बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहारशरीफ सदर अस्पताल में संसाधनों की भारी कमी और व्यवस्थागत खामियों ने एक बार फिर से स्वास्थ्य सेवाओं की हालत को उजागर कर दिया है। इस अस्पताल में एक कैदी की हर्निया का ऑपरेशन के दौरान ऑपरेशन थियेटर (ओटी) की लाइट खराब हो गई। चिकित्सकों को मजबूरन टॉर्च की रोशनी में ऑपरेशन को अंजाम देना पड़ा। अस्पताल प्रशासन के इस कृत्य ने व्यवस्था में सुधार के सारे दावों को उजागर कर दिया है।
सूत्रों के अनुसार ओटी लाइट महीनों से खराब है। बावजूद इसके इस ओर ध्यान नहीं दिया गया। हालांकि, अस्पताल को बेहतर बनाने और संसाधनों से लैस करने के लिए सरकार ने ‘मिशन 60’ के तहत करोड़ों रुपये खर्च किए हैं। लेकिन वास्तविकता यह है कि अस्पताल में आवश्यक उपकरणों और सुविधाओं का घोर अभाव बना हुआ है।
अस्पताल के एक अधिकारी ने बताया कि उच्चाधिकारियों को इस समस्या से कई बार अवगत कराया गया, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। इस बीच टॉर्च की रोशनी में ऑपरेशन किए जाने की घटना ने अस्पताल की खस्ताहाल स्थिति और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के सरकारी दावों पर प्रश्न चिह्न लगा दिए हैं।
इस मामले पर स्थानीय नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने नाराजगी जाहिर की है। उनका कहना है कि जब सरकार स्वास्थ्य सेवाओं पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है तो फिर ऐसे हालात क्यों हैं? विशेषज्ञों का मानना है कि संसाधनों का अभाव भ्रष्टाचार और प्रशासनिक लापरवाही का स्पष्ट संकेत है।
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