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Thursday, April 3, 2025
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ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर अपलोड होंगे फर्जी शिक्षकों की निगरानी जांच दस्तावेज

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार में फर्जी शिक्षकों पर शिकंजा कसने के लिए निगरानी विभाग ने एक बड़ा कदम उठाया है। वर्ष 2015 से अब तक नियुक्त शिक्षकों के प्रमाण पत्रों का सत्यापन कराया गया है। सत्यापन में फर्जी पाए जाने वाले शिक्षकों के खिलाफ स्थानीय थानों में प्राथमिकी दर्ज कराई गई और इनकी सूची सभी जिलों को उपलब्ध करा दी गई है। अब प्राथमिक शिक्षा निदेशक योगेंद्र सिंह ने निर्देश जारी करते हुए कहा है कि निगरानी जांच से संबंधित दस्तावेज़ ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर अपलोड किए जाएं।

बता दें कि ई-शिक्षा कोष पोर्टल एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है। इसे शिक्षा विभाग ने शिक्षकों से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी के आदान-प्रदान के लिए विकसित किया है। अब इस पोर्टल पर निगरानी जांच के तहत शिक्षकों की स्थिति को सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराया जाएगा।

निगरानी विभाग ने 2,80,737 फोल्डरों में 5,88,552 शिक्षकों के शैक्षणिक और प्रशैक्षणिक प्रमाण पत्रों का सत्यापन पूरा कर लिया है। इसके बावजूद विभिन्न जिलों के 73,000 शिक्षकों के फोल्डर अभी तक निगरानी विभाग को उपलब्ध नहीं कराए गए हैं।

प्राथमिक शिक्षा निदेशक ने सभी जिलों को चार श्रेणियों में शिक्षकों की स्थिति को पोर्टल पर अपलोड करने का निर्देश दिया है। जिसमें सत्यापन में सही पाए गए शिक्षक, सत्यापन में फर्जी पाए गए शिक्षक, निगरानी जांच प्रक्रियाधीन और फोल्डर उपलब्ध नहीं की क्षेणी है।

बकौल प्राथमिक शिक्षा निदेशक, निगरानी जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि बहाली के दौरान कई शिक्षकों ने फर्जी प्रमाण पत्र जमा किए। बाद में विभाग की मिलीभगत से उन्होंने मूल प्रमाण पत्रों की जगह अन्य दस्तावेज फाइल में लगा दिए। इन मामलों की जांच के लिए निगरानी विभाग ने नियोजन इकाइयों से शिक्षकों के फोल्डर के साथ-साथ मेधा सूची की भी मांग की है।

विभाग ने इस प्रक्रिया को शीघ्र पूरा करने का निर्देश दिया है। ताकि शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता लाई जा सके। यह कदम राज्य की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने और फर्जी शिक्षकों को बाहर करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है।

बहरहाल, फर्जी प्रमाण पत्रों के जरिए नौकरी पाने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई से यह संदेश स्पष्ट है कि राज्य सरकार और निगरानी विभाग शिक्षा व्यवस्था में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को बर्दाश्त नहीं करेगा। ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर दस्तावेज अपलोड होने से आम जनता को भी इस प्रक्रिया की जानकारी मिलेगी। इससे पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हो सकेगी।

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