राजगीरधर्म-कर्मनालंदापर्यटनबिग ब्रेकिंग

राजगीर से बोधगया तक थाईलैंड के बौद्ध भिक्षुओं की धम्म पदयात्रा

राजगीर (नालंदा दर्पण)। बिहार के ऐतिहासिक शहर राजगीर में शांति और प्रेम का संदेश फैलाने के लिए थाईलैंड से आए 324 बौद्ध भिक्षुओं ने एक अनूठी पहल शुरू की है। इन भिक्षुओं ने राजगीर से बोधगया तक की 22 दिनों की पैदल धम्म पदयात्रा का शुभारंभ किया। यह यात्रा भगवान बुद्ध के जीवन और शिक्षाओं से जुड़े पवित्र स्थलों को जोड़ती है। जिसमें बौद्ध भिक्षु ध्यान, प्रार्थना और आत्मचिंतन के साथ आगे बढ़ रहे हैं। इस धम्म पदयात्रा का उद्देश्य न केवल आध्यात्मिक जागरूकता फैलाना है, बल्कि दुनिया भर में शांति और सद्भाव का संदेश देना भी है।

इस अवसर पर आयोजित एक सभा में बौद्ध गुरु अचान चरन ने अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि आज पूरी दुनिया कई चुनौतियों से जूझ रही है। वैश्विक संकटों के बीच हमें केवल आर्थिक या तार्किक नेताओं की ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक नेताओं की भी सख्त जरूरत है।

उन्होंने धम्म के अर्थ को स्पष्ट करते हुए कहा कि धम्म का मतलब है सद्गुण, धार्मिकता, सामाजिक कर्तव्य और ब्रह्मांडीय कानून व व्यवस्था। इस पदयात्रा के जरिए हम धम्म की खोज कर रहे हैं और प्रकृति की सुंदरता व सादगी में ध्यान लगा रहे हैं। उनके शब्दों ने उपस्थित लोगों में गहरी छाप छोड़ी।

प्रधान बौद्ध भिक्षु डा. वांग यिहान ने इस यात्रा के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि बौद्ध भिक्षु जब अपने दिमाग की बात करते हैं तो वे अपने दिल की ओर इशारा करते हैं। यह यात्रा हमारे लिए आत्मिक शुद्धि और शांति का मार्ग है।

उन्होंने बताया कि यह पदयात्रा भगवान बुद्ध के जीवन से प्रेरणा लेती है और उनके संदेश को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास है। डा. वांग ने यह भी कहा कि यह यात्रा बौद्ध धर्म के मूल्यों को जीवंत करने का एक अनूठा अवसर है।

पदयात्रा में शामिल बौद्ध भिक्षु मागबो शोआ ने भगवान बुद्ध के त्याग और सत्य की खोज को याद किया। उन्होंने कहा कि राजकुमार के रूप में जन्मे गौतम बुद्ध ने सत्य और मोक्ष की तलाश में अपना राजपाट, वैभव और परिवार सब कुछ छोड़ दिया था। उनकी यह यात्रा हमें सिखाती है कि सच्ची शांति और आनंद भौतिक सुखों में नहीं, बल्कि आत्मज्ञान में है। मागबो शोआ ने इस बात पर जोर दिया कि यह पदयात्रा बुद्ध के उस बलिदान और संदेश को फिर से जीवंत करने का प्रयास है।

बता दें कि यह धम्म पदयात्रा 22 दिनों तक चलेगी। जिसमें थाईलैंड के ये बौद्ध भिक्षु राजगीर से शुरू होकर बोधगया तक पैदल यात्रा करेंगे। इस दौरान वे बुद्ध से जुड़े प्रमुख स्थलों जैसे गृद्धकूट पर्वत, वेणुवन और महाबोधि मंदिर जैसे पवित्र स्थानों पर रुकेंगे। हर कदम पर वे ध्यान, प्रार्थना और बौद्ध मंत्रों का जाप करते हुए आगे बढ़ेंगे। यह यात्रा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिहाज से भी बिहार के लिए खास मानी जा रही है।

स्थानीय लोगों ने इस पदयात्रा का गर्मजोशी से स्वागत किया। राजगीर और आसपास के इलाकों में बौद्ध भिक्षुओं के इस समूह को देखने के लिए लोग उमड़ पड़े। भिक्षुओं के शांत और सौम्य व्यवहार ने सभी का मन मोह लिया। यह यात्रा न केवल बौद्ध अनुयायियों के लिए प्रेरणादायक है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि आज के भौतिकवादी युग में भी आध्यात्मिकता और सादगी का महत्व बना हुआ है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

error: Content is protected !!
The unsolved mysteries of the ancient Nalanda University राजगीर पांडु पोखर एक ऐतिहासिक पर्यटन धरोहर Rajgir Sone Bhandar is the world’s biggest treasure Artificial Intelligence is the changing face of the future