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    Sunday, March 23, 2025
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      राजगीर नौलखा मंदिर का 64वाँ वर्षगांठ समारोह हर्षोल्लास के साथ संपन्न

      राजगीर (नालंदा दर्पण)। बिहार के पवित्र तीर्थ स्थल राजगीर नौलखा मंदिर का 64वाँ वर्षगांठ समारोह तीन दिनों तक चले उत्साह और भक्ति के माहौल में संपन्न हो गया। इस अवसर पर आयोजित भव्य कार्यक्रमों ने श्रद्धालुओं के मन को भक्ति रस से सराबोर कर दिया। मंदिर परिसर में आयोजित विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के साथ-साथ नगर शोभायात्रा ने इस समारोह को और भी यादगार बना दिया।

      वर्षगांठ के अवसर पर निकाली गई नगर शोभायात्रा में बड़ी संख्या में जैन श्रद्धालु और स्थानीय लोग शामिल हुए। नाचते-गाते श्रद्धालुओं ने भक्ति और उत्साह का अनूठा संगम प्रस्तुत किया। इस दौरान मंदिर में सत्रहभेदी पूजा का आयोजन किया गया, जो जैन परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। समारोह के दौरान कोलकाता के रामपुरिया परिवार द्वारा मंदिर के शिखर पर ध्वजा चढ़ाई गई। बाबू जीवराज जी, नथमल जी, भीखमचंद जी और सोहनलाल जी रामपुरिया परिवार ने इस धार्मिक अनुष्ठान को पूरे समारोहपूर्वक संपन्न किया।

      इस अवसर पर जैन धर्म के 20वें तीर्थंकर भगवान मुनि सुव्रत स्वामी की प्रतिमा का सुंदर श्रृंगार कोलकाता के सुरेश भाई द्वारा किया गया। जिसने सभी श्रद्धालुओं का मन मोह लिया। समारोह में कोलकाता के प्रसिद्ध संगीतकार मुकेश भाई और कमलेश भाई ने मधुर भजनों की प्रस्तुति दी। इन भजनों ने उपस्थित लोगों को भाव-विभोर कर भक्ति की गंगा में डुबकी लगाने का अवसर प्रदान किया।

      संजय रामपुरिया ने इस अवसर पर कहा, “नौलखा मंदिर के नाम से प्रसिद्ध यह मंदिर भगवान मुनि सुव्रत स्वामी को समर्पित है। आज इसकी 64वीं वर्षगांठ है। राजगीर जैन धर्म के लिए अत्यंत पवित्र तीर्थ स्थल है, जहां के कण-कण में तीर्थंकरों के चरणों की छाप है। इस कल्याणक भूमि की यात्रा करना अपने आप में पुण्य का कार्य है।”

      वहीं, श्री जैन श्वेतांबर कोठी के सचिव रंजन कुमार जैन ने मंदिर के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इसका निर्माण 1955 में राजस्थान के कुशल कारीगरों द्वारा शुरू किया गया था और 1961 में यह बनकर तैयार हुआ। चैत मास की शुक्ल सप्तमी के दिन मंदिर में भगवान मुनि सुव्रत स्वामी की भव्य प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा की गई थी। तब से हर साल रामपुरिया परिवार द्वारा ध्वजारोहण का आयोजन किया जाता है।

      मंदिर के सहायक प्रबंधक ज्ञानेन्द्र पाण्डेय ने बताया कि नौलखा मंदिर की एक खास विशेषता यह है कि इसके निर्माण में कहीं भी लोहे का प्रयोग नहीं किया गया है। यह मंदिर भगवान मुनि सुव्रत स्वामी को समर्पित है। जिनकी जन्मभूमि राजगीर ही है।

      इस समारोह में वीरायतन की साध्वी यशा जी महाराज, साध्वी साधना जी महाराज सहित मदन चंद्र अग्रवाल, प्रेमचंद अग्रवाल, नेमीचंद रामपुरिया, विजय रामपुरिया, संजय रामपुरिया, डीली जैन, साहिल जैन, सृष्टि जैन, सुभाष बोथरा, सुरेश बोथरा, विकास रामपुरिया, अजय रामपुरिया, प्रेम रामपुरिया, कांता रामपुरिया, निर्जरा ग्रुप कोलकाता की आशा बेन, विमल जैन, विमला देवी, पुष्पा देवी, अरुणा रामपुरिया, धुरेंद्र कोचर, ललित भंसाली, इसमाला कोचर, संगीता भंसाली, ममता कोचर, ज्ञानचंद जैन, रेखा जैन, कंचन जैन, रूपा जैन, सुषमा पाण्डेय, जगन्नाथ तिवारी, संजीव कुमार जैन, सतेंद्र कुमार, दीपिका जैन, रितिका जैन, परी जैन जैसे प्रमुख लोग शामिल हुए। इसके अलावा कोलकाता, झारखंड, बिहार और पंजाब से आए सैकड़ों श्रद्धालुओं ने इस धार्मिक आयोजन में भाग लिया।

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