बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहारशरीफ नगर में इन दिनों एक अजीबोगरीब चर्चा जोरों पर है। लोग इसे ‘मुंहनोचवा’ यानी बुलडोजर का भूत कहकर बुला रहे हैं। दरअसल बिहारशरीफ नगर निगम ने बीती रात एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया। जिसमें आलमगंज से लेकर भरावपर तक सड़क किनारे बने अतिक्रमण को बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया गया। यह कार्रवाई रात 11 बजे शुरू हुई और देर रात 2 बजे तक चली। इस दौरान सड़क के दोनों ओर जितने भी अवैध निर्माण और दुकानें थीं। उन्हें जमींदोज कर दिया गया। नगर निगम की इस तेज-तर्रार कार्रवाई में लगभग 200 दुकानों को निशाना बनाया गया।
शनिवार की सुबह जब दुकानदार अपनी दुकानों पर पहुंचे तो उनके होश उड़ गए। जहां कभी उनकी दुकानें खड़ी थीं। वहां अब सिर्फ मलबे का ढेर नजर आ रहा था। कई दुकानदारों ने बताया कि उन्हें इस कार्रवाई की कोई पूर्व सूचना नहीं थी। जिसके चलते वे अपने सामान को भी नहीं बचा सके। इस दौरान भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई थी ताकि कोई विरोध या बवाल न हो सके। नगर निगम का कहना है कि यह कार्रवाई शहर को अतिक्रमण मुक्त करने और सड़कों को चौड़ा करने के लिए जरूरी थी।
अतिक्रमण हटाने की इस कार्रवाई के बाद राजनीति भी गरमा गई है। AIMIM (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) के जिला अध्यक्ष मोहम्मद शमीम अख्तर ने नगर निगम पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि नगर निगम ने चोरों की तरह रात के अंधेरे में गरीबों की रोजी-रोटी छीनने का काम किया है। यह गरीबों के खिलाफ साजिश है। वहीं पूर्व विधायक पप्पू खान ने भी प्रशासन को आड़े हाथों लिया और कहा कि अतिक्रमण के नाम पर गरीबों के पेट पर लात मारी गई है। यह अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
दूसरी ओर नगर निगम के आयुक्त ने कार्रवाई को पूरी तरह नियमों के दायरे में बताया। उनका कहना है कि अतिक्रमण हटाने से पहले दुकानदारों को माइकिंग के जरिए सूचना दी गई थी और उन्हें समय भी दिया गया था। आयुक्त ने कहा कि शहर के विकास के लिए यह कदम जरूरी था। सड़कों पर अतिक्रमण से यातायात प्रभावित हो रहा था और आम लोगों को परेशानी हो रही थी। हमने पूरी पारदर्शिता के साथ यह कार्रवाई की।
स्थानीय लोगों के बीच इस कार्रवाई को लेकर तरह-तरह की बातें हो रही हैं। कुछ लोग इसे बुलडोजर भूत कहकर मजाक उड़ा रहे हैं तो कुछ इसे प्रशासन की सख्ती का प्रतीक मान रहे हैं। दुकानदारों का कहना है कि रात में हुई इस कार्रवाई से उन्हें संभलने का मौका तक नहीं मिला। अब सवाल यह है कि क्या यह कार्रवाई वाकई शहर के हित में थी या यह गरीब दुकानदारों के लिए एक नया संकट लेकर आई है? बिहारशरीफ में यह मामला अभी कई दिनों तक चर्चा का विषय बना रहेगा।
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