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वेतन विसंगतिः मध्याह्न भोजन कर्मियों ने की अनिश्चितकालीन हड़ताल

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले में मध्याह्न भोजन योजना के कर्मियों ने बिहार राज्य मध्याह्न भोजन योजना कर्मचारी संघ के आह्वान पर अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है। इस हड़ताल के तहत जिले के सभी मध्याह्न भोजन कर्मियों और प्रखंड साधन सेवियों ने कार्य का पूर्ण बहिष्कार करते हुए जिला कार्यालय परिसर में शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन किया।

यह आंदोलन कर्मियों की लंबे समय से चली आ रही मांगों को लेकर है, जिसमें सबसे प्रमुख है वेतन विसंगति को दूर करना और बिहार शिक्षा परियोजना में कार्यरत कर्मियों के समतुल्य वेतन निर्धारण।

संघ के जिलाध्यक्ष मुकेश कुमार और जिला सचिव दयानंद रविदास के नेतृत्व में कर्मियों ने एकजुट होकर अपनी मांगों को जोरदार तरीके से उठाया। उनकी प्रमुख मांग है कि मध्याह्न भोजन योजना के कर्मियों का वेतन बिहार शिक्षा परियोजना के कर्मियों के समान किया जाए।

इसके लिए वर्ष 2010, 2012 और 2018 में पारित प्रस्तावों को तत्काल लागू करने की मांग की गई है। कर्मियों ने एक स्वर में 40 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन निर्धारण की मांग को दोहराया और कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे अपना आंदोलन चरणबद्ध तरीके से जारी रखेंगे।

धरना-प्रदर्शन के दौरान कर्मियों ने मध्याह्न भोजन योजना के निदेशक द्वारा जारी उस आदेश की कड़ी निंदा की, जिसमें हड़ताल पर जाने वाले कर्मियों को चयनमुक्त (नौकरी से हटाने) की चेतावनी दी गई थी। संघ ने इस आदेश को कर्मियों के लोकतांत्रिक अधिकारों पर दमनात्मक कदम करार दिया।

जिलाध्यक्ष मुकेश कुमार ने कहा कि यह आदेश न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि कर्मियों के हितों के खिलाफ भी है। हमारी मांगें जायज हैं, और हम इन्हें लेकर शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रख रहे हैं। प्रशासन को हमारी मांगों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।

इस अवसर पर जिला कार्यक्रम प्रबंधक, लेखापाल, प्रखंड साधन सेवी सहित बड़ी संख्या में मध्याह्न भोजन कर्मी मौजूद थे। सभी कर्मियों ने एकजुटता दिखाते हुए अपनी मांगों के समर्थन में नारे लगाए और प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की अपील की। कर्मियों का कहना है कि वे लंबे समय से कम वेतन और असमानता का सामना कर रहे हैं, जिसके कारण उनकी आर्थिक स्थिति दयनीय बनी हुई है।

संघ के सदस्यों ने स्पष्ट किया कि यह हड़ताल उनकी मांगों के प्रति प्रशासन की उदासीनता के खिलाफ एक चेतावनी है। जिला सचिव दयानंद रविदास ने कहा कि हमारी मांगें कोई नई नहीं हैं। वर्षों से हम इन्हें उठाते आ रहे हैं, लेकिन सरकार और प्रशासन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। अब हम चरणबद्ध तरीके से अपने आंदोलन को और तेज करेंगे। यदि उनकी मांगें जल्द पूरी नहीं हुईं तो वे और बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन करेंगे।

मध्याह्न भोजन योजना, जो स्कूलों में बच्चों को पौष्टिक भोजन प्रदान करने का एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है, इस हड़ताल से प्रभावित हो सकती है। कर्मियों का कहना है कि वे बच्चों की शिक्षा और पोषण के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझते हैं, लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति और कार्यस्थितियों में सुधार के बिना वे अपनी सेवाएं पूरी तरह से नहीं दे पा रहे हैं।

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