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आयुष्मान कार्ड स्वास्थ्य सेवा के लिए संजीवनी, पर 56% लाभुक अब भी वंचित

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Ayushman card is a lifesaver for health care, but 56% beneficiaries are still deprived
Ayushman card is a lifesaver for health care, but 56% beneficiaries are still deprived

आयुष्मान कार्ड जरूरतमंदों के लिए स्वास्थ्य सेवा की दिशा में एक बड़ा कदम है। लेकिन जागरूकता अभियान और बेहतर प्रबंधन के जरिए इसे व्यापक स्तर पर लागू करने की आवश्यकता है। ग्रामीण इलाकों में विशेष प्रयासों से कार्डधारिता के आंकड़े बेहतर किए जा सकते हैं, जिससे आमजन को सस्ती और सुलभ चिकित्सा सेवाएं मिल सकें

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। वुनियादि स्वास्थ्य सेवाओं को आमजन तक पहुंचाने के उद्देश्य से आयुष्मान भारत योजना के तहत आयुष्मान कार्ड बनाए जा रहे हैं, जो परिवार के हर सदस्य को सालाना पांच लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज की सुविधा प्रदान करता है। इसके तहत जिला के बड़े अस्पतालों के साथ-साथ 13 निजी क्लीनिकों को भी जोड़ा गया है। ताकि लोग उच्च स्तरीय स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ ले सकें।

हालांकि इस योजना के तहत जिला में केवल 43.42 फीसदी लाभुक ही अभी तक कार्ड प्राप्त कर पाए हैं। जबकि 56फीसदी लोग अब भी इस सेवा से दूर हैं। बेन प्रखंड 49.24 फीसदी कार्ड निर्माण के साथ अव्वल है। जबकि नूरसराय प्रखंड में मात्र 35.74 फीसदी कार्ड बन सके हैं। 10 प्रखंड ऐसे हैं, जहां कार्ड निर्माण की उपलब्धि जिला औसत से भी कम है।

कार्ड निर्माण को गति देने के लिए कई विशेष अभियान चलाए गए हैं। आशा कार्यकर्ताओं को घर-घर जाकर कार्ड बनाने की जिम्मेदारी दी गई है और 10 प्रखंड मुख्यालयों में विशेष शिविरों का आयोजन किया गया है। इसके अलावा, वसुधा केंद्रों पर भी मुफ्त में कार्ड बनाने की सुविधा दी गई है।

70 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों के लिए वय वंदना योजना के तहत अतिरिक्त पांच लाख रुपए सलाना स्वास्थ्य सेवा का प्रावधान है। नए राशन कार्डधारी भी एप के माध्यम से अपनी जानकारी अपडेट कर कार्ड बनवा सकते हैं।

बिहारशरीफ क्षेत्र में तीन लाख 97 हजार 571 लाभुक हैं, लेकिन इनमें से मात्र 36.79 फीसदी लोगों के पास कार्ड है। यह जिला में नीचे से दूसरे स्थान पर है। दूसरी ओर कतरीसराय प्रखंड में सबसे कम लाभुक होने के बावजूद उपलब्धि 48.14 फीसदी है।

आयुष्मान भारत की जिला समन्वयक के अनुसार स्वास्थ्यकर्मियों, जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के सहयोग से लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है। बावजूद इसके डिजिटल साक्षरता और जागरूकता की कमी प्रमुख बाधा बनी हुई है।

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