बीते 2 फरवरी 21 को अभियुक्त पुलिस कस्टडी से फरार हो गया था। इस मामले में विधि विरूद्ध किशोर 28 जून 21 से ही लगातार न्यायिक हिरासत में है।
नालंदा दर्पण डेस्क। नालंदा जिला किशोर न्याय परिषद में लंबित मामलों को लेकर दिए गए दिशा-निर्देश का पालन नहीं करना पावापुरी ओपी प्रभारी शकुंतला कुमारी को महंगा पड़ा है।
जेजेबी जज मानवेन्द्र मिश्र ने एसपी को ओपी प्रभारी के वेतन से 10 हजार रुपये वाद स्थगन खर्च के रूप में काटकर बिहार किशोर न्याय निधि में जमा करने और विभागीय कार्रवाई प्रारंभ करने का निर्देश दिया है। एएसआई छोटन चौधरी के विरूद्ध भी कार्रवाई करने को कहा गया है।
ओपी प्रभारी पर लूट एवं बलात्कार जैसे पाक्सो एक्ट में भी निर्धारित समय के भीतर विधिक कर्तव्य का पालन नहीं करने को लेकर जेजेबी ने यह सख्त कार्रवाई की है।
बता दें कि थाना प्रभारी ही बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी भी होते हैं। ऐसे में जेजेबी संबंधित मामलों में की गयी देरी को गंभीर लापरवाही माना जा रहा है। उन पर तीन मामलों में लापरवाही को लेकर यह कार्रवाई की गयी है।
खबरों के मुताबिक थाना प्रभारी की लापरवाही के कारण जेजेबी में न्यायिक कार्य प्रभावित हो रहा है। न्यायालय ने वाद के निष्पादन में देरी के लिए जिम्मेवार मानते हुए आईपीसी धारा 309 के तहत यह दंड लगाया है।
बीते 2 फरवरी 21 को अभियुक्त पुलिस कस्टडी से फरार हो गया था। इस मामले में विधि विरूद्ध किशोर 28 जून 21 से ही लगातार न्यायिक हिरासत में है।
निर्धारित समय के अंदर चार्जशीट दाखिल नहीं होने के कारण किशोर को नियमानुसार जमानत का लाभ दे दिया गया। किशोर न्याय अधिनियम के अनुसार यदि कोई विधि विरूद्ध किशोर अभिरक्षा से फरार हो जाता है तो बालक पर कोई अतिरिक्त कार्रवाई नहीं होगी। यह सामान्य प्रकृति का अपराध है।
किशोर की प्रथम पेशी के करीब पांच माह बीत चुके हैं। आईओ ने अंतिम प्रपत्र जेजेबी को नहीं सौंपा है। जिसके कारण किशोर न्याय अधिनियम के अनुसार मामले का निस्तारण करते हुए किशोर को दोषमुक्त कर दिया गया। आईओ के विरूद्ध भी कार्रवाई होगी।
मामला पावापुरी ओपी से संबंधित 13 मार्च 21 को घटित बलात्कार का प्रयास एवं पाक्सो एक्ट से संबंधित है। आईओ स्वयं ओपी प्रभारी ही हैं। 24 अगस्त से किशोर लगातार न्यायिक हिरासत में था।
21 अगस्त को आरोप गठन करते हुए आईओ को साक्ष्य पेश करने का निर्देश दिया गया। 22 अक्टूबर को एसपी के स्तर से भी सम्मन जारी किया गया। लेकिन निर्धारित तिथि तक न तो आईओ और न ही कोई साक्षी प्रस्तुत हुए। जिसके कारण किशोर को जमानत का लाभ मिला।
पावापुरी ओपी से संबंधित 15 मई 21 को हुई लूट के एक मामले में विधि विरूद्ध किशोर ने जेजेबी में आवेदन दिया था कि पुलिस ने उसके पास से जो मोबाइल जब्त किया था वह उसका अपना है।
वह वैध कागजात न्यायालय में जमा कर मोबाइल लेना चाहता था। किशोर के आवेदन पर 16 सितम्बर 21 को ओपी प्रभारी से इस संबंध में प्रतिवेदन मांगा गया था, लेकिन निर्धारित समय में जेजेबी में जवाब नहीं दिया गया।
23 अक्टूबर को फिर से ओपी प्रभारी को स्मार पत्र जारी कर प्रतिवेदन की मांग की गयी। बावजूद इसके कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया। करीब छह माह से मामला लंबित चला आ रहा है।
जबकि जेजेबी के नियमों के अनुसार जेजेबी में बालक की प्रथम पेशी के चार माह के अवधि के भीतर मामले का निस्तारण करना होता है। अन्यथा सामान्य प्रकृति का मामला स्वत: समाप्त हो जाता है।