नालंदा दर्पण डेस्क। अपने पांच वर्षों के कार्यकाल में फैसलों की अनेक चर्चित लकीरें खींचने वाले जिला किशोर न्याय परिषद (जेजेबी) के प्रधान दंडाधिकारी मानवेन्द्र मिश्र को हाईकोर्ट के निर्देश पर बिहारशरीफ कोर्ट में ही अब दूसरे कोर्ट की अहम जिम्मेवारी दी गयी है।
खबरों के मुताबिक बीते कल मंगलवार को उन्होंने सब जज 6 सह एसीजेएम 5 की जिम्मेवारी ग्रहण कर ली। इनकी जगह पर अब आशीष रंजन जेजेबी के प्रधान दंडाधिकारी बनाये गये हैं। उन्होंने श्री मिश्र से प्रभार ग्रहण कर ली है।
इनके पूर्व जज मिश्र करीब पांच वर्षों तक जेजेबी के प्रधान दंडाधिकारी के पद पर रहे। इस दौरान जहां उन्होंने बाल कानूनों के प्रति लापरवाह अधिकारियों पर कानून का डंडा चलाया, वहीं कई ऐसे फैसले दिये, जो जेजेबी के इतिहास में मील का पत्थर साबित हुए। और देश भर में चर्चित हुए।
यही नहीं इनके कार्यकाल लगातार चार वर्षों तक जेजेबी नालंदा पूरे सूबे में अव्वल रहा। सूबे का पहला बाल मित्र थाना, मॉडल पर्यवेक्षण गृह, बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारियों का गठन, जेजे एक्ट 78 के तहत पहली बार कार्रवाई, कौशल विकास कार्यक्रम में सूबे में अव्वल स्थान सहित कई बड़ी उपलब्धियां इनके नाम रही।
लोगों तक पहुंचायी जेजेबी कानून की जानकारीः आम तौर पर बाल एवं किशोर से संबंधित कानून के बारे में आम लोग ही नहीं बल्कि पुलिस पदाधिकारियों को भी सही तरह से जानकारी नहीं होती थी।
बीते पांच वर्षों के दौरान अपने फैसलों, आदेश और कार्रवाई के कारण न सिर्फ पुलिस पदाधिकारियों बल्कि आम लोगों को जेजेबी कानून की बारीकियों के बारे में जानकारी दी।
सैकड़ों बच्चों का बनाया भविष्यः कई मामलों में इन्होंने जेजेबी कानून के साथ-साथ मानवीय संवेदना से पूर्ण फैसले सुनाये। जिसके कारण सैकड़ों बच्चों का भविष्य सुरक्षित हुआ।
मामूली अपराध में भी बच्चों और उनके अभिभवकों को कोर्ट का चक्कर लगाना पड़ता था। श्री मिश्र ने इस परिपाटी को बदला और आपराधिक मामलों में आरोपित किये जाने के बाद भी किशोर के हित में फैसले सुनाये।
इसके कारण कई किशोर प्रतियोगिता परीक्षा पास कर सरकारी नौकरी कर रहे हैं। जबकि अपहरण, रेप, हत्या जैसे जघन्य मामलों के आरोपित किशोर के केस की तेजी से सुनवाई कर सजा भी दी।
अफसरों पर की कार्रवाई की और पाठ भी पढ़ायाः विधि विरूद्ध बाल व किशोर से संबंधित मामलों में लापरवाही बरतने वाले कई अधिकारियों पर जेजेबी का डंडा चला।
दर्जन भर से अधिक पुलिस पदाधिकारियों के वेतन की कटौती की गयी। अनुसंधान और कर्तव्य में लापरवाही के कारण इन्हें दंडित किया। साथ ही समय-समय पर कार्यशाला के माध्यम से पुलिस पदाधिकारियों को जेजेबी कानून की जानकारी भी दी गयी।
पांच साल 2 माह का रहा कार्यकालः जज मानवेन्द्र मिश्र ने नवम्बर 2016 में बिहारशरीफ कोर्ट में योगदान किया था। करीब पांच साल दो माह का जेजेबी में इनका कार्यकाल रहा।
योगदान देने के साथ ही इन्होंने जूडिसियल कालोनी में गंदगी को लेकर तत्कालीन नगर आयुक्त को शो कॉज कर अपने तेवर का अहसास करा दिया था। इसके बाद तो दर्जनों लापरवाह अधिकारी कार्रवाई की जद में रहे।
सामाजिक गतिविधियों में भी रहे सक्रियः अदालत और समाज के बीच इन्होंने संबंध को काफी बेहतर किया। सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय रहे। कोरोना काल में भी जरूरतमंदों को खाना खिलाने से लेकर हर संभव सहायता की। गरीब बस्तियों में जाकर अपने सहयोगी न्यायिक पदाधिकारियों के साथ पौष्टिक खिचड़ी परोसी।
पर्यवेक्षण गृह में आत्मनिर्भर बन रहे किशोरः जज मिश्र के कार्यकाल में ही विधि विरूद्ध बालक व किशोरों को आवासित करने के लिए बिहारशरीफ में पर्यवेक्षण गृह अस्तित्व में आया।
उन्होंने पर्यवेक्षण गृह की व्यक्तिगत मॉनिटरिंग कर इसे मॉडल बनाया। बच्चों की पढ़ाई के साथ-साथ उनके हुनर को भी निखारा। बागवानी, मछली पालन, आर्ट एंड क्राफ्ट, टेलरिंग, मोमबत्ती निर्माण, मशरूम उत्पादन आदि की सैद्धांतिक और व्यवहारिक ट्रेनिंग दिलवाई। अभी भी किशोरों द्वारा बनायी गयी नटखट अगरबत्ती की काफी चर्चा है।
सूबे के सभी थानों को मिला जेजेबी नालंदा के निर्देशों को पालन करने का निर्देशः पुलिस पदाधिकारियों में जेजेबी कानूनों की जानकारी का अभाव और उनके द्वारा किये जा रहे इस उल्लंघन को देखते हुए जज मिश्र ने पुलिस मुख्यालय को पत्र लिखा था।
जिस पर पुलिस मुख्यालय द्वारा राज्य के सभी एसपी और एसएसपी को पत्र लिखकर जेजेबी नालंदा द्वारा बताये गये निर्देशों का पालन करने का आदेश जारी किया गया।
पहली बार दर्ज हुए जेजे एक्ट 78 के तहत मामलाः सूबे में पहली बार जेजे एक्ट 15 की धारा 78 के तहत पहला मामला दीपनगर थाने में दर्ज हुआ। आम तौर पर पुलिस इस कानून का कभी उपयोग नहीं करती है।
शराब तस्करी से संबंधित इस मामले में श्री मिश्र ने किशोर से शराब की तस्करी कराने वालों के विरूद्ध पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश दिये थे।
कोर्ट से हटकर यह काम भी रहा चर्चितः यूपी के अलीगढ़ जेल में बंद पुष्पलता और उसके मासूम बच्चे को इन्होंने मां-बाप से मिलवाया। कोर्ट से हटकर उन्होंने यह कार्रवाई की। पुष्पलता अपने परिजनों का पता तक नहीं बता रही थी। अलीगढ़ के जज ने जज मिश्र से संपर्क किया।
इसके बाद उन्होंने परिजनों को खोज निकाला और उन्हें अलीगढ़ भेजा। पुष्पलता थरथरी प्रखंड के खरजमा गांव की रहने वाली है। जेल में इसका कोई खोज खबर नहीं लेने वाला था। (सूचना स्रोतः दैनिक भास्कर)