नालंदा दर्पण डेस्क। बिहार प्रदेश में नालंदा जिला की अपनी अलग धार्मिक पहचान भी रही है। यहाँ बड़गांव सदियों से सूर्योपासना का प्रमुख केंद्र रहा है। धार्मिक दृष्टिकोण से इसका बड़ा महत्व है।
नालंदा भगवान सूर्य की उपासना और अर्घ्य दान का भी महत्वपूर्ण केन्द्र रहा है। हमारे देश में कुल 12 प्रमुख सूर्यपीठ हैं। उन्हीं में से एक बड़गांव है।
यहां प्रागैतिहासिक कालीन सूर्य तालाब है। भगवान भास्कर को अर्घ्य देने की परंपरा इसी बड़गांव (पुराना नाम बर्राक) से शुरू हुई थी।
कहा जाता है कि यहां द्वापर काल का सूर्य तालाब है, जिसमें छठव्रती अर्घ्यदान और सूर्य मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं। मान्यता के मुताबिक इस परंपरा के अधिष्ठाता भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र राजा सांब हैं। महर्षि दुर्वासा के श्राप से उन्हें कुष्ट रोग हो गया था।
भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें बर्राक (बड़गांव) में सूर्य उपासना करने पर रोग से मुक्ति का मार्ग बताया था। पिता के बताये अनुसार राजा सांब बर्राक पहुंचे, लेकिन यहां सूर्योपासना कराने वाले पुरोहित नहीं थे।
कृष्णायन ग्रंथ के अनुसार सांब ने मध्य एशिया के क्रौंचद्वीप से पूजा कराने के लिए ब्राह्मण बुलाया था।
वाचस्पति संहिता के अनुसार 49 दिनों तक बर्राक (बड़गांव) में सूर्य उपासना, साधना और अर्घदान के बाद राजा सांब को कुष्ट से मुक्ति मिली थी।
ऐसी मान्यता है कि द्वापर काल में बड़गांव सूर्य तालाब के मध्य में दो कुंड थे। एक दूध से भरा होता था, दूसरा जल से। सरोवर में अर्घ्य दिये जाते थे। दोनों कुंड से दूध और जल सूप पर ढारे जाते थे।
आज भी सूप पर दूध और जल ढारने की परंपरा है। लेकिन वह पौराणिक सूर्य तालाब जमींनदोज हो गया है। उसी तालाब के ऊपर एक बड़ा तालाब मौजूद है, जहां सूर्य उपासक स्नान और अर्घदान करते हैं।
सूर्य तालाब के उत्तर-पूरब कोने पर पत्थर का एक मंदिर था। उस मंदिर में भगवान सूर्य की विशाल प्रतिमा थी, उसका निर्माण पाल राजा नारायण पाल ने 10वीं सदी में कराया था।
वर्तमान में वह मंदिर अस्तित्व में नहीं है। वह 1934 के भूकंप में ध्वस्त हो गया था। दूसरे स्थान पर बड़गांव में सूर्य मंदिर का निर्माण कराया गया है।
इस मंदिर में पुराने मंदिर की सभी प्रतिमाएं स्थापित की गयी हैं। सभी प्रतिमाएं पालकालीन हैं।
ऐसी मान्यता है कि जो कोई सच्चे मन से बड़गांव में पूजा, साधना, आराधना और मनौती मांगने आता है, उसकी मनोकामना पूरी होती है। बड़गांव सूर्य तालाब में स्नान करने और भगवान भास्कर की आराधना से चर्म और कुष्ट रोग दूर हो जाते हैं।
यहां मुस्लिम समुदाय के लोग भी छठ करने के लिए आते हैं। बड़गांव में छठ की छटा देखने के लिए विदेशी भी बड़ी संख्या में आते हैं।
बड़गांव अब लोक परंपरा बन गयी है। यहां साल में दो बार कार्तिक और चैत मास में छठ पर्व के मौके पर विशाल मेला लगता है।
बड़गांव राजगीर से करीब 15 किलोमीटर उत्तर और पटना से 85 किलोमीटर दक्षिण प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय भग्नावशेष के पास है।
बड़गांव का सूर्य मंदिर जितना पुराना है, उतना ही इसका धार्मिक महत्व है। बड़गांव आप ट्रेन और बस के जरिए आ सकते हैं।
स्थानीय किंवदती-मान्यता है कि ऐसी मान्यता है कि महर्षि दुर्वाशा जब भगवान श्रीकृष्ण से मिलने द्वारिका गये थे, उस समय भगवान श्रीकृष्ण रुक्मिणी के साथ विहार कर रहे थे। उसी दौरान अचानक किसी बात पर भगवान श्रीकृष्ण के पौत्र राजा साम्ब को अपनी हंसी आ गई।
महर्षि दुर्वाशा ने उनकी हंसी को अपना उपहास समझ लिया और राजा साम्ब को कुष्ट होने का श्राप दे दिया। इस कथा का वर्णन पुराणों में भी है। इसके बाद श्रीकृष्ण ने राजा साम्ब को कुष्ट रोग से निवारण के लिए सूर्य की उपासना के साथ सूर्य राशि की खोज करने की सलाह दी थी। उनके आदेश पर राजा शाम्ब सूर्य राशि की खोज में निकल पड़े। रास्ते में उन्हें प्यास लगी।
राजा शाम्ब ने अपने साथ में चल रहे सेवक को पानी लाने का आदेश दिया। घना जंगल होने के कारण पानी दूर-दूर तक नहीं मिला। एक जगह गड्ढे में पानी तो था, लेकिन वह गंदा था। सेवक ने उसी गड्ढे का पानी लाकर राजा को दिया।
राजा ने पहले उस पानी से हाथ-पैर धोया उसके बाद उस पानी से प्यास बुझायी। पानी पीते ही उन्होंने अपने आप में अप्रत्याशित परिवर्तन महसूस किया। इसके बाद राजा कुछ दिनों तक उस स्थान पर रहकर गड्ढे के पानी का सेवन करते रहे।
तब राजा शाम्ब ने 49 दिनों तक बर्राक (वर्तमान का बड़गांव) में रहकर सूर्य की उपासना और अर्घ्यदान भी किया। इससे उन्हें श्राप से मुक्ति मिली। उनका कुष्ष्ट रोग पूरी तरह से ठीक हो गया।
-
दीवाली मनाने गाँव गए दो सगे शिक्षक भाई के मकान में 5 लाख की चोरी
-
‘लुच्ची-लुच्चा’ निकले चंडी सीओ-थानेदार, अनशन तुड़वा नहीं पहुंचे माँ लक्ष्मी की द़र
-
जेजेबी जज ने बच्चों संग मनाई दिवाली, खिलाया खाना, बाँटी फुलझड़ी
-
चोरों के निशाने पर ज्वेलरी शॉप, 6 लाख के जेवर समेत CCTV हार्ड डिस्क भी उड़ाए
-
जिप प्रत्याशी पिंकी का चुनाव प्रचार चरम पर, मतदाताओं के समर्थन का दावा
Comments are closed.