी सरकारी और निजी विद्यालयों के लिए जिला कार्यक्रम स्थापना अधिकारी (DPO) ने यू-डायस प्लस को लेकर एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया है। उन्होंने सभी स्कूलों और कॉलेजों के प्रधानाध्यापकों को 72 घंटे के भीतर यू-डाइस प्लस पोर्टल पर स्कूल प्रोफाइल, शिक्षक प्रोफाइल और विद्यालय में उपलब्ध सुविधाओं से संबंधित सभी आंकड़े अपलोड करने का सख्त आदेश दिया है।
यह निर्देश भारत सरकार की वार्षिक डेटा संग्रहण प्रक्रिया के तहत जारी किया गया है, जो आगामी वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए योजनाओं और बजट की स्वीकृति का आधार बनेगा।
यू-डाइस प्लस (Unified District Information System for Education Plus) भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसके तहत देश भर के विद्यालयों से हर साल विभिन्न आंकड़े एकत्र किए जाते हैं।
इन आंकड़ों में स्कूलों की बुनियादी सुविधाएं, शिक्षकों की जानकारी, छात्रों की संख्या और अन्य संसाधनों का विवरण शामिल होता है। यह डेटा न केवल शिक्षा नीतियों को आकार देने में मदद करता है, बल्कि केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा संचालित योजनाओं के लिए बजट आवंटन और कार्य योजनाओं को तैयार करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
जिला कार्यक्रम स्थापना अधिकारी मो. शाहनवाज के अनुसार नालंदा जिले में कई विद्यालयों ने अब तक इस पोर्टल पर अपने आंकड़े अपलोड नहीं किए हैं, जिसे गंभीर लापरवाही माना जा रहा है।
उन्होंने कहा कि जिला स्तर से बार-बार निर्देश दिए गए हैं और वरीय अधिकारियों के आदेश भी स्कूलों तक पहुंचाए गए हैं। फिर भी कई विद्यालयों ने यू-डाइस प्लस 2025-26 के लिए आवश्यक प्रविष्टियां पूरी नहीं की हैं, जो अत्यंत खेदजनक है।
जारी निर्देश के अनुसार सभी विद्यालयों को निम्नलिखित जानकारी यू-डाइस प्लस पोर्टल पर विद्यालय का नाम, पता, स्थापना वर्ष और अन्य बुनियादी जानकारी, शिक्षकों की संख्या, उनकी शैक्षणिक योग्यता और अन्य प्रासंगिक विवरण, पेयजल की उपलब्धता, बिजली की सुविधा, शौचालयों की संख्या और स्थिति, उपकरण और शिक्षण सामग्री, इंटरनेट सुविधा, आईसीटी (सूचना और संचार प्रौद्योगिकी) लैब, स्मार्ट क्लासरूम की उपलब्धता अपलोड करनी होगी।
मो. शाहनवाज ने स्पष्ट किया कि राज्य शिक्षा कार्यालय ने भी इस देरी पर गहरी नाराजगी व्यक्त की है। यह लापरवाही न केवल जिले की छवि को प्रभावित करती है, बल्कि योजनाओं के कार्यान्वयन में भी बाधा उत्पन्न करती है। इसीलिए सभी विद्यालयों को 72 घंटे की समय सीमा दी गई है, जिसके भीतर उन्हें पोर्टल पर सभी आवश्यक जानकारी अपलोड करनी होगी।
दरअसल, यू-डाइस प्लस डेटा संग्रहण का उद्देश्य शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देना है। यह प्रणाली सरकार को यह समझने में मदद करती है कि किन क्षेत्रों में संसाधनों की कमी है और कहां अतिरिक्त निवेश की आवश्यकता है। उदाहरण के लिए यदि किसी स्कूल में स्मार्ट क्लासरूम या इंटरनेट की सुविधा नहीं है तो इस डेटा के आधार पर सरकार उस कमी को दूर करने के लिए कदम उठा सकती है।
कई स्कूल विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में डेटा अपलोड करने में तकनीकी और प्रशासनिक चुनौतियों का सामना करते हैं। इनमें इंटरनेट की कमी, प्रशिक्षित कर्मचारियों की अनुपलब्धता और समय की कमी शामिल हो सकती है। हालांकि जिला प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि ऐसी किसी भी समस्या के लिए तुरंत सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। स्कूलों को जिला शिक्षा कार्यालय से संपर्क करने की सलाह दी गई है, ताकि वे समय पर यह कार्य पूरा कर सकें।









