“किसी प्रत्याशी के प्रस्तावक या समर्थक के बिहार नगरपालिका अधियनिय 2007 की धारा 18 और बिहार नगरपालिका निर्वाचन नियमावली 2007 के नियम 46 के अधीन अयोग्य होने की स्थिति में चुनाव के बाद नहीं होता है…
बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार राज्य निर्वाचन आयोग ने बिहारशरीफ नगर निगम के वार्ड संख्या-27 की पार्षद पर कोई कार्रवाई नहीं करते हुए जिला निर्वाची पदाधिकारी के इस मामले के संबंध में जिलाधिकारी से रिपोर्ट की मांगी है।
दरअसल, निर्वाचित वार्ड पार्षद के समर्थक को दो से अधिक संतान होने को लेकर यह मामला आयोग तक पहुंचा था। राज्य निर्वाचन आयोग के पास बिहारशरीफ वार्ड 27 की वार्ड पार्षद हेमंती देवी के समर्थक संजय कुमार के दो से अधिक संतान होने का मामला दायर किया गया।
यह वाद दायर श्रुति कुमार द्वारा किया गया और बताया गया कि निर्वाचित वार्ड पार्षद के समर्थक संजय कुमार को दो से अधिक जीवित संतान रहने के कारण वार्ड पार्षद को पद से मुक्त किया जाये।
समर्थक संजय कुमार ने भी इसे स्वीकार कर लिया है कि उनके तीन जीवित संतान हैं। उन्होंने यह भी बताया कि उनका पहला संतान पुत्र है, जिसका जन्म 13 फरवरी, 2008 है। अगर उनके तीन संतान का जन्म 04.04.2008 के बाद होता तो तीन संतान का फॉर्मूले के तहत उनको अयोग्य घोषित किया जाता।
पूरे अभिलेखों, तर्कों, और जिला निर्वाचन पदाधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर आयोग ने कहा कि इस वाद की अधिकारिता आयोग में निहित नहीं है।
किसी प्रत्याशी के प्रस्तावक या समर्थक के बिहार नगरपालिका अधियनिय 2007 की धारा 18 और बिहार नगरपालिका निर्वाचन नियमावली 2007 के नियम 46 के अधीन अयोग्य होने की स्थिति में चुनाव के बाद नहीं होता है।
ऐसे में वादी के अनुरोध को आयोग ने अस्वीकार कर दिया गया और कहा गया कि वादी सक्षम न्यायालय के पास मामले को ले जाने को स्वतंत्र है।
इसके अलावा जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह जिलाधिकारी नालंदा को आदेश दिया है कि बिहारशरीफ नगर निगम के निर्वाची पदाधिकारी से इस मामले में स्पष्टीकरण प्राप्त करते हुए अपने मंतव्य के साथ एक माह के अंदर रिपोर्ट आयोग के भेजें, जिससे आगे की कार्रवाई की जा सके।
निर्वाची पदाधिकारी के सामने नामांकन पत्र दाखिल करने के समय ही समर्थक के तीन संतान को लेकर मामला लाया गया था। बावजूद उनका नामांकन पत्र स्वीकार कर लिया गया।
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