बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। भारत सरकार ने इस बार के आम बजट में बौद्ध सर्किट विकास के लिए विशेष प्रावधान किया है। जिससे बौद्ध धर्म के प्रमुख स्थलों को नया स्वरूप देने की दिशा में बड़ी पहल होती दिख रही है। इससे पहले पिछली बार के बजट में महाबोधि कॉरिडोर के निर्माण की घोषणा की गई थी और अब सरकार इसे विस्तृत रूप देने की तैयारी कर रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 सितंबर 2015 को महाबोधि मंदिर की यात्रा के दौरान बोधगया को एक आध्यात्मिक राजधानी के रूप में विकसित करने की बात कही थी। अब यह सपना साकार होता दिख रहा है। केंद्र और राज्य सरकारों के निरंतर प्रयासों से बोधगया, राजगीर, नालंदा और आसपास के बौद्ध स्थलों का व्यापक विकास किया जा रहा है।
बोधगया में महात्मा बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था और इसे बौद्ध धर्म का सबसे पवित्र स्थल माना जाता है। ऐसे में बुद्ध सर्किट के विकास से यहां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
बोधगया ट्रैवल एसोसिएशन और होटल एसोसिएशन का मानना है कि बौद्ध सर्किट के विस्तार से विदेशी पर्यटकों का आगमन बढ़ेगा, जिससे होटल व्यवसाय, परिवहन, स्थानीय हस्तशिल्प उद्योग और सड़क किनारे छोटे व्यवसायियों को सीधा लाभ मिलेगा।
इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय ट्रैवल एजेंसियों के सहयोग से पर्यटन उद्योग को नई ऊंचाइयां मिलेंगी। जिससे बिहार का वैश्विक पर्यटन नक्शे पर और मजबूत स्थान बनेगा।
बता दें कि राजगीर और नालंदा ऐतिहासिक रूप से बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण केंद्र रहे हैं। उनके विकास पर भी जोर दिया जा रहा है। बोधगया और राजगीर के बीच स्थित गुरुपद गिरी पर्वत, ढूंगेश्वरी और कुर्किहार जैसे स्थलों का भी पर्यटन दृष्टिकोण से कायाकल्प किया जाएगा।
कहा जाता है कि इन स्थलों पर वर्तमान में बौद्ध श्रद्धालु आते तो हैं, लेकिन सुविधाओं की कमी के कारण उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। अब सरकारी बजट से इस दिशा में बुनियादी ढांचे का विकास किया जाएगा। इससे इन क्षेत्रों की महत्ता और पर्यटन की संभावनाएं और अधिक बढ़ेंगी।
अब बौद्ध सर्किट के विस्तार से बिहार में धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन का जबरदस्त विस्तार होगा, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा। विदेशी श्रद्धालुओं के आगमन से स्थानीय व्यापार में वृद्धि होगी और लोगों को रोजगार के नए अवसर उपलब्ध होंगे।
अब देखना यह होगा कि इस बजटीय प्रावधान को सरकार कितनी तेजी से धरातल पर उतारती है। यदि इसे सही दिशा में क्रियान्वित किया गया तो बिहार का बौद्ध सर्किट वैश्विक पर्यटन के प्रमुख केंद्रों में अपना स्थान बना सकता है।
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