Home गाँव जेवार PMAYG: 10 प्रखंडों के मनरेगा कार्यक्रम पदाकारी नपे, DDC ने वेतन रोका

PMAYG: 10 प्रखंडों के मनरेगा कार्यक्रम पदाकारी नपे, DDC ने वेतन रोका

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PMAYG 10 block MNREGA program officials suspended, DDC stopped salary
PMAYG 10 block MNREGA program officials suspended, DDC stopped salary

सरकारी योजनाओं (PMAYG) का सही तरीके से क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए यह कार्रवाई अन्य विभागीय अधिकारियों के लिए चेतावनी है। लाभुकों को उनका हक दिलाने के लिए दोषियों पर कार्रवाई का यह सिलसिला आगे भी जारी रखना होगा

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण (PMAYG) के अंतर्गत लाभुकों को समय पर मजदूरी का भुगतान न होने पर प्रशासन ने सख्त कदम उठाए हैं। जिले के 10 प्रखंडों में मनरेगा कार्यक्रम पदाधिकारियों की लापरवाही उजागर होने पर उपविकास आयुक्त (डीडीसी) खांडेकर श्रीकांत कुंडलीक ने उनके वेतन निकासी पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है।

दरअसल, पीएमएवाइजी के तहत प्रत्येक लाभुक को 90 दिनों की मजदूरी का भुगतान मनरेगा योजना के तहत किया जाना है। लेकिन जिले के हरनौत, रहुई, नूरसराय, एकंगरसराय, चंडी, इस्लामपुर, हिलसा, बिहारशरीफ, नगरनौसा और बेन प्रखंडों में 1127 लाभुकों के मस्टर रॉल अब तक स्वीकृत नहीं किए गए हैं। इस वजह से सॉफ्टवेयर पर आवास निर्माण को पूर्ण दिखाने में भी बाधा उत्पन्न हो रही है।

11 दिसंबर 2024 को आयोजित समीक्षा बैठक में पता चला कि इन प्रखंडों में मस्टर रॉल जेनरेट करने के दावे तो किए गए, लेकिन हकीकत में इसका कोई काम नहीं हुआ। अनुश्रवण रिपोर्ट में कार्य की प्रगति न होने से प्रशासन ने इसे पदाधिकारियों की गंभीर लापरवाही करार दिया।

डीडीसी ने सभी संबंधित पदाधिकारियों को 19 दिसंबर तक अपना पक्ष रखने का अंतिम मौका दिया है। नोटिस में स्पष्ट किया गया है कि आवास सॉफ्टवेयर पर बिना मजदूरी भुगतान के आवास पूर्ण नहीं दिखाया जा सकता। ऐसे में यह स्थिति लाभुकों के लिए बड़ी बाधा बन रही है। डीडीसी ने इसे वित्तीय वर्ष 2024-25 के लक्ष्यों की पूर्ति में बाधा बताते हुए स्पष्टीकरण मांगा है।

प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के अंतर्गत लाभुकों को मकान निर्माण के लिए आर्थिक सहायता दी गई थी। इसके साथ मनरेगा के माध्यम से मजदूरी का भुगतान कर 90 दिनों का मानव दिवस सृजन का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन प्रखंड स्तर पर मिली-जुली लापरवाही ने लाभुकों के हितों पर कुठाराघात किया है।

अगर पदाधिकारी संतोषजनक स्पष्टीकरण देने में असफल रहते हैं तो उनके खिलाफ और कठोर कदम उठाए जा सकते हैं। डीडीसी ने यह भी संकेत दिया कि इस तरह की शिथिलता न केवल प्रशासनिक कार्यों को बाधित करती है, बल्कि योजनाओं के क्रियान्वयन पर भी सवाल खड़े करती है।

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