प्रवासी मजदूरों की वापसी: ट्रेनों और बसों में उमड़ी भीड़, दलालों की चांदी

Return of migrant workers Crowds gathered in trains and buses, middlemen making a lot of money
Return of migrant workers Crowds gathered in trains and buses, middlemen making a lot of money

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। दीपावली और छठ पूजा के बाद घर आए प्रवासी मजदूरों की वापसी से ट्रेन और बसों में भारी भारी भीड़ उमड़ पड़ी हैं। ट्रेनों और बसों में जगह की किल्लत इतनी बढ़ गई है कि लोग सीटों से ज्यादा संख्या में यात्रा कर रहे हैं।

नालंदा के कई रेलवे स्टेशनों, जैसे- राजगीर, सिलाव, बिहारशरीफ और इसलामपुर पर यात्रियों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है। आरक्षित बोगियों में टिकट पूरी तरह से भर चुके हैं और वेटिंग टिकटों की संख्या भी आसमान छू रही है। ऐसे में जनरल बोगियों पर जबरदस्त दबाव बढ़ गया है, जहां सफर करना यात्रियों के लिए चुनौती बन चुका है।

ट्रेनों की जनरल बोगियों में इतनी भीड़ हो गई है कि शौचालय तक जाने के लिए यात्रियों को लंबी कतारों में इंतजार करना पड़ रहा है। यात्री सीटों के नीचे, सामान रखने की जगह और शौचालय के पास तक बैठकर सफर कर रहे हैं। कई यात्रियों ने शिकायत की है कि भीड़ के कारण ट्रेनों के शौचालय तक पहुंचने में पसीने छूट जाते हैं और यात्रा बेहद कष्टदायक हो गई है।

इस भारी भीड़ का फायदा उठाकर टिकट दलालों ने अपनी चांदी कूटनी शुरू कर दी है। तत्काल टिकट की मांग में तेजी से बढ़ोतरी होने के कारण दलाल निर्धारित दर से कई गुना अधिक कीमत वसूल रहे हैं। स्लीपर क्लास के लिए तत्काल टिकट 1500 रुपये से ज्यादा में बेचे जा रहे हैं। जबकि थर्ड एसी के टिकटों के लिए 2500 रुपये तक की वसूली हो रही है। दलालों का एक बड़ा नेटवर्क काम कर रहा है। जो रेलवे काउंटर के कर्मचारियों की मदद से तत्काल टिकट प्राप्त करके ऊंची दरों पर बेच रहे हैं।

राजगीर और इसलामपुर से नई दिल्ली जाने वाली श्रमजीवी एक्सप्रेस और अन्य प्रमुख ट्रेनों में अगले आठ से दस दिनों तक सभी टिकट बुक हो चुके हैं। यात्रियों को आने वाले दिनों में सफर करने के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

सिलाव रेलवे स्टेशन पर भी भारी भीड़ देखी जा रही है। यहां दीपावली और छठ पूजा समाप्त होते ही लोग अपने-अपने काम पर लौटने लगे हैं। सिलाव और आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में लोग दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और मद्रास जैसे शहरों में काम करने के लिए जाते हैं।

त्योहारों के समय घर लौटे ये प्रवासी मजदूर अब वापस जाने के लिए रेलवे स्टेशनों पर उमड़ पड़े हैं। जिससे ट्रेनों और बसों में सीटें खचाखच भर गई हैं। ऐसे हालात में अगले कुछ दिनों तक यात्रा करना प्रवासी मजदूरों के लिए कठिन हो सकता है। जबकि टिकट दलालों की बढ़ती सक्रियता यात्रियों के लिए परेशानी का सबब बनती जा रही है।

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