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Sunday, December 3, 2023
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    चौंकिए मत: इस स्‍कूल को देखकर लगता नहीं कि यह सरकारी स्कूल है !

    "यह एक ऐसा सरकारी स्कूल है, जिसे देखने के बाद सरकारी स्कूलों के प्रति आपका नजरिया बदल जाएगा। इस स्कूल की सुंदरता देखते बनती है। साफ-सफाई,पढ़ाई-लिखाई ऐसी कि इसके सामने चंडी के कुछ निजी स्कूल भी फेल है....

    चंडी (नालंदा दर्पण)। सरकारी स्कूलों की दुर्दशा एवं बदइंतजामी की खबरें तो आए दिन सामने आती ही रहती है। लेकिन चंडी प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय, दयालपुर की तस्वीर ही अलग है।

    चंडी के दयालपुर उत्क्रमित मध्य विद्यालय के परिसर में चारों तरफ साफ-सफाई, बगीचे में लगे रंग-बिरंगे फूल और छात्र-छात्राओं का अनुशासन इस स्कूल में चार चांद लगाता है। स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों का शैक्षणिक स्तर बेहतर हो सके, इसके लिए स्कूल प्रबंधन ने बच्चों को आईकार्ड, साफ सुथरी स्कूल ड्रेस में बच्चे स्कूल आ रहें हैं।

    Dont be surprised This school doesnt look like a government school 2सांस्कृतिक गतिविधियां: उत्क्रमित मध्य विद्यालय दयालपुर की स्थापना वर्ष 1951 में की गई थी। पिछले 71सालों से विधालय अपने गौरव‌ के लिए जाना जाता है। नब्बे के दशक में शिक्षा व्यवस्था भले ही थोड़े समय के लिए गिरी लेकिन पंचायती राज व्यवस्था के बीच जब पारा शिक्षकों की नियुक्ति हुई तो 2003 से इस स्कूल की किस्मत पलट गई।

    स्कूल के सहायक शिक्षक राकेश प्रसाद जो स्वयं प्रबंधन की पढ़ाई की। अपने योग्यता और कौशल से इस स्कूल की नई इबारत लिख डाली।

    आपको जानकर हैरानी होगी कि प्रायमरी और मिडिल स्‍कूल में पढ़ने वाले छात्रों की बाकायदा बाल कैबिनेट का गठन किया गया है, जिसमें प्रधानमंत्री से लेकर अन्य विभागों के मंत्री मौजूद हैं। प्रत्येक सप्ताह बाल कैबिनेट की बैठक होती है, जिसमें पढ़ाई, खेलकूद, स्वच्छता एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों सहित अन्य अहम गतिविधियों की रूपरेखा बनाकर क्रियान्वयन किया जाता है।Dont be surprised This school doesnt look like a government school 1

    इसके अलावा चेतना सत्र संचालन सह कहानी वाचन, कविता पाठ, सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी जैसे प्रतियोगितात्मक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। इस विधालय में बाल संसद, मीना मंच का गठन तो किया गया है, पोषण वाटिका और फलदार पौधा भी लगें हुए है।

    स्कूल में लगभग सवा दो सौ बच्चे हैं। जिनमें पढ़ाई के अलावा सांस्कृतिक गतिविधियों पर भी ध्यान दिया जाता है। बच्चे दिवस के मौके पर नुक्कड़ नाटक, नृत्य एवं जागरूकता नाटक का आयोजन भी करते हैं।

    स्कूल परिसर में चारों ओर हरियाली और साफ सफाई तो दिखेंगी ही क्लासरूम की सजावट, दीवारों पर गांधीजी के विचार भी दिखेंगे।

    गांव को रखतें हैं नशामुक्त: कहते हैं जो बड़े नहीं कर पाते हैं वो बच्चे कर देते हैं।इस विधालय के छात्रों ने हमेशा सामाजिक बुराईयों के खिलाफ लोगों को जागरूक किया है। गांव में नशामुक्ति के लिए बच्चों ने अभियान भी निकाला है। विभिन्न अवसरों पर छात्रों ने जागरूकता रैली निकाली कर लोगों को संदेश भी देते रहते हैं।

    सरकारी शिक्षकों ने बदल दी स्कूल की तस्वीर: शिक्षक अगर ठान लें तो सरकारी  स्कूल का माहौल बदल सकता है। ऐसा ही कुछ प्रयास किया है इस स्कूल के सभी सात शिक्षकों ने। सभी ने मिलकर स्कूल की तस्वीर ही बदल दी।

    स्कूल और शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के जुनून के साथ इन्होने सरकारी स्कूल का कायाकल्प ही कर दिया। एक सरकारी स्कूल को निजी स्कूलों से कहीं आगे ले जाकर खड़ा कर दिया है। यही वजह है कि स्कूल में एडमिशन के लिए कतार लगी रहती है।

    स्कूल के प्रभारी प्रधानाध्यापक विनय कृष्ण भूषण ने अपने कार्यकाल में उत्क्रमित मध्य विद्यालय दयालपुर की तस्वीर ही बदल दी। उनके इस कार्य में सारथी बने राकेश प्रसाद जिनके अथक प्रयास का ही परिणाम है कि यह स्कूल निजी स्कूल को मात कर रखा है।पूरे प्रखंड में इस स्कूल की चर्चा होती है।

    खुद यहां के सभी शिक्षक सिर्फ बच्चों के मेधा पर ही नहीं बल्कि उनके कौशल पर भी ध्यान देते हैं। खुद सरकारी शिक्षक होते हुए भी शिक्षक अपने स्कूल की साफ सफाई अपने हाथों में झाड़ू लेकर करते हैं।

    प्रभारी प्रधानाध्यापक विनय कृष्ण भूषण कहते हैं:  जिस स्थान पर हम काम करते हैं उसे यदि अपना मान कर काम किया जाए तो बदलाव संभव है। जब मैंने इस स्कूल का कार्यभार संभाला तो मन में चाह थी कि जहां काम कर रहा हूं, उस स्थान के लिए कुछ कर सकूं। इसी सोच के साथ प्रयास किया,सभी शिक्षकों ने भी मदद की और परिणाम सामने है।

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