नालंदा दर्पण डेस्क (रामकुमार वर्मा)। शासक लोग समय के साथ शहरों का नाम बदलते रहे हैं। नालंदा के आज का इस्लामपुर कभी ईशरामपुर के नाम से जाना जाता था। जिसे अंग्रेजों ने नाम बदलकर इस्लामपुर कर दिया। अंग्रेज कभी इस जगह को अपने भ्रमण के लिए इस्तेमाल करते थे।
इस्लामपुर का धार्मिक ऐतिहासिक महत्व रहा है। यहां प्राचीन देवी-देवताओं के लगभग 21 मंदिर है। जिनका पौराणिक कथाओं में वर्णन रहा है।
जानकार बताते हैं कि 18 वी शताब मे में भारत के महान प्रसिद्घ एंव सिद्घ संत 100 ग्रंथो की संचिता एंव श्री आयोध्या मे श्री लक्ष्मण किला के संस्थापक प्रथम रचिकाधिचार्य श्री युगलानयन शरण जी महाराज की जन्म इसी ईशरामपुर में हुआ था।
इस जगह को छोटी अयोध्या के नाम से जाना जाता था। ईशरामपुर का मतलब वह स्थान जहा श्री राम के ईश के स्थान है। अर्थात ईशरामपुर इसकी वृहत व्याखया आयोध्या में लक्ष्मण किला के ग्रंथों से किया जा सकता है।
खानकाह हाई स्कूल के पास इसलामपुर के नाम से टोला है। यह टोला इसलामपुर के नाम से ही जाना जाता है। बाद में भी यही इसलामपुर अंग्रेज़ी शासनकाल में इसलामपुर के नाम से गजट हुआ एंव सर्वे हुआ था।
आज भी पुराने ईशरामपुर, जो वर्तमान में कई टोला मुहल्ला में स्थित है। इसमें पक्की तलाब पर,राना प्रताप नगर, हनुमागंज, पटेलनगर आदि टोला निर्माण हुआ था। जो आज भी मौजूद है।
21 मंदिरों में हनुमानगंज सिद्घपीठ बड़ महारानी मंदिर, रानाप्रतापनगर आयोध्या ठाकुरबाडी, बड़ी संगत, जैन मंदिर,राधाकृष्ण मंदिर मनोकामना हनुमान, देवी स्थान,पकी तलाब पर सूर्य मंदिर, शिव मंदिर शामिल है।
ज्ञात हो कि ईशरामपुर के युगलानयन महराज को बड़े महाराज के नाम से अयोध्या में लोग जानते है। स्वामी विवेकानंद श्री सीता राम नाम के तत्वज्ञान की जानकारी लेने आयोध्या लक्ष्मण किला पधारे थे।
किंतु तब तक युगलानयन जी महाराज शरीर त्याग चुके थे। तब इनके शिष्य पंडित जी महाराज ने विवेकानंद को तत्वज्ञान की व्याख्या समझाया था। वह स्थान एंव कमरा आज भी आयोध्या नगरी में सुरक्षत है।
अयोध्या ठाकुरबाड़ी लक्ष्मण किला के वर्तमान किलाधीश मैथली रमण शरण जी महाराज ने बताया कि ईशरामपुर के बड़े महाराज की जन्म दिवस आयोध्या में प्रतिवर्ष साधु-संतों द्घारा मनायी जाती है।
इधर वेश्वक गढ़ तीन खंडों में बटा है। जिसमें राजभवन, सेनाभवन और जेलखाना था। इस्लामपुर का बेशवक कभी मुगल सम्राट अकबर के अधीन आता था। अकबर ने कश्मीर के प्राचीन शासक युसुफ शाह और बेटे हैदर अली को मानसिंह ने कैद कर वेश्वक जेलखाना में रखा था।
इसके बाद दोनो को कश्मीर लौटने नही दिया था। कश्मीर के शासक रहने की वजह से उस स्थल को कश्मीर कहा जाने लगा एवं चक वंश के होने से कश्मीर चक पड़ गया।
उनके पुत्र हैदर अली के नाम पर हैदरचक टोला बना। जो आज भी हैदरचक के नाम से जाना जाता है। नालंदा के सांसद कौशलेंद्र कुमार का पैतृक गांव भी हैदरचक ही है। बाबजूद आज तक न बेशवक की तकदीर बदल सकी और न ही हैदरचक की।
कश्मीर के भूतपूर्व मुख्यमंत्री शेखअव्दुला 21 जनवरी 1976 को चादरफोशी करने आये थे। उसी दिन वेश्वक जाने वाली रोड का नामाकरण शेखअव्दुला रखा गया था।
यहां एक नेताउ कुआं है। जिसके जल में औषधीय गुण पाया जाता है। जिससे चर्मरोग ठीक हो जाता है और गर्मी के दिनों में इस कुआं की जल से चावल पकाने के 24 घंटा बाद भी खराब नहीं होता है। यहां के चावल देश विदेश में मशहूर है।
इस्लामपुर में स्थित जेलखाना, राजभवन,सेनाभवन देख रेख के अभाव में गिरकर जमींदोज़ हो गया है। इसी प्रकार इसलामपुर के वैलीवाग मे दिल्ली के तर्ज पर चौधरी जहुर शाहव द्घारा बनवाया गया। दिल्ली दरबार भुलभुलैया नाचघर जीर्ण शीर्ण अवस्था मे अस्तित्व विहीन हो चुका है। बाबजूद पर्यटक इस स्थल को देखने आज भी आते हैं।
कहने को इस्लामपुर का अपना एक विस्तृत इतिहास रहा है। लेकिन देखरेख और संरक्षण के अभाव में यहां की ऐतिहासिक इमारतें और धरोहर नष्ट हो चुका है। कहने को नालंदा सांसद कौशलेंद्र कुमार इस्लामपुर प्रखंड से ही आते हैं, तीन बार से सांसद भी हैं, बाबजूद न उनकी नजरें इनायत हुई और न ही राज्य सरकार की।
इस्लामपुर के गांव-जेवार में फ़ैले और निर्मित ऐतिहासिक इमारतों को संरक्षण किया जाएं तो यह एक बेहतर पर्यटन स्थल बनकर उभर सकता है।
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