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    Friday, April 18, 2025
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      श्रम अधीक्षक ने राजगीर वीरायतन पर लगाए गंभीर आरोप, मांगा जबाव

      राजगीर (नालंदा दर्पण)। राजगीर नगर अवस्थित धार्मिक और व्यवसायिक प्रतिष्ठान वीरायतन एक बार फिर विवादों के घेरे में है। जिला श्रम अधीक्षक ने वीरायतन प्रबंधन पर गरीब मजदूरों का शोषण करने, ठेका मजदूरी अधिनियम के तहत निबंधन नहीं कराने और सरकारी पदाधिकारियों को गुमराह करने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं। इस मामले में श्रम अधीक्षक ने वीरायतन के महाप्रबंधक को कड़ा पत्र जारी कर तीन दिनों के भीतर ठेके पर 50 से कम कामगारों की सेवा लिए जाने के संबंध में पुख्ता साक्ष्य प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। 

      श्रम अधीक्षक द्वारा जारी पत्र के अनुसार यह मामला तब सामने आया, जब मुख्यमंत्री सचिवालय से एक परिवाद पत्र प्राप्त हुआ। इस पत्र की कंडिका-05 में वीरायतन पर गरीब मजदूरों के शोषण, ठेका मजदूरी अधिनियम का उल्लंघन और सरकारी अधिकारियों को भटकाने का आरोप लगाया गया था। इस शिकायत के आधार पर श्रम अधीक्षक ने त्वरित कार्रवाई करते हुए पत्रांक 455, दिनांक 01.04.2025 के माध्यम से राजगीर और सरमेरा के श्रम प्रवर्तन पदाधिकारियों को संयुक्त जांच का जिम्मा सौंपा।

      श्रम प्रवर्तन पदाधिकारियों ने 03.04.2025 को अपनी संयुक्त जांच रिपोर्ट सौंपी, जिसमें चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। वीरायतन के एकाउंटेंट रंजीत कुमार ने जांच अधिकारियों को बताया कि संस्थान ने ठेका मजदूरी अधिनियम के तहत कोई निबंधन नहीं कराया है। यह जानकारी तब सामने आई, जब जांच दल ने वीरायतन के रिकॉर्ड्स और कार्यप्रणाली की गहन पड़ताल की। जांच अधिकारियों ने रंजीत कुमार को ठेका मजदूरी अधिनियम के तहत निबंधन की पूरी प्रक्रिया से अवगत कराया। लेकिन प्रबंधन की ओर से कोई ठोस जवाब नहीं मिला।

      ठेका मजदूरी (नियमन और उन्मूलन) अधिनियम- 1970 मजदूरों के हितों की रक्षा के लिए बनाया गया है। यह अधिनियम ठेके पर काम करने वाले मजदूरों को उचित वेतन, सामाजिक सुरक्षा और कार्यस्थल पर बेहतर सुविधाएं सुनिश्चित करता है। किसी भी संस्थान, जो 50 से कम मजदूरों को ठेके पर नियुक्त करता है, उसे इस अधिनियम के तहत निबंधन कराना अनिवार्य है। वीरायतन पर आरोप है कि उसने इस कानून का पालन नहीं किया। जिससे मजदूरों के अधिकारों का हनन हुआ।

      श्रम अधीक्षक ने अपने पत्र में वीरायतन प्रबंधन को चेतावनी दी है कि यदि तीन दिनों के भीतर ठोस साक्ष्य उपलब्ध नहीं कराए गए तो आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी। पत्र में स्पष्ट कहा गया है कि जांच प्रतिवेदन के आधार पर मजदूरों के शोषण और गैर-कानूनी गतिविधियों के आरोप गंभीर हैं, और प्रबंधन को इसका जवाब देना होगा।

      वीरायतन, जो अपने धार्मिक और सामाजिक कार्यों के लिए जाना जाता है, उसपर लगे ये आरोप राजगीर में चर्चा का विषय बन गए हैं। स्थानीय लोग और मजदूर संगठन इस मामले पर कड़ी नजर रखे हुए हैं। एक स्थानीय मजदूर नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वीरायतन जैसे प्रतिष्ठान से ऐसी उम्मीद नहीं थी। मजदूरों का शोषण किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

      अब इस मामले में अब सभी की नजरें वीरायतन प्रबंधन के जवाब और श्रम विभाग की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं। यदि आरोप सही पाए गए तो वीरायतन को न केवल कानूनी दंड का सामना करना पड़ सकता है, बल्कि उसकी छवि पर भी गहरा असर पड़ सकता है। दूसरी ओर यह मामला मजदूरों के अधिकारों और ठेका मजदूरी अधिनियम के पालन के महत्व को एक बार फिर रेखांकित करता है।

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