बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा स्वास्थ्य विभाग में अवैध निकासी का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है। वैसे-वैसे इसमें शामिल नए-नए चेहरे उजागर हो रहे हैं। पहले सदर अस्पताल में गड़बड़ी सामने आई थी।लेकिन अब राजगीर अनुमंडलीय अस्पताल में भी इसी तरह की अवैध निकासी का मामला प्रकाश में आया है।
सदर अस्पताल में पदस्थापित पंकज कुमार पर पहले से ही अन्य भत्तों के नाम पर अवैध निकासी का आरोप है। इस मामले की जांच के दौरान ही राजगीर अनुमंडलीय अस्पताल में कार्यरत लिपिक कोमल कुमार की संलिप्तता भी उजागर हुई। कहा जाता है कि जब सीएस डॉ. जितेन्द्र कुमार सिंह राजगीर अनुमंडलीय अस्पताल में जांच करने पहुंचे तो एचआरएमएस पोर्टल की रिपोर्ट से पता चला कि कोमल कुमार ने भी अन्य भत्तों के नाम पर बड़ी रकम निकाली है।
हालांकि जांच में दोषी पाए जाने के बाद अब कोमल कुमार को भी तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है और दो दिनों के भीतर स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया गया है। वहीं पंकज कुमार की बैंक डिटेल्स खंगाली जा रही हैं। ताकि यह पता चल सके कि 2017 से जनवरी 2022 तक कुल कितनी अवैध निकासी की गई। दोनों आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करा दी गई है।
सूत्रों के अनुसार अवैध निकासी की शुरुआत राजगीर अनुमंडलीय अस्पताल से हुई और इस पूरे खेल का मास्टरमाइंड पंकज कुमार ही बताया जा रहा है। पंकज का तबादला राजगीर से सरमेरा होते ही कोमल कुमार उसकी जगह आ गया और उसने भी उसी प्रक्रिया को जारी रखा। रिपोर्ट के मुताबिक कोमल कुमार प्रति माह 5-6 हजार रुपये की अवैध निकासी करता रहा। जिससे उसने करीब 1 लाख रुपये की अतिरिक्त निकासी कर ली।
सूत्रों के हवाले से खबर है कि यह घोटाला 2017 से ही जारी था। पंकज कुमार की नियुक्ति 2017 में हुई थी और तभी से अवैध निकासी का खेल शुरू हुआ। 2018 में कोमल कुमार की नियुक्ति हुई और दोनों ने मिलकर इस अवैध प्रक्रिया को आगे बढ़ाया। शुरुआत में दोनों ने निकाली गई रकम को आपस में बांटने का समझौता किया। लेकिन जब कोमल ने पूरी रकम खुद रखनी शुरू कर दी तो दोनों के बीच अनबन हो गई। 8 जनवरी 2022 को पंकज का सरमेरा तबादला होते ही कोमल ने स्वतंत्र रूप से अवैध निकासी का खेल शुरू कर दिया।
अब जैसे ही लिपिकों पर कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू हुई है। नेताओं और प्रभावशाली लोगों की पैरवी भी शुरू हो गई। कई राजनेताओं द्वारा विशेष रूप से इस मामले में कार्रवाई को रोकने के लिए दबाव डाला जा रहा है।
वहीं सीएस डॉ. जितेन्द्र कुमार सिंह का कहना है कि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सख्त निगरानी आवश्यक है। उन्होंने सभी स्वास्थ्य कर्मियों के वेतन संबंधी स्टेटमेंट की फाइल तैयार करने का निर्देश दिया है ताकि प्रत्येक माह का स्टेटमेंट रिकॉर्ड हो और भविष्य में इस तरह की किसी भी गड़बड़ी को रोका जा सके।
इसमें कोई शक नहीं कि नालंदा स्वास्थ्य विभाग में अवैध निकासी का यह मामला प्रशासन की लापरवाही और भ्रष्टाचार की पोल खोलता है। घोटाले में शामिल आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की जा रही है। ताकि भविष्य में इस तरह की वित्तीय अनियमितताओं पर रोक लगाई जा सके।
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