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जानें बिहार के स्कूलों में शिक्षा सुधार को लेकर विभाग की क्या है नई योजना

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Know what is the new plan of the department regarding education reform in schools
Know what is the new plan of the department regarding education reform in schools

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार के सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए अब व्यापक अभियान चलाया जाएगा। स्कूलों में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि बच्चों का पाठ्यक्रम समय से पूरा हो और संसाधनों की कमी के कारण उन्हें पढ़ाई में कोई रुकावट न आए।

बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने ‘बिहार में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा: वर्तमान दशा और सुधार’ पर लाइव चर्चा में आगे बताया कि मार्च 2025 तक राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में आवश्यक संसाधनों की कमी पूरी कर दी जाएगी। इसमें टॉयलेट, कंप्यूटर सेंटर और पर्याप्त कक्षाओं का निर्माण शामिल होगा।

उन्होंने यह भी कहा कि स्कूलों में सभी शिक्षकों की शत-प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित की जाएगी और नए शिक्षकों को विशेष रूप से प्रोत्साहित किया जाएगा ताकि वे विद्यार्थियों को बेहतर ढंग से शिक्षा प्रदान कर सकें।

संसाधनों की कमी में सुधारः अपर मुख्य सचिव ने जमुई के एक सरकारी स्कूल का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां केवल दो कक्षाओं में बारह कक्षाएं संचालित की जा रही हैं। जो शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित कर रही है। लेकिन आने वाले समय में इन स्थितियों में व्यापक सुधार लाने की योजना बनाई गई है ताकि सभी स्कूलों में बच्चों को पर्याप्त सुविधाएं मिल सकें।

स्किल ट्रेनिंग और पाठ्यक्रम को रोचक बनाने का प्रयासः डॉ. सिद्धार्थ ने कहा कि ऊंची कक्षाओं में छात्रों की उपस्थिति बढ़ाने के लिए विभाग ने नए कदम उठाए हैं। शिक्षा विभाग अब स्किल ट्रेनिंग पर काम कर रहा है और नई शिक्षा नीति के तहत पाठ्यक्रम को अधिक रुचिकर बनाने की दिशा में भी कदम बढ़ा रहा है।

इस पहल से स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति बढ़ेगी और वे स्कूल में पढ़ाई को लेकर अधिक उत्साहित होंगे। इसके अलावा मिड डे मील योजना का भी बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

शिक्षकों के लिए अनिवार्य आवासीय प्रशिक्षणः डॉ. सिद्धार्थ ने बताया कि अब सभी स्कूली शिक्षकों के लिए हर साल छह दिन का आवासीय प्रशिक्षण अनिवार्य किया गया है। इसके अलावा उन शिक्षकों को भी चिन्हित किया जाएगा। जिन्हें अतिरिक्त प्रशिक्षण की आवश्यकता है और उनके लिए विशेष ट्रेनिंग कार्यक्रम तैयार किया जाएगा।

शिक्षा विभाग ने यह भी योजना बनाई है कि शिक्षकों में प्रतिस्पर्धा की भावना को प्रोत्साहित कर उन्हें अधिक गुणवत्तापूर्ण शिक्षण के लिए प्रेरित किया जाए।

ई-शिक्षाकोष और ई-सर्विसबुक की पहलः डॉ. सिद्धार्थ ने बताया कि ई-शिक्षाकोष के माध्यम से शिक्षकों और छात्रों की सभी गतिविधियों को डिजिटल माध्यम से नियंत्रित किया जाएगा। इससे हर स्कूल की पढ़ाई की स्थिति का विश्लेषण संभव होगा और यह भी पता चलेगा कि किस शिक्षक ने किस छात्र को पढ़ाया। इसके साथ ही ई-सर्विसबुक के माध्यम से हर शिक्षक का सेवा इतिहास ऑनलाइन उपलब्ध होगा।

बिहार शिक्षा विभाग के इन प्रयासों से यह उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में राज्य के सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा और अधिक से अधिक बच्चे स्कूलों में शिक्षा प्राप्त करने के लिए आकर्षित होंगे।

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