नालंदा दर्पण डेस्क। भारत के कोने-कोने में स्थित सूर्य मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र हैं, बल्कि इनमें से कई मंदिर हजारों साल के गौरवशाली इतिहास को भी समेटे हुए हैं। इन मंदिरों का स्थापत्य, वास्तुकला और उनसे जुड़ी पौराणिक कथाएं इन्हें खास बनाती हैं। आइए जानते हैं देश के कुछ प्रमुख सूर्य मंदिरों के बारे में, जो आज भी श्रद्धालुओं और इतिहास प्रेमियों को आकर्षित करते हैं।
कोणार्क सूर्य मंदिर, ओडिशा: ओडिशा का कोणार्क सूर्य मंदिर न केवल भारत में बल्कि विश्वभर में प्रसिद्ध है। इसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर का दर्जा प्राप्त है। अद्वितीय स्थापत्य कला से सजे इस मंदिर में सूर्य देवता की पूजा होती है।
यह मंदिर एक विशाल रथ के आकार में बनाया गया है। जिसमें 24 पत्थर के पहिए हैं, जो समय की अनवरत गति का प्रतीक माने जाते हैं। मंदिर की दीवारों पर खूबसूरत मूर्तियों की नक्काशी की गई है।
माना जाता है कि यहां भगवान के साक्षात दर्शन होते हैं। मंदिर की संरचना में 52 टन का चुंबक लगा था, जो अद्भुत तकनीक का प्रमाण है। इस मंदिर की खासियत यह है कि सूर्योदय की पहली किरण मंदिर के मुख्य द्वार से टकराती है, जिससे इसका महत्व और बढ़ जाता है।
ओसियां का सूर्य मंदिर, राजस्थान: राजस्थान के ओसियां शहर में स्थित सूर्य मंदिर अपनी स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है। इसे राजस्थान का खजुराहो भी कहा जाता है।
कहा जाता है कि ओसियां की स्थापना प्रतिहार वंश के राजा उत्तपलीदोव ने की थी। हालांकि समय की मार के कारण मंदिर को क्षति पहुंची। लेकिन इसकी अनूठी शैली और आकार इसे आज भी आकर्षण का केंद्र बनाते हैं। यहां भगवान सूर्य की मूर्ति नहीं है, फिर भी यह मंदिर अपनी ऐतिहासिक धरोहर के कारण प्रसिद्ध है।
उलार सूर्य मंदिर, पटना: पटना के दुल्हिनबाजार स्थित उलार सूर्य मंदिर का विशेष महत्व है। यह मंदिर देश के 12 प्रमुख अर्क स्थलों में से एक है और कोणार्क और देवार्क के बाद तीसरे सबसे बड़े सूर्य उपासना स्थल के रूप में जाना जाता है।
पौराणिक कथा के अनुसार द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र शाम्ब को ऋषि मुनियों के श्राप से कुष्ठ रोग हो गया था। भगवान सूर्य की उपासना के बाद ही उन्हें इस रोग से मुक्ति मिली थी। उलार के तालाब में स्नान करने और सवा महीने तक सूर्य की उपासना करने से शाम्ब स्वस्थ हो गए थे। इस ऐतिहासिक कथा के कारण यह स्थल आज भी श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखता है।
मोढेरा सूर्य मंदिर, गुजरात: गुजरात के मेहसाणा जिले में पुष्पावती नदी के किनारे स्थित मोढेरा का सूर्य मंदिर अपने स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर के तीन मुख्य हिस्से हैं- गुधा मंडप, सभा मंडप और कुंड।
सभा मंडप की दीवारों पर पंच तत्वों की नक्काशी है और यह 52 खंभों पर टिका है, जो साल के 52 हफ्तों का प्रतीक है। मंदिर के दीवारों पर सूर्य देव की कई आकृतियां उकेरी गई हैं। जो यहां के स्थापत्य को और भी विशेष बनाती हैं।
बुंडू सूर्य मंदिर, रांची: झारखंड के रांची-टाटा मार्ग पर स्थित बुंडू सूर्य मंदिर का भी धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है। मान्यता है कि भगवान राम ने वनवास के दौरान यहां रुककर सूर्य देव की उपासना की थी।
इस स्थल पर 1991 में एक भव्य सूर्य मंदिर का निर्माण किया गया है। यह 11 एकड़ में फैला है। यह स्थल छठ पूजा के समय विशेष रूप से श्रद्धालुओं से भरा रहता है। यहां झारखंड, बिहार, बंगाल और छत्तीसगढ़ से व्रती भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के लिए आते हैं। मंदिर के पास स्थित कुंड में छठव्रती स्नान कर सूर्य को अर्घ्य देते हैं और यहां रातभर रुकने की भी व्यवस्था है।
भारत के ये सूर्य मंदिर हमारी प्राचीन संस्कृति, आस्था और स्थापत्य कला का अद्भुत उदाहरण हैं। ये न केवल धार्मिक स्थल हैं, बल्कि ऐतिहासिक धरोहर के रूप में भी महत्वपूर्ण हैं। इन मंदिरों से जुड़ी पौराणिक कथाएं और उनकी वास्तुकला उन्हें श्रद्धालुओं और इतिहास प्रेमियों के बीच हमेशा जीवंत बनाए रखती हैं।
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