Home नालंदा बिहारशरीफ-हिलसा कोर्ट में बेमियादी हड़ताल से न्यायिक प्रक्रिया ठप, पक्षकार परेशान

बिहारशरीफ-हिलसा कोर्ट में बेमियादी हड़ताल से न्यायिक प्रक्रिया ठप, पक्षकार परेशान

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Indefinite strike in Biharsharif-Hilsa court halts judicial process, parties troubled
Indefinite strike in Biharsharif-Hilsa court halts judicial process, parties troubled

इस हड़ताल ने न्यायपालिका के संचालन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि जल्द समाधान नहीं निकला तो यह स्थिति और अधिक जटिल हो सकती है

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहारशरीफ और हिलसा कोर्ट में न्यायालयकर्मियों ने अपनी चार सूत्री मांगों को लेकर बेमियादी हड़ताल शुरू कर दी है। इस अभूतपूर्व हड़ताल ने न्यायिक प्रक्रिया को ठप कर दिया है। जिससे पक्षकारों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जमानत और अन्य आवश्यक न्यायिक कामकाज लगभग पूरी तरह से बंद हैं।

हालांकि हड़ताल के बीच जिला जज अमिताभ चौधरी ने न्याय प्रक्रिया को बनाए रखने के लिए स्वयं जमानत मामलों की सुनवाई की। उन्होंने आरोपितों को पर्सनल बॉन्ड और पीआर बॉन्ड पर छोड़ने का आदेश दिया। इसके बावजूद हड़ताल के कारण अधिकांश मामलों में जमानत नहीं हो सकी, जिससे परिजन मायूस नजर आए।

हड़ताल का नेतृत्व कर रहे नालंदा जिला व्यवहार न्यायालय कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष श्यामसुंदर प्रसाद और सचिव सुशील कुमार ने बताया कि उनकी चार प्रमुख मांगें हैं-

शेट्टी कमीशन की सिफारिशें लागू करना: सर्वोच्च और उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद इसे राज्य सरकार द्वारा अब तक लागू नहीं किया गया।

वेतन विसंगति का समाधान: कर्मचारियों के वेतन संबंधी विसंगतियों को दूर करना।

पदोन्नति और बहाली: तृतीय और चतुर्थ वर्ग के कर्मचारियों की शीघ्र पदोन्नति और 100% अनुकंपा पर बहाली।

विशेष न्यायिक कैडर: न्यायालयकर्मियों के लिए विशेष न्यायिक कैडर का गठन।

संघ के नेताओं ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने बार-बार आश्वासन देकर न्यायालयकर्मियों को छलने का काम किया। 2009 में दिए गए आदेशों का पालन अब तक नहीं किया गया और 2024 में उनकी मांगों को खारिज कर दिया गया।

यह हड़ताल केवल नालंदा जिले तक सीमित नहीं है। राज्यभर के 38 जिलों के 7500 न्यायालयकर्मियों ने इस हड़ताल में भाग लिया है। हिलसा व्यवहार न्यायालय कर्मचारी संघ के उपाध्यक्ष विजय शंकर ने कहा कि यह हड़ताल तब तक जारी रहेगी जब तक सभी मांगें पूरी नहीं हो जातीं।

हड़ताल के कारण कोर्ट में आने वाले पक्षकारों को अपने मामलों में कोई प्रगति नहीं मिल रही। जमानत की प्रतीक्षा कर रहे परिवारों को निराशा का सामना करना पड़ा। कई लोग कोर्ट परिसर में अपनी समस्याओं के समाधान के लिए भटकते नजर आए।

संघ के नेताओं ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर सरकार उनकी मांगों को जल्द पूरा नहीं करती, तो आंदोलन और व्यापक होगा। उन्होंने सरकार से अपील की है कि वह न्यायालयकर्मियों की समस्याओं को गंभीरता से लेते हुए शीघ्र समाधान निकाले।

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